स्थानीय साहित्यिक संस्था इंद्रधनुष साहित्य परिषद की ओर से एक विशेष सम्मान समारोह का आयोजन प्रोफेसर कॉलोनी स्थित परिसर में किया गया, जिसमें फारबिसगंज कॉलेज के पूर्व अर्थशास्त्र विभागाध्यक्ष, वरिष्ठ शिक्षाविद् एवं प्रतिष्ठित साहित्यकार प्रो. तारकेश्वर मिश्र ‘मयंक’ को उनके उल्लेखनीय शैक्षणिक व साहित्यिक योगदान के लिए सम्मानित किया गया।
इस अवसर पर परिषद के संस्थापक बिनोद कुमार तिवारी तथा वरिष्ठ बाल साहित्यकार हेमंत यादव ने अपनी स्वरचित तीन बाल साहित्य कृतियाँ – दो बहादुर लड़के, नन्हा चित्रकार, और सबसे बड़ी है मानवता – स्मृति-चिह्न स्वरूप भेंट कर प्रो. मिश्र को श्रद्धा और सम्मान अर्पित किया।
हेमंत यादव ने अपने संबोधन में कहा, “प्रो. तारकेश्वर मिश्र मेरे आदर्श शिक्षक रहे हैं। उन्होंने न केवल कक्षा में उत्कृष्ट शिक्षण दिया, बल्कि साहित्यिक मंचों पर भी अपनी सृजनशीलता से अमिट छाप छोड़ी। कई नवोदित रचनाकारों को उन्होंने साहित्यिक पथ पर आगे बढ़ने की प्रेरणा दी और उन्हें पहचान दिलाई।”
संस्थापक बिनोद कुमार तिवारी ने कहा, “प्रो. मयंक जी का जीवन एक जीवंत प्रेरणा है। उनका व्यक्तित्व संयम, सादगी, ज्ञान और सेवा भावना का अद्भुत संगम है, जिसे आज की पीढ़ी को अपनाने की आवश्यकता है।”
कार्यक्रम में प्रो. मिश्र के ज्येष्ठ पुत्र प्रणय प्रसून भी विशेष रूप से उपस्थित रहे, जो स्वयं साहित्यकार हैं और वर्तमान में रक्षा मंत्रालय, नई दिल्ली में सेवा दे रहे हैं।
इस आयोजन ने न केवल एक विद्वान को सम्मानित किया, बल्कि साहित्य व शिक्षा के संगम की महत्ता को भी रेखांकित किया।
सारस न्यूज़, अररिया।
स्थानीय साहित्यिक संस्था इंद्रधनुष साहित्य परिषद की ओर से एक विशेष सम्मान समारोह का आयोजन प्रोफेसर कॉलोनी स्थित परिसर में किया गया, जिसमें फारबिसगंज कॉलेज के पूर्व अर्थशास्त्र विभागाध्यक्ष, वरिष्ठ शिक्षाविद् एवं प्रतिष्ठित साहित्यकार प्रो. तारकेश्वर मिश्र ‘मयंक’ को उनके उल्लेखनीय शैक्षणिक व साहित्यिक योगदान के लिए सम्मानित किया गया।
इस अवसर पर परिषद के संस्थापक बिनोद कुमार तिवारी तथा वरिष्ठ बाल साहित्यकार हेमंत यादव ने अपनी स्वरचित तीन बाल साहित्य कृतियाँ – दो बहादुर लड़के, नन्हा चित्रकार, और सबसे बड़ी है मानवता – स्मृति-चिह्न स्वरूप भेंट कर प्रो. मिश्र को श्रद्धा और सम्मान अर्पित किया।
हेमंत यादव ने अपने संबोधन में कहा, “प्रो. तारकेश्वर मिश्र मेरे आदर्श शिक्षक रहे हैं। उन्होंने न केवल कक्षा में उत्कृष्ट शिक्षण दिया, बल्कि साहित्यिक मंचों पर भी अपनी सृजनशीलता से अमिट छाप छोड़ी। कई नवोदित रचनाकारों को उन्होंने साहित्यिक पथ पर आगे बढ़ने की प्रेरणा दी और उन्हें पहचान दिलाई।”
संस्थापक बिनोद कुमार तिवारी ने कहा, “प्रो. मयंक जी का जीवन एक जीवंत प्रेरणा है। उनका व्यक्तित्व संयम, सादगी, ज्ञान और सेवा भावना का अद्भुत संगम है, जिसे आज की पीढ़ी को अपनाने की आवश्यकता है।”
कार्यक्रम में प्रो. मिश्र के ज्येष्ठ पुत्र प्रणय प्रसून भी विशेष रूप से उपस्थित रहे, जो स्वयं साहित्यकार हैं और वर्तमान में रक्षा मंत्रालय, नई दिल्ली में सेवा दे रहे हैं।
इस आयोजन ने न केवल एक विद्वान को सम्मानित किया, बल्कि साहित्य व शिक्षा के संगम की महत्ता को भी रेखांकित किया।
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