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राजेश कुमार आयुक्त पूर्णिया प्रमंडल पूर्णिया की अध्यक्षता में महानंदा सभागार समाहरणालय में बैठक आयोजित।

राहुल कुमार, सारस न्यूज, किशनगंज।

राजेश कुमार (भा.प्र.से.) आयुक्त पूर्णिया प्रमंडल पूर्णिया की अध्यक्षता में महानंदा सभागार, समाहरणालय किशनगंज में सुरक्षा व्यवस्था एवं बाढ़/आपदा की पूर्व तैयारी तथा सरकार द्वारा संचालित विभिन्न कार्यक्रमों और जनकल्याणकारी एवं विकासात्मक योजनाओं की अद्यतन कार्य प्रगति तथा उपलब्धियों को लेकर संबंधित पदाधिकारियों के साथ उच्चस्तरीय बैठक का आयोजन किया गया।

आयुक्त महोदय द्वारा उक्त योजनाओं के क्रियान्वयन को लेकर कई महत्वपूर्ण दिशा-निर्देश दिए गए:

  • सीमावर्ती बॉर्डर पर रखें गहन निगरानी।
  • चेक पोस्टों पर आने-जाने वाले वाहनों एवं संदिग्ध व्यक्तियों पर रखें कड़ी नजर।
  • विस्थापित परिवारों के लिए शीघ्र पुनर्वास की व्यवस्था करें।
  • डॉ. अम्बेडकर समग्र सेवा अभियान का सुचारू रूप से आयोजन सुनिश्चित करें।
  • अभियान के तहत विशेष विकास शिविर में पूर्व प्राप्त तथा शिविर में प्राप्त आवेदनों का ऑनस्पॉट निष्पादन करें।

बैठक में किशनगंज के पुलिस अधीक्षक सागर कुमार, डीडीसी स्पर्श गुप्ता, आयुक्त के सचिव, उपनिदेशक जनसंपर्क क्षेत्र पूर्णिया प्रमंडल पूर्णिया, कुंदन कुमार सिंह, जनसंपर्क पदाधिकारी किशनगंज, आपदा प्रबंधन पदाधिकारी आदित्य कुमार सहित अन्य जिला स्तरीय पदाधिकारी उपस्थित थे।

बैठक में सर्वप्रथम संभावित बाढ़ क्षेत्र में नाव की व्यवस्था सुनिश्चित करने एवं उसका रेट निर्धारण करने के संबंध में निर्देश जारी किए गए। आयुक्त महोदय ने स्पष्ट रूप से कहा कि नाव संचालन की व्यवस्था सुचारु एवं पारदर्शी ढंग से की जाए, जिससे आमजन को सुविधा हो और किसी प्रकार की असुविधा या अधिक शुल्क न लगे।

इसके अतिरिक्त, बांध क्षेत्र की सुरक्षा एवं निगरानी को सुदृढ़ करने का निर्देश दिया गया। संबंधित विभागीय अधिकारियों को आवश्यक बुनियादी ढाँचा जैसे बाढ़ आश्रय स्थल, पशु चारा, पशु दवा, पेयजल, अस्थायी शौचालय, मानव-रक्षित दवा, संचार सुविधा, प्रकाश व्यवस्था आदि की समुचित व्यवस्था समय से करने का निर्देश दिया गया।

आयुक्त महोदय द्वारा नाव संचालन के रेट निर्धारण की अधिसूचना जल्द जारी करने का निर्देश दिया गया, जो जनहित एवं सुरक्षा की दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण है।

बैठक में जिला आपदा प्रबंधन पदाधिकारी द्वारा बताया गया कि राज्य सरकार द्वारा आपदा प्रबंधन विभाग, बिहार, पटना के माध्यम से राज्य आपदा मोचन कोष (SDRF) एवं राष्ट्रीय आपदा मोचन कोष (NDRF) से आपदाओं में मृत व्यक्तियों के आश्रितों को ₹4,00,000/- प्रति आश्रित की दर से अनुग्रह अनुदान की राशि प्रदान की गई है। जिले में अब तक कुल 54 परिवारों को विभिन्न मामलों में अनुदान वितरित किया गया, जो निम्नानुसार है:

  • डूबने से मृत्यु – 36 मामलों में पूर्ण भुगतान (कोई लंबित मामला नहीं)
  • गृह क्षति – 14 मामलों में पूर्ण भुगतान (कोई लंबित मामला नहीं)
  • पशु क्षति – 2 मामलों में पूर्ण भुगतान (कोई लंबित मामला नहीं)
  • वज्रपात से पशु क्षति – 2 मामलों में पूर्ण भुगतान (कोई लंबित मामला नहीं)

बाढ़ राहत वितरण (वर्ष 2024):
बाढ़ प्रभावित कुल 2,756 परिवारों को ₹7,000/- प्रति परिवार की दर से कुल ₹1,92,92,000/- की राहत राशि PFMS के माध्यम से सीधे उनके बैंक खातों में हस्तांतरित की गई है।

बाढ़ से क्षतिग्रस्त मकानों का मुआवजा:
वर्ष 2024 में बाढ़ के कारण 18 पक्के मकान तथा 173 झोपड़ियाँ क्षतिग्रस्त हुई हैं। संबंधित अंचलों द्वारा अभिलेखों की स्वीकृति के उपरांत राहत राशि स्वीकृत कर दी गई है तथा भुगतान की प्रक्रिया प्रारंभ है। आवश्यक राशि संबंधित अंचलों को उपवंटित कर दी गई है।

शिविल डिफेंस तथा आपदा प्रबंधन हेतु निर्देश:
आयुक्त महोदय द्वारा सिविल डिफेंस एक्ट, 1968 के तहत आपदा प्रबंधन कार्यों को सुदृढ़ बनाने हेतु निम्न निर्देश दिए गए:

  • शहर के 5 स्थानों एवं प्रत्येक प्रखंड मुख्यालय पर सायरन लगाए जाएंगे।
  • सायरन व अन्य उपकरणों की खरीद विभाग द्वारा सूचीबद्ध कंपनियों से की जाएगी।
  • सायरन/हूटर की खरीद समिति के माध्यम से की जाएगी।
  • अस्पतालों में आपदा चेतावनी हेतु सायरन एवं आपात सामग्रियों की व्यवस्था की जाएगी।
  • जिले में 291 प्रशिक्षित आपदा मित्र वर्तमान में सक्रिय हैं।
  • NCC, Scouts आदि संगठनों के माध्यम से शिविल डिफेंस वॉलंटियर्स की सूची तैयार की जाएगी।
  • BDO, CO, थाना अध्यक्ष, वार्ड सदस्य आदि को शिविल डिफेंस टीम में शामिल किया जाएगा।
  • चयनित वॉलंटियर्स का सत्यापन पूरी पारदर्शिता के साथ किया जाएगा।
  • वॉलंटियर्स के प्रशिक्षण हेतु विभिन्न संगठनों के साथ बैठक कर प्रशिक्षण रूपरेखा तैयार की जाएगी।

आयुक्त महोदय ने निर्देशित किया कि आपदा से पूर्व सभी तैयारियाँ समय पर पूर्ण कर ली जाएँ, ताकि आपदा की स्थिति में राहत एवं बचाव कार्यों को प्रभावी ढंग से संचालित किया जा सके। समन्वय एवं संसाधनों की उपलब्धता सुनिश्चित की जाए।


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