टीबी (क्षय रोग) माइकोबैक्टीरियम ट्यूबरकुलोसिस नामक बैक्टीरिया से फैलने वाली संक्रामक बीमारी है। यह मुख्य रूप से फेफड़ों को प्रभावित करती है, लेकिन शरीर के अन्य अंगों को भी प्रभावित कर सकती है। भारत में टीबी एक गंभीर स्वास्थ्य चुनौती बनी हुई है। सरकार ने 2025 तक भारत को टीबी मुक्त बनाने का लक्ष्य रखा है, जो विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के 2030 के वैश्विक लक्ष्य से 5 वर्ष पहले है।
इलाज में लापरवाही से खतरा
जिला यक्ष्मा नियंत्रण पदाधिकारी डॉ. मंजर आलम के अनुसार, टीबी का सही और नियमित उपचार न करने से मरीज मल्टी ड्रग रजिस्टेंट (एमडीआर) और एक्सटेंसिव ड्रग रजिस्टेंट (एक्सडीआर) टीबी का शिकार हो सकता है। किशनगंज में फिलहाल 19 मरीज एमडीआर टीबी की श्रेणी में हैं। एमडीआर टीबी तब होती है, जब मरीज टीबी की दवाओं का पूरा कोर्स नहीं करता।
एमडीआर और एक्सडीआर टीबी: समाधान और सावधानियां
सिविल सर्जन डॉ. राजेश कुमार ने बताया कि एमडीआर और एक्सडीआर टीबी का इलाज पहले 24 माह तक चलता था, लेकिन अब आधुनिक दवा बेडाक्विलीन के उपयोग से 9-11 महीनों में संभव हो गया है। एमडीआर टीबी से बचने के लिए जरूरी है कि मरीज दवाओं का नियमित सेवन करें और डॉक्टर के निर्देशों का पालन करें।
“निक्षय पोषण योजना” का लाभ
डॉ. राजेश कुमार ने कहा कि टीबी मरीजों को इलाज के दौरान पोषण सहायता के लिए सरकार हर महीने ₹1,000 देती है, जो डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर (डीबीटी) के माध्यम से मरीजों के खाते में जमा होती है। इसके अतिरिक्त:
निजी चिकित्सकों को प्रोत्साहन: मरीज को नोटिफाई करने पर ₹500 और इलाज पूरा करने पर ₹500।
ट्रीटमेंट सपोर्टर को प्रोत्साहन: छह माह में इलाज पूरा करने पर ₹1,000 और एमडीआर मरीज को ठीक करने पर ₹5,000।
सामान्य व्यक्ति को प्रोत्साहन: किसी मरीज को अस्पताल लाने और पुष्टि होने पर ₹500।
जिलाधिकारी विशाल राज ने कहा, “टीबी जैसी गंभीर बीमारी को हराने के लिए दवाओं का नियमित सेवन और जागरूकता आवश्यक है। मैं सभी से अपील करता हूं कि अपने आसपास किसी संभावित टीबी मरीज को नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र भेजें। टीबी का इलाज मुफ्त और प्रभावी है।”
टीबी से बचाव के उपाय
नियमित दवा का सेवन: दवाओं का पूरा कोर्स डॉक्टर की सलाह के अनुसार करें।
पोषण पर ध्यान: पोषण योजना का लाभ उठाएं।
समुदाय भागीदारी: संभावित मरीजों की पहचान कर उन्हें समय पर इलाज दिलाएं।
जागरूकता अभियान: टीबी के लक्षण, बचाव और इलाज के बारे में अधिक से अधिक लोगों को शिक्षित करें।
टीबी से लड़ाई कठिन जरूर है, लेकिन असंभव नहीं। सही इलाज, जागरूकता और सरकारी योजनाओं का लाभ उठाकर भारत को 2025 तक टीबी मुक्त बनाया जा सकता है। यह लक्ष्य तभी पूरा होगा, जब समाज का हर व्यक्ति अपनी जिम्मेदारी समझे और इस मिशन में योगदान दे।
राहुल कुमार, सारस न्यूज़, किशनगंज।
टीबी मुक्त भारत: 2025 तक लक्ष्य
