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गैर-संचारी रोगों पर नियंत्रण: ग्रामीण स्वास्थ्य सेवाओं का विस्तार।

राहुल कुमार, सारस न्यूज़, किशनगंज।

एचडब्ल्यूसी, सीएचओ, एएनएम और आशा की सामूहिक पहल से सुधार संभव

गैर-संचारी रोग (एनसीडी) जैसे मधुमेह, उच्च रक्तचाप, हृदय रोग और कैंसर पर नियंत्रण के लिए स्वास्थ्य विभाग ग्रामीण इलाकों में विशेष प्रयास कर रहा है। हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर (एचडब्ल्यूसी) के माध्यम से गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध कराने के उद्देश्य से सामुदायिक स्वास्थ्य अधिकारी (सीएचओ), एएनएम और आशा कार्यकर्ता महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं।

हाल ही में गैर-संचारी रोग पदाधिकारी डॉ. उर्मिला कुमारी ने हालामाला हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर का निरीक्षण किया। उन्होंने टीम वर्क और सामुदायिक भागीदारी की प्रशंसा करते हुए स्वास्थ्य कर्मियों की भूमिका को रेखांकित किया।

एचडब्ल्यूसी का नेतृत्व और भूमिका

डॉ. उर्मिला कुमारी ने कहा, “एचडब्ल्यूसी में सीएचओ की भूमिका बेहद अहम है। वे न केवल स्वास्थ्य सेवाओं का समन्वय करते हैं, बल्कि एनसीडी स्क्रीनिंग, मरीजों को सही परामर्श और उपचार सुनिश्चित करते हैं। उनके नेतृत्व में ग्रामीण क्षेत्रों में गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवाएं पहुंचाई जा रही हैं।”

उन्होंने यह भी बताया कि सीएचओ टेलीमेडिसिन सेवाएं संचालित करते हैं और नियमित स्वास्थ्य शिविरों में रोगियों को विशेषज्ञों से जोड़ने में मदद करते हैं।

मातृ-शिशु स्वास्थ्य में एएनएम की भूमिका

डॉ. उर्मिला ने एएनएम को मातृ-शिशु स्वास्थ्य सेवाओं की रीढ़ बताते हुए कहा, “वे गर्भवती महिलाओं की एएनसी जांच, टीकाकरण और परिवार नियोजन सेवाओं को सुनिश्चित करती हैं। एनसीडी स्क्रीनिंग में उनकी भूमिका महत्वपूर्ण है, क्योंकि वे समुदाय के करीब रहते हुए प्राथमिक स्वास्थ्य देखभाल में सहयोग करती हैं।”

आशा कार्यकर्ता: सामुदायिक स्वास्थ्य की कड़ी

आशा कार्यकर्ताओं को स्वास्थ्य सेवाओं को जन-जन तक पहुंचाने का श्रेय देते हुए डॉ. उर्मिला ने कहा, “आशा कार्यकर्ता घर-घर जाकर लोगों को स्वास्थ्य सेवाओं के प्रति जागरूक करती हैं। वे एनसीडी स्क्रीनिंग के लिए लोगों को प्रोत्साहित करती हैं और गंभीर बीमारियों के लक्षणों की शुरुआती पहचान में मदद करती हैं। उनकी भूमिका मरीजों को एचडब्ल्यूसी तक लाने और सही इलाज सुनिश्चित करने में बेहद महत्वपूर्ण है।”

ग्रामीण इलाकों में स्वास्थ्य सेवाओं का विस्तार

सिविल सर्जन डॉ. राजेश कुमार ने कहा, “हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर ग्रामीण क्षेत्रों के लिए वरदान साबित हो रहे हैं। सीएचओ, एएनएम और आशा कार्यकर्ताओं की सामूहिक भागीदारी से एनसीडी स्क्रीनिंग और टेलीमेडिसिन जैसी सेवाएं दूर-दराज के इलाकों तक पहुंचाई जा रही हैं। फिलहाल 90 से 100 प्रकार की दवाएं और 12 प्रकार की डायग्नोस्टिक सेवाएं उपलब्ध हैं, जिन्हें भविष्य में और विस्तारित किया जाएगा।”

एनक्वास प्रमाणीकरण और गुणवत्ता सुधार

सिविल सर्जन ने बताया कि हर प्रखंड में तीन एचडब्ल्यूसी को एनक्वास प्रमाणीकरण के लिए चिन्हित किया गया है। इससे सेवाओं की गुणवत्ता और प्रभावशीलता में सुधार होगा। डॉ. उर्मिला ने कहा, “यह प्रक्रिया सेवाओं को राष्ट्रीय मानकों के अनुरूप बनाने में मदद करेगी।”

जिला प्रशासन की भूमिका

जिलाधिकारी विशाल राज ने कहा, “सीएचओ, एएनएम और आशा कार्यकर्ताओं की सामूहिक जिम्मेदारी से ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य सेवाओं की पहुंच मजबूत हो रही है। हमारा उद्देश्य है कि हर व्यक्ति तक स्वास्थ्य सेवाएं पहुंचे और गंभीर बीमारियों का समय पर पता चल सके।”

गैर-संचारी रोग पदाधिकारी डॉ. उर्मिला कुमारी ने कहा कि एचडब्ल्यूसी, सीएचओ, एएनएम और आशा कार्यकर्ताओं की सहभागिता से ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य सेवाओं की पहुंच मजबूत हो रही है। एनक्वास प्रमाणीकरण और अन्य सुधारात्मक उपायों से यह सुनिश्चित किया जाएगा कि हर व्यक्ति को गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवाएं मिलें और गंभीर बीमारियों पर समय रहते काबू पाया जा सके।

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