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फारबिसगंज में तहफ्फुज-ए-ईमान और खातून-ए-जन्नत कांफ्रेंस का आयोजन।

सारस न्यूज़, अररिया।

जिस प्रकार जिस्म में रूह का होना जरूरी है, उसी तरह ईमान के मुकम्मल होने के लिए दिल में प्यारे नबी की मोहब्बत होना जरूरी है।

दो सत्रों में आयोजित इजलास: प्रथम सत्र महिलाओं के लिए और द्वितीय सत्र पुरुषों के लिए।

  1. जलसा को संबोधित करते हुए हजरत मौलाना गुलाम रसूल बलयावी।
  2. कार्यक्रम के दौरान उपस्थित उलेमा और आयोजन समिति के सदस्य।

ताजो शरिया वेलफेयर सोसायटी और नौजवान कमिटी ढोलबज्जा के तत्वावधान में ढोलबज्जा वार्ड संख्या 08 स्थित रजा जामा मस्जिद के समीप एक दिवसीय “तहफ्फुज-ए-ईमान व खातून-ए-जन्नत कांफ्रेंस” का आयोजन किया गया। कार्यक्रम की सरपरस्ती पीर-ए-तरीकत, रहबर-ए-शरीयत हजरत अल्लामा सैय्यद मिस्बाह-उल-हक एमआदी साहब (पटना) ने की, जबकि अध्यक्षता मौलाना अजमतुल्लाह एमआदी साहब ने की। कार्यक्रम का संचालन मौलाना हलचल सिवानी साहब ने सफलतापूर्वक किया।

इजलास का आयोजन दो सत्रों में:

  1. प्रथम सत्र (सुबह 9 बजे से संध्या तक):
    महिलाओं के लिए आयोजित इस सत्र में कोलकाता से आईं मोहतरमा शाहीन कादरी और उम्मे रूमान समशी ने तकरीर की। पूर्णिया की शगुफ्ता अजमत और अन्य आलिमाओं ने महिलाओं को इस्लाम में पर्दे, शिक्षा, और नमाज के महत्व के बारे में जागरूक किया। उन्होंने बताया कि दीन और दुनिया की तालीम के संतुलन से कामयाबी सुनिश्चित होती है।
  2. द्वितीय सत्र (शाम 7 बजे से देर रात तक):
    पुरुषों के लिए आयोजित इस सत्र में मुख्य अतिथि व मुख्य वक्ता के रूप में पूर्व राज्यसभा सांसद और एदारा-ए-शरिया, पटना के मोहतमिम हजरत मौलाना गुलाम रसूल बलयावी ने तकरीर की। उन्होंने कहा, “ईमान का मुकम्मल होना प्यारे नबी से मोहब्बत के बिना संभव नहीं।” उन्होंने अल्लाह और उसके रसूल के बताए रास्ते पर चलने, नमाज की पाबंदी करने, और पड़ोसियों व समाज में अमन-शांति बनाए रखने का संदेश दिया।

अन्य उलेमा का संबोधन:
कार्यक्रम में मौलाना हलचल सिवानी, डॉ. अख्तर परवाज हबीबी, शमीम फैजी (धनबाद), डॉ. मुसव्वीर रजा (पूर्णिया) और अन्य उलेमा ने भी मौजूद लोगों को संबोधित किया।

विशेष प्रार्थना: कार्यक्रम के अंत में उलेमाओं और उपस्थित लोगों ने अमन, भाईचारा, और सुख-समृद्धि की दुआ की।

कार्यक्रम के आयोजन में सक्रिय लोग: मो. अशफाक, अब्दुल मतीन, मो. कैसर, नाजिर हुसैन, कैसर आलम, वसी अहमद, और अन्य स्थानीय लोग आयोजन को सफल बनाने में सक्रिय रहे।

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