ठाकुरगंज प्रखंड के भारत-नेपाल सीमा पर तैनात सशस्त्र सीमा बल (एसएसबी) की 41वीं वाहिनी के बी-समवाय के सहायक कमांडेंट कुणाल कौडान पर एक स्थानीय पत्रकार के साथ दुर्व्यवहार और बंधक बनाए रखने का गंभीर आरोप लगाया गया है। पीड़ित पत्रकार, चंदन मंडल ने बताया कि 13 दिसंबर 2024 को नेपाल के भद्रपुर जाते समय एसएसबी जवानों ने उन्हें रोका और पहचान पत्र मांगा। पहचान पत्र देखने के बाद उन्हें कैंप के अंदर ले जाया गया, जहां लगभग 5 घंटे तक बंधक बनाकर रखा गया। इस दौरान उनके साथ मारपीट, दुर्व्यवहार और मानसिक उत्पीड़न किया गया। पत्रकार का कहना है कि उनसे जबरन बर्तन साफ करवाए गए और अन्य तरीकों से प्रताड़ित किया गया।
शाम 8 बजे उन्हें गलगलिया थाना ले जाया गया, जहां एसएसबी की ओर से उनके खिलाफ झूठा मामला दर्ज करने की कोशिश की गई। लेकिन जैसे ही स्थानीय पत्रकारों को इस घटना की जानकारी मिली, वे थाने पहुंचे और निष्पक्ष जांच की मांग की।
सीसीटीवी फुटेज ने किया सच उजागर
ठाकुरगंज अनुमंडल पुलिस पदाधिकारी मंगलेश कुमार सिंह के निर्देश पर थानाध्यक्ष ने एसएसबी चेकपोस्ट पर लगे सीसीटीवी कैमरों की जांच की। फुटेज में पत्रकार के खिलाफ किसी भी प्रकार के दुर्व्यवहार या मारपीट की घटना सामने नहीं आई। इसके बाद एसएसबी अधिकारी ने अपनी शिकायत वापस ले ली और पत्रकार चंदन मंडल को रिहा कर दिया।
वरिष्ठ पत्रकारों के हस्तक्षेप से मामला सुलझा
पत्रकार संगठनों और वरिष्ठ पत्रकारों के हस्तक्षेप के बाद मामला शांत किया गया। एसएसबी 41वीं वाहिनी रानीडांगा के सेनानायक योगेश कुमार ने कहा कि इस घटना की जानकारी उन्हें नहीं थी, लेकिन अब यह मामला सुलझा लिया गया है।
पुरानी रिपोर्टिंग का नतीजा?
चंदन मंडल ने आरोप लगाया कि यह कार्रवाई उनके द्वारा एसएसबी जवानों के खिलाफ लिखी गई एक खबर का बदला लेने के रूप में की गई थी। उन्होंने एसएसबी द्वारा कुछ गरीब महिलाओं पर की जा रही ज्यादतियों और झूठे मुकदमों को उजागर किया था। इस घटना ने स्थानीय पत्रकारिता जगत को हिलाकर रख दिया है। पत्रकार संगठनों ने इस प्रकार की घटनाओं की कड़ी निंदा करते हुए भविष्य में पत्रकारों की सुरक्षा सुनिश्चित करने की मांग की है।
राजीव कुमार, सारस न्यूज।
ठाकुरगंज प्रखंड के भारत-नेपाल सीमा पर तैनात सशस्त्र सीमा बल (एसएसबी) की 41वीं वाहिनी के बी-समवाय के सहायक कमांडेंट कुणाल कौडान पर एक स्थानीय पत्रकार के साथ दुर्व्यवहार और बंधक बनाए रखने का गंभीर आरोप लगाया गया है। पीड़ित पत्रकार, चंदन मंडल ने बताया कि 13 दिसंबर 2024 को नेपाल के भद्रपुर जाते समय एसएसबी जवानों ने उन्हें रोका और पहचान पत्र मांगा। पहचान पत्र देखने के बाद उन्हें कैंप के अंदर ले जाया गया, जहां लगभग 5 घंटे तक बंधक बनाकर रखा गया। इस दौरान उनके साथ मारपीट, दुर्व्यवहार और मानसिक उत्पीड़न किया गया। पत्रकार का कहना है कि उनसे जबरन बर्तन साफ करवाए गए और अन्य तरीकों से प्रताड़ित किया गया।
शाम 8 बजे उन्हें गलगलिया थाना ले जाया गया, जहां एसएसबी की ओर से उनके खिलाफ झूठा मामला दर्ज करने की कोशिश की गई। लेकिन जैसे ही स्थानीय पत्रकारों को इस घटना की जानकारी मिली, वे थाने पहुंचे और निष्पक्ष जांच की मांग की।
सीसीटीवी फुटेज ने किया सच उजागर
ठाकुरगंज अनुमंडल पुलिस पदाधिकारी मंगलेश कुमार सिंह के निर्देश पर थानाध्यक्ष ने एसएसबी चेकपोस्ट पर लगे सीसीटीवी कैमरों की जांच की। फुटेज में पत्रकार के खिलाफ किसी भी प्रकार के दुर्व्यवहार या मारपीट की घटना सामने नहीं आई। इसके बाद एसएसबी अधिकारी ने अपनी शिकायत वापस ले ली और पत्रकार चंदन मंडल को रिहा कर दिया।
वरिष्ठ पत्रकारों के हस्तक्षेप से मामला सुलझा
पत्रकार संगठनों और वरिष्ठ पत्रकारों के हस्तक्षेप के बाद मामला शांत किया गया। एसएसबी 41वीं वाहिनी रानीडांगा के सेनानायक योगेश कुमार ने कहा कि इस घटना की जानकारी उन्हें नहीं थी, लेकिन अब यह मामला सुलझा लिया गया है।
पुरानी रिपोर्टिंग का नतीजा?
चंदन मंडल ने आरोप लगाया कि यह कार्रवाई उनके द्वारा एसएसबी जवानों के खिलाफ लिखी गई एक खबर का बदला लेने के रूप में की गई थी। उन्होंने एसएसबी द्वारा कुछ गरीब महिलाओं पर की जा रही ज्यादतियों और झूठे मुकदमों को उजागर किया था। इस घटना ने स्थानीय पत्रकारिता जगत को हिलाकर रख दिया है। पत्रकार संगठनों ने इस प्रकार की घटनाओं की कड़ी निंदा करते हुए भविष्य में पत्रकारों की सुरक्षा सुनिश्चित करने की मांग की है।
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