प्रखंड और जिला स्तर पर गठित टीमों के कार्यों का मूल्यांकन।
जिले के ग्रामीण क्षेत्रों में सुरक्षित मातृत्व को बढ़ावा देने के उद्देश्य से चल रहे गृह प्रसव मुक्त पंचायत अभियान के तहत जिला पदाधिकारी विशाल राज की अध्यक्षता में एक समीक्षा बैठक आयोजित की गई। इस बैठक में स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों और अभियान के तहत गठित प्रखंड एवं जिला स्तरीय टीमों द्वारा किए गए कार्यों का विस्तार से मूल्यांकन किया गया। जिला पदाधिकारी ने अभियान को और अधिक प्रभावी बनाने के लिए कई सख्त निर्देश भी जारी किए।
अभियान की प्रगति का मूल्यांकन और टीमों की जिम्मेदारियां:
बैठक में जिला पदाधिकारी ने विभिन्न टीमों द्वारा अब तक किए गए कार्यों की गहन समीक्षा की। उन्होंने प्रखंड और पंचायत स्तर पर चल रहे प्रयासों की स्थिति का जायजा लेते हुए स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों से अभियान को जमीनी स्तर तक पहुंचाने पर जोर दिया। बैठक में आशा कार्यकर्ताओं, एएनएम, जीविका दीदियों और अन्य विभागीय कर्मचारियों के कार्यों पर भी चर्चा की गई।
जिला पदाधिकारी ने कहा, “हमारा उद्देश्य है कि ग्रामीण क्षेत्रों में कोई भी महिला गृह प्रसव के लिए विवश न हो। यह सुनिश्चित करना हम सबकी जिम्मेदारी है कि हर गर्भवती महिला को संस्थागत प्रसव की सुविधा मिले और कोई भी महिला घर पर प्रसव न करे।”
गृह प्रसव मुक्त पंचायत बनाने के लिए दिए गए निर्देश:
आशा कार्यकर्ताओं की सक्रियता: आशा कार्यकर्ताओं को निर्देशित किया गया है कि वे प्रत्येक गर्भवती महिला के घर जाकर उन्हें संस्थागत प्रसव के लाभों के बारे में जागरूक करें और उन्हें अस्पताल में प्रसव के लिए प्रेरित करें।
नियमित स्वास्थ्य जांच: जिला पदाधिकारी ने यह सुनिश्चित करने के आदेश दिए कि सभी गर्भवती महिलाओं की नियमित स्वास्थ्य जांच की जाए ताकि प्रसव के समय किसी प्रकार की जटिलता से बचा जा सके। आशा कार्यकर्ताओं और एएनएम को गर्भवती महिलाओं की समय पर जांच सुनिश्चित करने के निर्देश दिए गए हैं।
सहयोगात्मक प्रयास: सभी विभागों, विशेष रूप से स्वास्थ्य विभाग, आईसीडीएस, पंचायती राज संस्थान, और जीविका के बीच समन्वय बढ़ाने के लिए कदम उठाए जाएंगे। जिला स्तरीय और प्रखंड स्तरीय टीमों को एकजुट होकर काम करने और सामुदायिक स्तर पर इस अभियान का प्रचार-प्रसार करने का निर्देश दिया गया है।
गांव स्तर पर बैठकें: जिला पदाधिकारी ने सभी स्वास्थ्य केंद्रों में नियमित रूप से सामुदायिक बैठकें आयोजित करने का आदेश दिया है, जिसमें ग्रामीण महिलाओं और उनके परिवारों को संस्थागत प्रसव के लाभों के बारे में बताया जाएगा। पंचायत प्रतिनिधियों को भी इस प्रक्रिया में शामिल किया जाएगा ताकि हर गांव को गृह प्रसव मुक्त बनाया जा सके।
सख्त निगरानी और समयबद्ध रिपोर्टिंग: जिला और प्रखंड स्तर पर टीमों को समय-समय पर अपने कार्यों की रिपोर्ट प्रस्तुत करने का आदेश दिया गया है। जिला पदाधिकारी ने कहा कि अभियान की प्रगति पर लगातार नजर रखी जाएगी, और इस लक्ष्य को पूरा करने में लापरवाही बरतने वालों पर सख्त कार्रवाई की जाएगी।
जनसहभागिता और सामुदायिक सहयोग पर जोर
जिला पदाधिकारी ने बैठक में कहा, “गृह प्रसव मुक्त पंचायत अभियान को सफल बनाने के लिए हर व्यक्ति का सहयोग जरूरी है। हम सभी विभागों, पंचायत प्रतिनिधियों, और स्थानीय संगठनों से अपेक्षा करते हैं कि वे इस अभियान को सफल बनाने के लिए एकजुट होकर काम करें।” बैठक के अंत में सभी अधिकारियों और टीमों ने यह सुनिश्चित करने का संकल्प लिया कि हर गर्भवती महिला को संस्थागत प्रसव की सुविधा मिले और घर पर प्रसव की घटनाएं पूरी तरह समाप्त हों।
राहुल कुमार, सारस न्यूज़, किशनगंज।
