चंदन मंडल, सारस न्यूज़, सिलीगुड़ी: बंगाल – बिहार सहित देश- विदेश में मनाए जाने वाले लोक आस्था का पवित्र त्योहार छठ पर्व आगामी पांच नवंबर यानी मंगलवार को नहाय-खाय के साथ शुरू हो जाएगा। इसको लेकर व्रतियों में काफी उत्साह देखा जा रहा है, लोग तैयारी में जुट गए हैं। वहीं सीमा वासियों ने मेची नदी की साफ-सफाई करने की तैयारी के साथ ही घरों पर भी तैयारी करना शुरू कर दिया है। इसके अलावा घरों पर महिलाओं ने भी पूजा को लेकर अपनी तैयारी तेज कर दी है। साथ ही छठ महापर्व पर व्रतियों को मेची छठ घाट पर आवाजाही में किसी तरह की कोई परेशानी न हो इसके लिए भातगांव पंचायत के मुखिया बृज मोहन सिंह उर्फ मुन्ना सिंह द्वारा सड़क पर बने गड्ढे को को बराबर कर भर दिया जायेगा।ताकि छठ व्रतियों को आने जाने में किसी प्रकार की दिक्कत न हो।
सड़क पर बने गढ्ढे को किया जायेगा बराबर, तीन किलोमीटर तक होगी लाइटिंग की व्यवस्था : मुन्ना सिंह
भातगांव पंचायत के मुखिया प्रतिनिधि बृज मोहन सिंह उर्फ मुन्ना सिंह ने बताया कि लोक आस्था के महापर्व छठ पूजा को लेकर छठ व्रतियों को आने जाने में कोई दिक्कत नहीं हो इसके लिए सड़क पर बने गढ्ढे को बराबर कर भर दिया जायेगा।साथ ही हर साल की तरह इस वर्ष भी छठ व्रतियों व श्रद्धालुओं को के लिए गलगलिया से लेकर मेची नदी तक करीब तीन किलोमीटर तक लाखों की लागत से लाइटिंग की भी व्यवस्था की गई है और छठ घाट पर चाय व पानी के लिए स्टॉल भी लगाए जायेंगे।
हर धर्म के लोगों का पसंद आता है मेची नदी का घाट
मेची नदी के घाट को देखकर हर धर्म के लोगों को भी काफी पंसद आता है। यहां भारत व नेपाल के छठव्रती बड़ी संख्या में भारत-नेपाल सीमा पर बहने वाली मेची नदी घाट पर लोक आस्था का महापर्व छठ पूजा धूमधाम से मनाते हैं। दार्जिलिंग जिले के खोरीबाड़ी प्रखंड की सीमा पर भारत के बंगाल , बिहार व नेपाल के झापा जिले के छठव्रती भारत-नेपाल सीमा पर बहने वाली मेची नदी घाट पर पर्व मनाते हैं। छठ पूजा के दिन यहां अद्भुत दृश्य देखने को मिलता है।
कई दशकों से मेची नदी के दोनों के किनारे अर्घ्य देते हैं दोनों देशों के छठ व्रती
भारत व नेपाल यानी दोनों देशों के छठव्रती कई दशकों से हजारों की संख्या में इस नदी के दोनों किनारे अर्घ्य देते आ रहे हैं। उसमें मुख्य रूप से भारत के कई गांव कस्बों के श्रद्धालुओं के साथ नेपाल के झापा जिले के दर्जनों शहर व गांवो के छठव्रती इस नदी तट पर छठ पर्व करते हैं। यहां खोरीबाड़ी प्रखंड की सीमा पर भारत के बंगाल , बिहार और पड़ोसी देश नेपाल के झापा जिला के छठव्रती मेची नदी घाट पर नियम निष्ठा से लोक आस्था का महापर्व मनाते हैं। खोरीबाड़ी प्रखंड के दर्जनों गांव, डांगुजोत देवीगंज, सोनापिण्डी , डुब्बाजोत, आरीभिट्ठा , बैरागीजोत आदि गांव बिहार के भातगांव व गलगलिया समेत काफी संख्या में छठव्रती मेची नदी घाट पर भगवान सूर्य की आराधना करते हैं।
पश्चिमी तट पर नेपालवासी तो पूर्वी तट पर भारत के छठव्रती मनाते हैं छठपूजा
मेची नदी के पश्चिमी तट पर नेपालवासी तो पूर्वी तट पर भारत के छठव्रती छठ पर्व मनाते हैं। दोनों देश के छठव्रती के एक साथ पर्व मनाने का अद्भुत दृश्य व नजारा देखने लायक होता है। दोनों देश के लोग सरहद की सीमा को तोड़ एकसाथ मिलकर सूर्य की उपासना करते हैं। नेपाल के सीमावर्ती क्षेत्र में बिहार व यूपी के रहने वाले लोगों के साथ-साथ नेपाल के मूल निवासी की भी छठ पर्व के प्रति आस्था बढ़ती जा रही है।
मेची नदी के तट पर विभिन्न धर्म के लोग करते हैं छठ पूजा
नेपाल के भद्रपुर ,कांकड़भिट्टा, विरतामोड़, धुलाबाड़ी चंद्रगुडी, आदि शहरों में बड़ी संख्या में बंगाल, बिहार और उत्तर प्रदेश के लोग रहते हैं। इन्हें प्रत्येक वर्ष छठ पर्व मनाने की विधि-विधान तथा सूर्य देवता की उपासना को देख नेपाली मूल के लोग सहित विभिन्न धर्म के लोगों में भी धीरे-धीरे आस्था बढऩे लगी और आज बड़ी संख्या में नेपाल के मूल निवासी सहित कई अन्य धर्म के भी मेची नदी के तट पर छठ पर्व कर रहे हैं।
