सारस न्यूज, वेब डेस्क।
तुम चले गए मुझे छोड़कर,
या यूं कहूं कि मैंने तुम्हें जाने दिया।
तुम्हारे चले जाने में और मेरे जाने देने में,
शायद दोनों की मर्जी शामिल थी।
हाँ! पर कुछ वादे भी शामिल थे,
इन दोनों के दरमियान।
कुछ एहसास भी शामिल थे,
कुछ दर्द, कुछ सुकून और कुछ
खुशियाँ भी शामिल थीं।
शामिल थे वो पल जो,
तुम्हारे साथ बिताए थे मैंने।
शामिल थे वो एहसास जो
मैं आज भी महसूस करती हूँ आँखें बंद कर।
शामिल था वो दर्द जो आज भी
मेरी आँखों से छलकता है तुम्हें याद कर।
शामिल था वो सुकून अटूट विश्वास का,
जो आज भी हमारे दरमियान है।
दूर हैं मगर एक-दूसरे के दिल में हैं हम,
एक-दूसरे के बिल्कुल करीब हैं।
ख्यालों में ही सही।
तुम पास नहीं हो मेरे,
पर तुम हमेशा मेरे साथ रहते हो,
मेरे दिल में धड़कन बनकर,
होंठों पर जुबान,
आँखों में आँसू बनकर।
कुछ वादे भी शामिल हैं,
तुम्हारे चले जाने में और मेरे तुम्हें जाने देने में।
वादे हैं कि तुम मुझे कभी भूल नहीं पाओगे,
वादे यह भी हैं कि हकीकत में ना सही,
तुम ख्यालों में मुझसे मिलने जरूर आओगे।
मेरे मुरझाए हुए बसंत को,
अपनी यादों के फूलों से महकाओगे।
कुछ मेरे भी वादे हैं,
तुमसे भी और खुद से भी,
कि मैं तुम्हें अपने शब्दों में ढालती रहूंगी।
तुम्हारे प्रेम को कभी नहीं भूल पाऊंगी।
तुम्हारी जुदाई को, तुम्हारे दर्द को,
कागज पर उतारती रहूंगी।
जब तक चलती रहेंगी मेरी साँसे,
मैं तुम्हें प्यार करती रहूंगी।
जब भी छलकेंगी मेरी आँखें,
मैं उन्हें स्याही बना तुम्हें लिखती रहूंगी।
मेरी धड़कनों की बस एक ही ख्वाहिश है,
एक ही नाम है अब मेरी जुबां पर,
एक ही तस्वीर है मेरी आँखों में,
एक ही एहसास है मेरे दिल में अब,
और वो हो तुम।
सिर्फ तुम।
– बिंदु अग्रवाल