टीबी (क्षय रोग) माइकोबैक्टीरियम ट्यूबरकुलोसिस नामक बैक्टीरिया से फैलने वाली संक्रामक बीमारी है। यह मुख्य रूप से फेफड़ों को प्रभावित करती है, लेकिन शरीर के अन्य अंगों को भी प्रभावित कर सकती है। भारत में टीबी एक गंभीर स्वास्थ्य चुनौती बनी हुई है। सरकार ने 2025 तक भारत को टीबी मुक्त बनाने का लक्ष्य रखा है, जो विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के 2030 के वैश्विक लक्ष्य से 5 वर्ष पहले है।
इलाज में लापरवाही से खतरा
जिला यक्ष्मा नियंत्रण पदाधिकारी डॉ. मंजर आलम के अनुसार, टीबी का सही और नियमित उपचार न करने से मरीज मल्टी ड्रग रजिस्टेंट (एमडीआर) और एक्सटेंसिव ड्रग रजिस्टेंट (एक्सडीआर) टीबी का शिकार हो सकता है। किशनगंज में फिलहाल 19 मरीज एमडीआर टीबी की श्रेणी में हैं। एमडीआर टीबी तब होती है, जब मरीज टीबी की दवाओं का पूरा कोर्स नहीं करता।
एमडीआर और एक्सडीआर टीबी: समाधान और सावधानियां
सिविल सर्जन डॉ. राजेश कुमार ने बताया कि एमडीआर और एक्सडीआर टीबी का इलाज पहले 24 माह तक चलता था, लेकिन अब आधुनिक दवा बेडाक्विलीन के उपयोग से 9-11 महीनों में संभव हो गया है। एमडीआर टीबी से बचने के लिए जरूरी है कि मरीज दवाओं का नियमित सेवन करें और डॉक्टर के निर्देशों का पालन करें।
“निक्षय पोषण योजना” का लाभ
डॉ. राजेश कुमार ने कहा कि टीबी मरीजों को इलाज के दौरान पोषण सहायता के लिए सरकार हर महीने ₹1,000 देती है, जो डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर (डीबीटी) के माध्यम से मरीजों के खाते में जमा होती है। इसके अतिरिक्त:
निजी चिकित्सकों को प्रोत्साहन: मरीज को नोटिफाई करने पर ₹500 और इलाज पूरा करने पर ₹500।
ट्रीटमेंट सपोर्टर को प्रोत्साहन: छह माह में इलाज पूरा करने पर ₹1,000 और एमडीआर मरीज को ठीक करने पर ₹5,000।
सामान्य व्यक्ति को प्रोत्साहन: किसी मरीज को अस्पताल लाने और पुष्टि होने पर ₹500।
जिलाधिकारी विशाल राज ने कहा, “टीबी जैसी गंभीर बीमारी को हराने के लिए दवाओं का नियमित सेवन और जागरूकता आवश्यक है। मैं सभी से अपील करता हूं कि अपने आसपास किसी संभावित टीबी मरीज को नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र भेजें। टीबी का इलाज मुफ्त और प्रभावी है।”
टीबी से बचाव के उपाय
नियमित दवा का सेवन: दवाओं का पूरा कोर्स डॉक्टर की सलाह के अनुसार करें।
पोषण पर ध्यान: पोषण योजना का लाभ उठाएं।
समुदाय भागीदारी: संभावित मरीजों की पहचान कर उन्हें समय पर इलाज दिलाएं।
जागरूकता अभियान: टीबी के लक्षण, बचाव और इलाज के बारे में अधिक से अधिक लोगों को शिक्षित करें।
टीबी से लड़ाई कठिन जरूर है, लेकिन असंभव नहीं। सही इलाज, जागरूकता और सरकारी योजनाओं का लाभ उठाकर भारत को 2025 तक टीबी मुक्त बनाया जा सकता है। यह लक्ष्य तभी पूरा होगा, जब समाज का हर व्यक्ति अपनी जिम्मेदारी समझे और इस मिशन में योगदान दे।
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