चंदन मंडल, सारस न्यूज़, सिलीगुड़ी: बंगाल – बिहार सहित देश- विदेश में मनाए जाने वाले लोक आस्था का पवित्र त्योहार छठ पर्व आगामी पांच नवंबर यानी मंगलवार को नहाय-खाय के साथ शुरू हो जाएगा। इसको लेकर व्रतियों में काफी उत्साह देखा जा रहा है, लोग तैयारी में जुट गए हैं। वहीं सीमा वासियों ने मेची नदी की साफ-सफाई करने की तैयारी के साथ ही घरों पर भी तैयारी करना शुरू कर दिया है। इसके अलावा घरों पर महिलाओं ने भी पूजा को लेकर अपनी तैयारी तेज कर दी है। साथ ही छठ महापर्व पर व्रतियों को मेची छठ घाट पर आवाजाही में किसी तरह की कोई परेशानी न हो इसके लिए भातगांव पंचायत के मुखिया बृज मोहन सिंह उर्फ मुन्ना सिंह द्वारा सड़क पर बने गड्ढे को को बराबर कर भर दिया जायेगा।ताकि छठ व्रतियों को आने जाने में किसी प्रकार की दिक्कत न हो।
सड़क पर बने गढ्ढे को किया जायेगा बराबर, तीन किलोमीटर तक होगी लाइटिंग की व्यवस्था : मुन्ना सिंह
भातगांव पंचायत के मुखिया प्रतिनिधि बृज मोहन सिंह उर्फ मुन्ना सिंह ने बताया कि लोक आस्था के महापर्व छठ पूजा को लेकर छठ व्रतियों को आने जाने में कोई दिक्कत नहीं हो इसके लिए सड़क पर बने गढ्ढे को बराबर कर भर दिया जायेगा।साथ ही हर साल की तरह इस वर्ष भी छठ व्रतियों व श्रद्धालुओं को के लिए गलगलिया से लेकर मेची नदी तक करीब तीन किलोमीटर तक लाखों की लागत से लाइटिंग की भी व्यवस्था की गई है और छठ घाट पर चाय व पानी के लिए स्टॉल भी लगाए जायेंगे।
हर धर्म के लोगों का पसंद आता है मेची नदी का घाट
मेची नदी के घाट को देखकर हर धर्म के लोगों को भी काफी पंसद आता है। यहां भारत व नेपाल के छठव्रती बड़ी संख्या में भारत-नेपाल सीमा पर बहने वाली मेची नदी घाट पर लोक आस्था का महापर्व छठ पूजा धूमधाम से मनाते हैं। दार्जिलिंग जिले के खोरीबाड़ी प्रखंड की सीमा पर भारत के बंगाल , बिहार व नेपाल के झापा जिले के छठव्रती भारत-नेपाल सीमा पर बहने वाली मेची नदी घाट पर पर्व मनाते हैं। छठ पूजा के दिन यहां अद्भुत दृश्य देखने को मिलता है।
कई दशकों से मेची नदी के दोनों के किनारे अर्घ्य देते हैं दोनों देशों के छठ व्रती
भारत व नेपाल यानी दोनों देशों के छठव्रती कई दशकों से हजारों की संख्या में इस नदी के दोनों किनारे अर्घ्य देते आ रहे हैं। उसमें मुख्य रूप से भारत के कई गांव कस्बों के श्रद्धालुओं के साथ नेपाल के झापा जिले के दर्जनों शहर व गांवो के छठव्रती इस नदी तट पर छठ पर्व करते हैं। यहां खोरीबाड़ी प्रखंड की सीमा पर भारत के बंगाल , बिहार और पड़ोसी देश नेपाल के झापा जिला के छठव्रती मेची नदी घाट पर नियम निष्ठा से लोक आस्था का महापर्व मनाते हैं। खोरीबाड़ी प्रखंड के दर्जनों गांव, डांगुजोत देवीगंज, सोनापिण्डी , डुब्बाजोत, आरीभिट्ठा , बैरागीजोत आदि गांव बिहार के भातगांव व गलगलिया समेत काफी संख्या में छठव्रती मेची नदी घाट पर भगवान सूर्य की आराधना करते हैं।
पश्चिमी तट पर नेपालवासी तो पूर्वी तट पर भारत के छठव्रती मनाते हैं छठपूजा
मेची नदी के पश्चिमी तट पर नेपालवासी तो पूर्वी तट पर भारत के छठव्रती छठ पर्व मनाते हैं। दोनों देश के छठव्रती के एक साथ पर्व मनाने का अद्भुत दृश्य व नजारा देखने लायक होता है। दोनों देश के लोग सरहद की सीमा को तोड़ एकसाथ मिलकर सूर्य की उपासना करते हैं। नेपाल के सीमावर्ती क्षेत्र में बिहार व यूपी के रहने वाले लोगों के साथ-साथ नेपाल के मूल निवासी की भी छठ पर्व के प्रति आस्था बढ़ती जा रही है।
मेची नदी के तट पर विभिन्न धर्म के लोग करते हैं छठ पूजा
नेपाल के भद्रपुर ,कांकड़भिट्टा, विरतामोड़, धुलाबाड़ी चंद्रगुडी, आदि शहरों में बड़ी संख्या में बंगाल, बिहार और उत्तर प्रदेश के लोग रहते हैं। इन्हें प्रत्येक वर्ष छठ पर्व मनाने की विधि-विधान तथा सूर्य देवता की उपासना को देख नेपाली मूल के लोग सहित विभिन्न धर्म के लोगों में भी धीरे-धीरे आस्था बढऩे लगी और आज बड़ी संख्या में नेपाल के मूल निवासी सहित कई अन्य धर्म के भी मेची नदी के तट पर छठ पर्व कर रहे हैं।
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