नक्सलबाड़ी: बंगाल, बिहार, झारखंड, उत्तर प्रदेश और नेपाल में मनाए जाने वाले लोक आस्था के पवित्र पर्व चैती छठ के तीसरे दिन, गुरुवार को भारत-नेपाल सीमा के मेची नदी तट पर छठव्रतियों ने अस्ताचलगामी भगवान सूर्य को पहला अर्घ्य अर्पित किया।
मेची नदी के घाटों पर हजारों श्रद्धालु एकत्रित हुए और छठ मैया से परिवार की सुख-शांति की कामना की। व्रती एवं उनके स्वजन पूजा सामग्रियों के साथ घरों से घाटों तक पहुंचे। घुटने तक पानी में उतरकर, हाथों में सूप और पूजन सामग्री लिए व्रतधारियों ने डूबते सूर्य को श्रद्धापूर्वक पहला अर्घ्य दिया।
व्रतधारियों ने सूप और बांस की डलिया में संतरा, गन्ना, अन्य फल एवं पूजन सामग्री रखकर, गाय के दूध से भगवान सूर्य को अर्घ्य अर्पित किया और सुख-समृद्धि की प्रार्थना की।
शुक्रवार को उगते सूर्य को अर्घ्य अर्पित करने के साथ व्रत संपन्न होगा। इसके बाद व्रती अपने घरों में भगवान को ठेकुआ और फल का भोग अर्पित कर 36 घंटे के निर्जला व्रत का पारण करेंगी। साथ ही, छठी मैया के लिए विशेष रूप से बनाए गए ठेकुए का प्रसाद वितरित करेंगी।
सारस न्यूज़, सिलीगुड़ी।
नक्सलबाड़ी: बंगाल, बिहार, झारखंड, उत्तर प्रदेश और नेपाल में मनाए जाने वाले लोक आस्था के पवित्र पर्व चैती छठ के तीसरे दिन, गुरुवार को भारत-नेपाल सीमा के मेची नदी तट पर छठव्रतियों ने अस्ताचलगामी भगवान सूर्य को पहला अर्घ्य अर्पित किया।
मेची नदी के घाटों पर हजारों श्रद्धालु एकत्रित हुए और छठ मैया से परिवार की सुख-शांति की कामना की। व्रती एवं उनके स्वजन पूजा सामग्रियों के साथ घरों से घाटों तक पहुंचे। घुटने तक पानी में उतरकर, हाथों में सूप और पूजन सामग्री लिए व्रतधारियों ने डूबते सूर्य को श्रद्धापूर्वक पहला अर्घ्य दिया।
व्रतधारियों ने सूप और बांस की डलिया में संतरा, गन्ना, अन्य फल एवं पूजन सामग्री रखकर, गाय के दूध से भगवान सूर्य को अर्घ्य अर्पित किया और सुख-समृद्धि की प्रार्थना की।
शुक्रवार को उगते सूर्य को अर्घ्य अर्पित करने के साथ व्रत संपन्न होगा। इसके बाद व्रती अपने घरों में भगवान को ठेकुआ और फल का भोग अर्पित कर 36 घंटे के निर्जला व्रत का पारण करेंगी। साथ ही, छठी मैया के लिए विशेष रूप से बनाए गए ठेकुए का प्रसाद वितरित करेंगी।
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