किशनगंज जिले में क्लबफूट जैसी जन्मजात विकृति से पीड़ित बच्चों के निःशुल्क उपचार के लिए स्वास्थ्य विभाग ने एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है। मंगलवार को पांच बच्चों को रूटीन जांच के लिए किशनगंज के सदर अस्पताल से जवाहरलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल (जेएलएमएनसीएच), भागलपुर भेजा गया। इस पहल का उद्देश्य क्लबफूट जैसी विकृति का समय पर इलाज कराकर बच्चों को सामान्य जीवन जीने का अवसर प्रदान करना है।
क्लबफूट: एक जन्मजात विकृति
क्लबफूट एक जन्मजात विकृति है, जिसमें बच्चों के पैर अंदर की ओर मुड़े होते हैं। यह स्थिति जन्म के समय ही दिखाई देती है और इसका इलाज न होने पर बच्चों को चलने-फिरने में कठिनाई का सामना करना पड़ सकता है। निःशुल्क उपचार अभियान के अंतर्गत, पांच बच्चों को जेएलएमएनसीएच, भागलपुर भेजा गया है, जहां उनकी रूटीन जांच की जाएगी ताकि उनके उपचार की सही प्रगति का आकलन किया जा सके।
किशनगंज जिले से भेजे गए बच्चों का विवरण:
अरफा, उम्र: 1 महीना, ब्लॉक: ठाकुरगंज
अर्कम रज़ा, उम्र: 12 महीने, ब्लॉक: ठाकुरगंज
अतिफा नाज़, उम्र: 1.5 साल, ब्लॉक: दिघलबैंक
जोहि नाज़, उम्र: 4 साल, ब्लॉक: बहादुरगंज
सिफत, उम्र: 2 साल, ब्लॉक: कोचाधामन
इन बच्चों को सदर अस्पताल से जेएलएमएनसीएच, भागलपुर भेजा गया, जहां विशेषज्ञ डॉक्टर उनकी रूटीन जांच करेंगे और उनकी आवश्यकतानुसार उपचार करेंगे।
जन्मजात विकृतियों का निःशुल्क इलाज प्राथमिकता:
किशनगंज के सिविल सर्जन, डॉ. राजेश कुमार ने कहा, “क्लबफूट जैसी जन्मजात विकृतियों का निःशुल्क इलाज कराना हमारी प्राथमिकता है। हमारा प्रयास है कि ऐसे बच्चों को सामान्य जीवन जीने का अवसर मिले, जिनके पैरों में जन्म से विकृति है। इसी उद्देश्य से जिले के विभिन्न क्षेत्रों से पांच बच्चों को रूटीन जांच के लिए भेजा गया है ताकि उनकी देखभाल और सुधार का आकलन किया जा सके।”
आरबीएसके टीम की सक्रिय भूमिका:
राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम (आरबीएसके) की टीम इस पहल में सक्रिय भूमिका निभा रही है। आरबीएसके डीआईसी प्रबंधक सह जिला समन्वयक पंकज कुमार शर्मा ने बताया, “हमारी टीम क्षेत्र का भ्रमण कर जरूरतमंद बच्चों को चिन्हित करती है और उन्हें सरकारी स्वास्थ्य सुविधाओं का लाभ लेने के लिए प्रेरित करती है। हम उनके बेहतर इलाज में हर संभव मदद करते हैं। जिले के सभी स्वास्थ्य संस्थानों में हमारी टीम तैनात है, जिसमें दो चिकित्सक, एक एएनएम और एक फार्मासिस्ट शामिल हैं। मैं जिले के सभी नागरिकों से अपील करता हूँ कि अगर किसी बच्चे को गंभीर बीमारी है तो वे स्थानीय स्वास्थ्य केंद्र आकर जानकारी दें ताकि उनका निःशुल्क इलाज हो सके।”
स्वास्थ्य विभाग की महत्वपूर्ण उपलब्धि:
सिविल सर्जन डॉ. राजेश कुमार ने कहा कि स्वास्थ्य विभाग के इस प्रयास से क्लबफूट से पीड़ित बच्चों और उनके परिवारों को बड़ी राहत मिलेगी। यह पहल न केवल बच्चों के बेहतर भविष्य को सुनिश्चित करेगी, बल्कि स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता भी बढ़ाएगी। आरबीएसके टीम के निरंतर सहयोग से यह सुनिश्चित किया जा रहा है कि कोई भी जरूरतमंद बच्चा सरकारी स्वास्थ्य सेवाओं से वंचित न रहे। इस पहल से यह स्पष्ट होता है कि सरकार और स्वास्थ्य विभाग समाज के हर व्यक्ति के स्वास्थ्य और विकास के प्रति प्रतिबद्ध हैं।
