किशनगंज के एनएच 27 पर एक हाई-प्रोफाइल ड्रामा उस समय शुरू हुआ जब एक नेता का चालान काटा गया। यदि यह घटना किसी आम नागरिक के साथ होती, तो शायद कोई विवाद नहीं होता, लेकिन चूंकि मामला एक नेता से जुड़ा था, इसलिए पुलिस प्रशासन पर सवाल उठने लगे। दरअसल, पुलिस मुख्यालय के आदेश पर बिहार में विशेष वाहन चेकिंग अभियान चलाया जा रहा था। इसी अभियान के दौरान नेताजी बिना सीट बेल्ट लगाए गाड़ी चला रहे थे, जिससे वे परिवहन नियमों का उल्लंघन कर रहे थे। पुलिस ने नियमानुसार उनका चालान काटकर ₹1,000 का जुर्माना लगाया।
यह कार्रवाई नेताजी को खटक गई और उन्होंने सड़क पर अपनी गाड़ी के सामने बैठकर विरोध करना शुरू कर दिया। इस दौरान उन्होंने यातायात को बाधित करने की कोशिश की। परिणामस्वरूप, पुलिस और नेताजी के बीच तीखी बहस हुई। स्थिति को शांत करने के लिए स्थानीय लोगों को हस्तक्षेप करना पड़ा। पुलिस का कहना था कि उन्होंने सिर्फ सरकारी आदेश का पालन किया, जबकि नेताजी का आरोप था कि उन्होंने कोई नियम नहीं तोड़ा। उनका कहना था कि गाड़ी चलाते समय वह और उनके साथी सीट बेल्ट पहने हुए थे, लेकिन जैसे ही वे गाड़ी से उतरे, पुलिस ने उनके खिलाफ चालान काट दिया, जिसे उन्होंने अनुचित बताया। यह घटना किशनगंज के वीर कुंवर सिंह बस स्टैंड के पास हुई, और विवाद करीब एक घंटे तक चला। अंत में, पुलिस और स्थानीय लोगों की कोशिशों से मामला शांत हुआ।
यह घटना इस बात का स्पष्ट उदाहरण है कि कानून सभी के लिए समान है। चाहे वह आम नागरिक हो या जनप्रतिनिधि, परिवहन नियमों का उल्लंघन करने पर सभी को जुर्माना भरना होता है। हालांकि, नेताजी के विरोध के कारण इस घटना ने विशेष ध्यान आकर्षित किया।
शशि कोशी रोक्का, सारस न्यूज़, ठाकुरगंज।
किशनगंज के एनएच 27 पर एक हाई-प्रोफाइल ड्रामा उस समय शुरू हुआ जब एक नेता का चालान काटा गया। यदि यह घटना किसी आम नागरिक के साथ होती, तो शायद कोई विवाद नहीं होता, लेकिन चूंकि मामला एक नेता से जुड़ा था, इसलिए पुलिस प्रशासन पर सवाल उठने लगे। दरअसल, पुलिस मुख्यालय के आदेश पर बिहार में विशेष वाहन चेकिंग अभियान चलाया जा रहा था। इसी अभियान के दौरान नेताजी बिना सीट बेल्ट लगाए गाड़ी चला रहे थे, जिससे वे परिवहन नियमों का उल्लंघन कर रहे थे। पुलिस ने नियमानुसार उनका चालान काटकर ₹1,000 का जुर्माना लगाया।
यह कार्रवाई नेताजी को खटक गई और उन्होंने सड़क पर अपनी गाड़ी के सामने बैठकर विरोध करना शुरू कर दिया। इस दौरान उन्होंने यातायात को बाधित करने की कोशिश की। परिणामस्वरूप, पुलिस और नेताजी के बीच तीखी बहस हुई। स्थिति को शांत करने के लिए स्थानीय लोगों को हस्तक्षेप करना पड़ा। पुलिस का कहना था कि उन्होंने सिर्फ सरकारी आदेश का पालन किया, जबकि नेताजी का आरोप था कि उन्होंने कोई नियम नहीं तोड़ा। उनका कहना था कि गाड़ी चलाते समय वह और उनके साथी सीट बेल्ट पहने हुए थे, लेकिन जैसे ही वे गाड़ी से उतरे, पुलिस ने उनके खिलाफ चालान काट दिया, जिसे उन्होंने अनुचित बताया। यह घटना किशनगंज के वीर कुंवर सिंह बस स्टैंड के पास हुई, और विवाद करीब एक घंटे तक चला। अंत में, पुलिस और स्थानीय लोगों की कोशिशों से मामला शांत हुआ।
यह घटना इस बात का स्पष्ट उदाहरण है कि कानून सभी के लिए समान है। चाहे वह आम नागरिक हो या जनप्रतिनिधि, परिवहन नियमों का उल्लंघन करने पर सभी को जुर्माना भरना होता है। हालांकि, नेताजी के विरोध के कारण इस घटना ने विशेष ध्यान आकर्षित किया।
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