राजीव कुमार, सारस न्यूज।
प्राप्त जानकारी के अनुसार, ठाकुरगंज पुलिस के प्रतिवेदन के आधार पर न्यायालय अनुमंडल दंडाधिकारी किशनगंज के द्वारा केश नंबर 56/ M/2026 धारा 126 BNSS दर्ज किया गया है। इसमें ठाकुरगंज के कई प्रतिष्ठित लोगों का नाम शामिल है और इस कारण स्थानीय लोगों में काफी रोष है। इस सूची में नामित अधिकांश लोगों को अमूमन शांति व्यवस्था बनाए रखने हेतु शांति समिति की बैठकों में भाग लेने के लिए प्रशासन द्वारा आमंत्रित भी किया जाता है।
आम आदमी से लेकर खास सभी अचंभे में है कि आखिर ठाकुरगंज थानाध्यक्ष ने यह कैसा प्रतिवेदन दिया और क्या अनुशंसा किया है और क्यों किया है। प्रशाशन द्वारा जारी इस सूची और नोटिस पर लोग अपनी बात सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर रख रहे हैं और खासे नाराज दिख रहे हैं।
ठाकुरगंज के मुख्य पार्षद सिकंदर पटेल ने इसे बहुत दुखद बताते हुए कहा “प्रशासन के इस कृत्य की भर्त्सना करता हूं । शांति समिति के सदस्यों से भविष्य में होने वाली शांति समिति की बैठक के बहिष्कार का आह्वान करता हूं।”
ठाकुरगंज के पूर्व विधायक गोपाल अग्रवाल ने लिखा “प्रशासन के द्वारा रामनवमी के अवसर पर विधि व्यवस्था को बनाए रखने के लिए 107 में जिस तरह समाज के सम्मानित लोगों का नाम दिया गया है यह घोर निंदनीय है, मैं इसकी घोर निंदा करता हूं और आग्रह करता हूं कि इस 107 की सूची के विरोध ठाकुरगंज नागरिक थाना में आयोजित शांति समिति की आगामी बैठकों का बैठक का बहिष्कार करें।”
ठाकुरगंज के ही राजू ठाकुर ने लिखा “पुलिस प्रशासन जो समाज में आपसी सद्भावना, सामंजस्य, सौहार्दता और तटस्थता स्थापित करने के लिए जिन समाज सेवियों का सहारा लेता है, आज उनके द्वारा जारी इस नोटिस में कुछ ऐसे लोगों के नाम शामिल हैं जो बिल्कुल निंदनीय है। इसमें एक नाम विश्वजीत Jha का भी हैं जो वर्तमान में CRPF में असिस्टैंट कमांडेंट के पद पर नियुक्त हैं, जो बेटा देश की रक्षा बोर्डर पर करता है आज पुलिस प्रशासन द्वारा उनका नाम असमाजिक तत्वों को की श्रेणी में डाल कर उनको सम्मानित किया है”
पूर्व मुख्य पार्षद प्रमोद चौधरी ने इसे बहुत निंदनीय बताते हुए प्रशाशन द्वारा अपनी असफलता को छुपाने का प्रयास बताया है।
युवा जदयू बिहार सरकार के मुख्य प्रदेश महासचिव प्रशांत पटेल ने प्रशाशन से इस सूची में अविलंब सुधार की मांग करते हुए लिखा है कि “ठाकुरगंज समाज के प्रतिष्ठित बुद्धिजीवियों का इस तरह के नोटिस के सहारे धार्मिक कार्य क्रम में प्रोत्साहन के बजाय हतोत्साहित करना काफी निंदनीय । मैं प्रशासन से अनुरोध करता हूं कि अविलंब इसमें सुधार किया जाए ताकि आने वाले भविष्य को सही दिशा मिले और बेहतर सामाजिक सौहार्द का माहौल बने।”
