पोठिया प्रखंड के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में आज आशा दिवस का आयोजन किया गया। इस अवसर पर सभी आशा कार्यकर्ताओं और फैसिलिटेटरों के लिए विशेष प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किया गया। कार्यक्रम का उद्देश्य स्वास्थ्य सेवाओं के प्रभावी क्रियान्वयन को सुनिश्चित करना और आशा कार्यकर्ताओं को नवीनतम प्रक्रियाओं और योजनाओं की जानकारी देना था।
प्रशिक्षण और आशा दिवस की मुख्य बातें
1. स्वास्थ्य विषयों पर प्रशिक्षण:
FPLMIS (फैमिली प्लानिंग लॉजिस्टिक मैनेजमेंट इंफॉर्मेशन सिस्टम): आशा कार्यकर्ताओं को परिवार नियोजन सामग्रियों की सुचारू आपूर्ति के लिए इस प्रणाली का उपयोग सिखाया गया।
ANC और HBNC (गर्भवती महिलाओं और नवजात शिशुओं की देखभाल): बेहतर देखभाल और आवश्यक सेवाओं के प्रावधान पर निर्देश दिए गए।
MDR और CDR (मातृ एवं शिशु मृत्यु दर): मृत्यु दर की निगरानी और उसे कम करने के लिए कार्य योजनाओं पर चर्चा की गई।
टीकाकरण (Immunisation): नियमित टीकाकरण की महत्ता और ग्रामीण क्षेत्रों में इसकी पहुंच सुनिश्चित करने के उपाय बताए गए।
NCD और एनीमिया मुक्त भारत: गैर-संचारी रोगों (जैसे मधुमेह, हृदय रोग) और एनीमिया की रोकथाम एवं प्रबंधन पर जोर दिया गया।
2. कार्यक्रम के प्रभावी क्रियान्वयन के लिए दिशा-निर्देश:
आशा कार्यकर्ताओं को इन कार्यक्रमों को अपने क्षेत्रों में प्रभावी रूप से लागू करने और समुदाय को स्वास्थ्य सेवाओं के प्रति जागरूक करने का निर्देश दिया गया।
स्वास्थ्य सेवाओं की गुणवत्ता में सुधार की उम्मीद
सिविल सर्जन डॉ. राजेश कुमार ने कार्यक्रम की सफलता पर कहा, “आशा कार्यकर्ता हमारे स्वास्थ्य तंत्र की रीढ़ हैं। इनके समर्पण से ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य सेवाएं सुलभ होती हैं। यह प्रशिक्षण कार्यक्रम और आशा दिवस आयोजन स्वास्थ्य सेवाओं की गुणवत्ता में सुधार करेगा और मातृ एवं शिशु स्वास्थ्य, परिवार नियोजन, एवं अन्य प्राथमिकताओं को पूरा करने में मदद करेगा। यह ‘सभी के लिए स्वास्थ्य’ के लक्ष्य की दिशा में एक महत्वपूर्ण प्रयास है।”
सामुदायिक बदलाव की उम्मीद
इस प्रशिक्षण और आशा दिवस के आयोजन से आशा कार्यकर्ताओं का मनोबल बढ़ा और उन्होंने बेहतर सेवाएं देने का संकल्प लिया। इस पहल से ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य सेवाओं की पहुंच और गुणवत्ता में सुधार की उम्मीद है।
राहुल कुमार, सारस न्यूज़, किशनगंज।
पोठिया प्रखंड के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में आज आशा दिवस का आयोजन किया गया। इस अवसर पर सभी आशा कार्यकर्ताओं और फैसिलिटेटरों के लिए विशेष प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किया गया। कार्यक्रम का उद्देश्य स्वास्थ्य सेवाओं के प्रभावी क्रियान्वयन को सुनिश्चित करना और आशा कार्यकर्ताओं को नवीनतम प्रक्रियाओं और योजनाओं की जानकारी देना था।
प्रशिक्षण और आशा दिवस की मुख्य बातें
1. स्वास्थ्य विषयों पर प्रशिक्षण:
FPLMIS (फैमिली प्लानिंग लॉजिस्टिक मैनेजमेंट इंफॉर्मेशन सिस्टम): आशा कार्यकर्ताओं को परिवार नियोजन सामग्रियों की सुचारू आपूर्ति के लिए इस प्रणाली का उपयोग सिखाया गया।
ANC और HBNC (गर्भवती महिलाओं और नवजात शिशुओं की देखभाल): बेहतर देखभाल और आवश्यक सेवाओं के प्रावधान पर निर्देश दिए गए।
MDR और CDR (मातृ एवं शिशु मृत्यु दर): मृत्यु दर की निगरानी और उसे कम करने के लिए कार्य योजनाओं पर चर्चा की गई।
टीकाकरण (Immunisation): नियमित टीकाकरण की महत्ता और ग्रामीण क्षेत्रों में इसकी पहुंच सुनिश्चित करने के उपाय बताए गए।
NCD और एनीमिया मुक्त भारत: गैर-संचारी रोगों (जैसे मधुमेह, हृदय रोग) और एनीमिया की रोकथाम एवं प्रबंधन पर जोर दिया गया।
2. कार्यक्रम के प्रभावी क्रियान्वयन के लिए दिशा-निर्देश:
आशा कार्यकर्ताओं को इन कार्यक्रमों को अपने क्षेत्रों में प्रभावी रूप से लागू करने और समुदाय को स्वास्थ्य सेवाओं के प्रति जागरूक करने का निर्देश दिया गया।
स्वास्थ्य सेवाओं की गुणवत्ता में सुधार की उम्मीद
सिविल सर्जन डॉ. राजेश कुमार ने कार्यक्रम की सफलता पर कहा, “आशा कार्यकर्ता हमारे स्वास्थ्य तंत्र की रीढ़ हैं। इनके समर्पण से ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य सेवाएं सुलभ होती हैं। यह प्रशिक्षण कार्यक्रम और आशा दिवस आयोजन स्वास्थ्य सेवाओं की गुणवत्ता में सुधार करेगा और मातृ एवं शिशु स्वास्थ्य, परिवार नियोजन, एवं अन्य प्राथमिकताओं को पूरा करने में मदद करेगा। यह ‘सभी के लिए स्वास्थ्य’ के लक्ष्य की दिशा में एक महत्वपूर्ण प्रयास है।”
सामुदायिक बदलाव की उम्मीद
इस प्रशिक्षण और आशा दिवस के आयोजन से आशा कार्यकर्ताओं का मनोबल बढ़ा और उन्होंने बेहतर सेवाएं देने का संकल्प लिया। इस पहल से ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य सेवाओं की पहुंच और गुणवत्ता में सुधार की उम्मीद है।
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