प्रखंड और जिला स्तर पर गठित टीमों के कार्यों का मूल्यांकन।
जिले के ग्रामीण क्षेत्रों में सुरक्षित मातृत्व को बढ़ावा देने के उद्देश्य से चल रहे गृह प्रसव मुक्त पंचायत अभियान के तहत जिला पदाधिकारी विशाल राज की अध्यक्षता में एक समीक्षा बैठक आयोजित की गई। इस बैठक में स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों और अभियान के तहत गठित प्रखंड एवं जिला स्तरीय टीमों द्वारा किए गए कार्यों का विस्तार से मूल्यांकन किया गया। जिला पदाधिकारी ने अभियान को और अधिक प्रभावी बनाने के लिए कई सख्त निर्देश भी जारी किए।
अभियान की प्रगति का मूल्यांकन और टीमों की जिम्मेदारियां:
बैठक में जिला पदाधिकारी ने विभिन्न टीमों द्वारा अब तक किए गए कार्यों की गहन समीक्षा की। उन्होंने प्रखंड और पंचायत स्तर पर चल रहे प्रयासों की स्थिति का जायजा लेते हुए स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों से अभियान को जमीनी स्तर तक पहुंचाने पर जोर दिया। बैठक में आशा कार्यकर्ताओं, एएनएम, जीविका दीदियों और अन्य विभागीय कर्मचारियों के कार्यों पर भी चर्चा की गई।
जिला पदाधिकारी ने कहा, “हमारा उद्देश्य है कि ग्रामीण क्षेत्रों में कोई भी महिला गृह प्रसव के लिए विवश न हो। यह सुनिश्चित करना हम सबकी जिम्मेदारी है कि हर गर्भवती महिला को संस्थागत प्रसव की सुविधा मिले और कोई भी महिला घर पर प्रसव न करे।”
गृह प्रसव मुक्त पंचायत बनाने के लिए दिए गए निर्देश:
आशा कार्यकर्ताओं की सक्रियता: आशा कार्यकर्ताओं को निर्देशित किया गया है कि वे प्रत्येक गर्भवती महिला के घर जाकर उन्हें संस्थागत प्रसव के लाभों के बारे में जागरूक करें और उन्हें अस्पताल में प्रसव के लिए प्रेरित करें।
नियमित स्वास्थ्य जांच: जिला पदाधिकारी ने यह सुनिश्चित करने के आदेश दिए कि सभी गर्भवती महिलाओं की नियमित स्वास्थ्य जांच की जाए ताकि प्रसव के समय किसी प्रकार की जटिलता से बचा जा सके। आशा कार्यकर्ताओं और एएनएम को गर्भवती महिलाओं की समय पर जांच सुनिश्चित करने के निर्देश दिए गए हैं।
सहयोगात्मक प्रयास: सभी विभागों, विशेष रूप से स्वास्थ्य विभाग, आईसीडीएस, पंचायती राज संस्थान, और जीविका के बीच समन्वय बढ़ाने के लिए कदम उठाए जाएंगे। जिला स्तरीय और प्रखंड स्तरीय टीमों को एकजुट होकर काम करने और सामुदायिक स्तर पर इस अभियान का प्रचार-प्रसार करने का निर्देश दिया गया है।
गांव स्तर पर बैठकें: जिला पदाधिकारी ने सभी स्वास्थ्य केंद्रों में नियमित रूप से सामुदायिक बैठकें आयोजित करने का आदेश दिया है, जिसमें ग्रामीण महिलाओं और उनके परिवारों को संस्थागत प्रसव के लाभों के बारे में बताया जाएगा। पंचायत प्रतिनिधियों को भी इस प्रक्रिया में शामिल किया जाएगा ताकि हर गांव को गृह प्रसव मुक्त बनाया जा सके।
सख्त निगरानी और समयबद्ध रिपोर्टिंग: जिला और प्रखंड स्तर पर टीमों को समय-समय पर अपने कार्यों की रिपोर्ट प्रस्तुत करने का आदेश दिया गया है। जिला पदाधिकारी ने कहा कि अभियान की प्रगति पर लगातार नजर रखी जाएगी, और इस लक्ष्य को पूरा करने में लापरवाही बरतने वालों पर सख्त कार्रवाई की जाएगी।
जनसहभागिता और सामुदायिक सहयोग पर जोर
जिला पदाधिकारी ने बैठक में कहा, “गृह प्रसव मुक्त पंचायत अभियान को सफल बनाने के लिए हर व्यक्ति का सहयोग जरूरी है। हम सभी विभागों, पंचायत प्रतिनिधियों, और स्थानीय संगठनों से अपेक्षा करते हैं कि वे इस अभियान को सफल बनाने के लिए एकजुट होकर काम करें।” बैठक के अंत में सभी अधिकारियों और टीमों ने यह सुनिश्चित करने का संकल्प लिया कि हर गर्भवती महिला को संस्थागत प्रसव की सुविधा मिले और घर पर प्रसव की घटनाएं पूरी तरह समाप्त हों।
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