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इंसानियत की रक्षा करते हुए इंसान की सेवा करनी चाहिए – आचार्य प्रमुख सागर।


राहुल कुमार, सारस न्यूज, किशनगंज।

आचार्य पुष्पदंत सागर जी महाराज के प्रभावशाली शिष्य आचार्य प्रमुख सागर जी महाराज का पूर्वोत्तर से भ्रमण करते हुए किशनगंज जिले के मुख्यालय में पूरे संघ के साथ आगमन हुआ। महाराज ने अपने संघ के साथ असम, मेघालय, नागालैंड का पदभ्रमण करते हुए आगामी वर्षाकाल का चातुर्मास बंगाल की राजधानी कोलकाता में निश्चित किया है। नगर आगमन पर बिहार की सीमा से पूरे गाजे-बाजे के साथ बड़ी संख्या में स्त्री-पुरुषों ने उनका स्वागत किया। मंदिर जी में भगवान दर्शन के पश्चात धर्मशाला रोड स्थित पार्श्वनाथ भवन में आचार्य के ठहराव की व्यवस्था जैन समाज द्वारा निर्धारित की गई।

इस मौके पर आचार्य संघ की अगवानी करते हुए समाज के अध्यक्ष त्रिलोक चंद जैन ने कहा कि लगभग ढाई वर्ष पूर्व महाराज श्री ने किशनगंज से अपने पूर्वोत्तर के दौरे की शुरुआत की थी, जहाँ असम में गुवाहाटी, नागालैंड के दीमापुर में महाराज का चातुर्मास कार्यक्रम हुआ था। आज पुनः किशनगंज जैन समाज, महाराज श्री की अगवानी करते हुए गौरवान्वित महसूस कर रहा है।

कार्यक्रम में महाराज के दर्शन हेतु कोलकाता, दीमापुर, गुवाहाटी, नलबाड़ी, रंगिया, बंगाईगांव, सिलीगुड़ी, ठाकुरगंज, कानकी से पधारे श्रद्धालुओं को किशनगंज समाज द्वारा सम्मानित किया गया। कार्यक्रम की शुरुआत भक्तिभाव से मंगलाचरण द्वारा की गई।

अपने संबोधन में आचार्य प्रमुख सागर जी ने किशनगंज की धरती को ऐतिहासिक बताते हुए कहा कि यह स्थान अपने नाम के अनुसार कृष्ण की धरती है और आपसी सौहार्द का बेमिसाल प्रमाण है। लोगों को इंसानियत की रक्षा करते हुए इंसान की सेवा करनी चाहिए। परम पूज्य आचार्य प्रमुख सागर जी महाराज के संघ में 13 पिछ्छीधारी मुनियों का संगम है। उन्होंने कहा कि मनुष्य को कटुता छोड़कर इंसान के काम आना चाहिए और यही जैन धर्म का उद्देश्य है।

संघ के साथ चल रहे मुनि प्रभाकर सागर जी महाराज का आज जन्मदिवस भी धूमधाम और श्रद्धा के साथ मनाया गया, जहाँ आचार्य श्री ने अपने संबोधन में उन्हें आशीर्वाद देते हुए उनके लंबे धार्मिक जीवन की कामना की। मुनि प्रभाकर सागर जी महाराज ने इस मौके पर कहा कि “जन्म मेरा नहीं है, लेकिन मृत्यु को सुधारा जा सकता है। आत्मा से ही परमात्मा का मिलन होता है और यह कार्य गुरु ही सिखाता है।” मुनि श्री ने कहा कि वे भाग्यशाली हैं जिन्हें विशाल हृदय वाले गुरु का सानिध्य मिला है।

महाराज जी के आगमन पर समाज के सचिव संतोष पाटनी, महिला समाज की सचिव सविता पांड्या, जैन युवा मंडल के सुशील काला, विकास सेठी आदि ने अपने-अपने दायित्वों का निर्वाह किया।


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