राहुल कुमार, सारस न्यूज़, किशनगंज।
किशनगंज जिले में क्लबफूट जैसी जन्मजात विकृति से पीड़ित बच्चों के निःशुल्क उपचार के लिए स्वास्थ्य विभाग ने एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है। मंगलवार को पांच बच्चों को रूटीन जांच के लिए किशनगंज के सदर अस्पताल से जवाहरलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल (जेएलएमएनसीएच), भागलपुर भेजा गया। इस पहल का उद्देश्य क्लबफूट जैसी विकृति का समय पर इलाज कराकर बच्चों को सामान्य जीवन जीने का अवसर प्रदान करना है।
क्लबफूट: एक जन्मजात विकृति
क्लबफूट एक जन्मजात विकृति है, जिसमें बच्चों के पैर अंदर की ओर मुड़े होते हैं। यह स्थिति जन्म के समय ही दिखाई देती है और इसका इलाज न होने पर बच्चों को चलने-फिरने में कठिनाई का सामना करना पड़ सकता है। निःशुल्क उपचार अभियान के अंतर्गत, पांच बच्चों को जेएलएमएनसीएच, भागलपुर भेजा गया है, जहां उनकी रूटीन जांच की जाएगी ताकि उनके उपचार की सही प्रगति का आकलन किया जा सके।
किशनगंज जिले से भेजे गए बच्चों का विवरण:
अरफा, उम्र: 1 महीना, ब्लॉक: ठाकुरगंज
अर्कम रज़ा, उम्र: 12 महीने, ब्लॉक: ठाकुरगंज
अतिफा नाज़, उम्र: 1.5 साल, ब्लॉक: दिघलबैंक
जोहि नाज़, उम्र: 4 साल, ब्लॉक: बहादुरगंज
सिफत, उम्र: 2 साल, ब्लॉक: कोचाधामन
इन बच्चों को सदर अस्पताल से जेएलएमएनसीएच, भागलपुर भेजा गया, जहां विशेषज्ञ डॉक्टर उनकी रूटीन जांच करेंगे और उनकी आवश्यकतानुसार उपचार करेंगे।
जन्मजात विकृतियों का निःशुल्क इलाज प्राथमिकता:
किशनगंज के सिविल सर्जन, डॉ. राजेश कुमार ने कहा, “क्लबफूट जैसी जन्मजात विकृतियों का निःशुल्क इलाज कराना हमारी प्राथमिकता है। हमारा प्रयास है कि ऐसे बच्चों को सामान्य जीवन जीने का अवसर मिले, जिनके पैरों में जन्म से विकृति है। इसी उद्देश्य से जिले के विभिन्न क्षेत्रों से पांच बच्चों को रूटीन जांच के लिए भेजा गया है ताकि उनकी देखभाल और सुधार का आकलन किया जा सके।”
आरबीएसके टीम की सक्रिय भूमिका:
राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम (आरबीएसके) की टीम इस पहल में सक्रिय भूमिका निभा रही है। आरबीएसके डीआईसी प्रबंधक सह जिला समन्वयक पंकज कुमार शर्मा ने बताया, “हमारी टीम क्षेत्र का भ्रमण कर जरूरतमंद बच्चों को चिन्हित करती है और उन्हें सरकारी स्वास्थ्य सुविधाओं का लाभ लेने के लिए प्रेरित करती है। हम उनके बेहतर इलाज में हर संभव मदद करते हैं। जिले के सभी स्वास्थ्य संस्थानों में हमारी टीम तैनात है, जिसमें दो चिकित्सक, एक एएनएम और एक फार्मासिस्ट शामिल हैं। मैं जिले के सभी नागरिकों से अपील करता हूँ कि अगर किसी बच्चे को गंभीर बीमारी है तो वे स्थानीय स्वास्थ्य केंद्र आकर जानकारी दें ताकि उनका निःशुल्क इलाज हो सके।”
स्वास्थ्य विभाग की महत्वपूर्ण उपलब्धि:
सिविल सर्जन डॉ. राजेश कुमार ने कहा कि स्वास्थ्य विभाग के इस प्रयास से क्लबफूट से पीड़ित बच्चों और उनके परिवारों को बड़ी राहत मिलेगी। यह पहल न केवल बच्चों के बेहतर भविष्य को सुनिश्चित करेगी, बल्कि स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता भी बढ़ाएगी। आरबीएसके टीम के निरंतर सहयोग से यह सुनिश्चित किया जा रहा है कि कोई भी जरूरतमंद बच्चा सरकारी स्वास्थ्य सेवाओं से वंचित न रहे। इस पहल से यह स्पष्ट होता है कि सरकार और स्वास्थ्य विभाग समाज के हर व्यक्ति के स्वास्थ्य और विकास के प्रति प्रतिबद्ध हैं।