मध्यप्रदेश के वन मंत्री विजय शाह एक बार फिर विवादों में घिर गए हैं। इस बार वजह बनी है उनकी एक बेहद आपत्तिजनक और निंदनीय टिप्पणी, जिसे लेकर देशभर में आक्रोश देखा जा रहा है। मंत्री विजय शाह ने एक जनसभा के दौरान सेना में कार्यरत कर्नल सोफिया पर टिप्पणी करते हुए उन्हें “आतंकियों की बहन” बता दिया — और वह भी सिर्फ इसलिए क्योंकि वह एक मुसलमान महिला हैं।
सभा में यह बयान न केवल बेहद असंवेदनशील था, बल्कि यह उस सोच को उजागर करता है जो धर्म के आधार पर देशभक्ति और गद्दारी का पैमाना तय करती है। सोशल मीडिया पर मंत्री के बयान की तीखी आलोचना हो रही है, और हजारों लोग उनके इस्तीफे की मांग कर रहे हैं।
“माफी नहीं, इस्तीफा चाहिए”
घटनाक्रम के बाद भले ही मंत्री ने माफी मांगी हो, लेकिन लोगों का कहना है कि यह माफी पर्याप्त नहीं है। जिस तरह सार्वजनिक मंच से उन्होंने कर्नल सोफिया को आतंकियों से जोड़कर देश की बेटियों का अपमान किया, उसी तरह सार्वजनिक रूप से माफी मांगना और मंत्री पद से इस्तीफा देना ही एकमात्र उचित रास्ता है।
एक सामाजिक कार्यकर्ता ने कहा, “अगर एक मंत्री देश की सेवा कर रही महिला अफसर को उसके धर्म के आधार पर कटघरे में खड़ा करता है, तो उसे उस पद पर रहने का कोई नैतिक अधिकार नहीं है।”
कर्नल सोफ़िया पर मध्यप्रदेश के मंत्री विजय शाह की वाहियात टिप्पणी पर माफ़ी स्वीकार नहीं.. भरी सभा में देश की बेटी को, आतंकियों की बहन बताना सिर्फ़ इसलिए क्योंकि वो मुसलमान है!! क़तई बर्दाश्त नहीं किया जा सकता। जितने भोंडेपन से चीख़ -चीख़ कर कर्नल सोफ़िया पर टिप्पणी कर रहे थे उसी… pic.twitter.com/1g7OqZRycq
सेना में सेवा कर रही महिला अफसर को निशाना बनाना निंदनीय
कर्नल सोफिया जैसी महिलाएं देश के लिए सेवा, समर्पण और साहस का प्रतीक हैं। उनकी देशभक्ति पर सवाल उठाना न केवल अनुचित है, बल्कि उन सभी मुस्लिम नागरिकों का अपमान है जो दिन-रात देश की सेवा में लगे हैं। देश की सुरक्षा में लगे किसी भी अफसर को इस तरह के राजनीतिक एजेंडे का शिकार बनाना गंभीर चिंता का विषय है।
सियासी लाभ के लिए धार्मिक ध्रुवीकरण?
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह बयान एक सोची-समझी रणनीति का हिस्सा हो सकता है, जहां आगामी चुनावों को देखते हुए धार्मिक भावनाएं भड़काने की कोशिश की जा रही है। लेकिन यह भी स्पष्ट है कि अब जनता ऐसे बयानों को हल्के में नहीं लेती।
निष्कर्ष
यह मामला केवल एक टिप्पणी का नहीं, बल्कि उस सोच का है जो किसी की देशभक्ति को उसके धर्म के चश्मे से देखती है। यह एक इम्तहान है—राजनीति की मर्यादा का, जनता की सहनशीलता का और लोकतंत्र की परिपक्वता का।
क्या मंत्री इस्तीफा देंगे? अब निगाहें इस बात पर टिकी हैं कि क्या विजय शाह इस टिप्पणी की पूरी जिम्मेदारी लेकर मंत्री पद से इस्तीफा देंगे, या माफी के पीछे छिपकर बचने की कोशिश करेंगे।
सारस न्यूज़, वेब डेस्क।
मध्यप्रदेश के वन मंत्री विजय शाह एक बार फिर विवादों में घिर गए हैं। इस बार वजह बनी है उनकी एक बेहद आपत्तिजनक और निंदनीय टिप्पणी, जिसे लेकर देशभर में आक्रोश देखा जा रहा है। मंत्री विजय शाह ने एक जनसभा के दौरान सेना में कार्यरत कर्नल सोफिया पर टिप्पणी करते हुए उन्हें “आतंकियों की बहन” बता दिया — और वह भी सिर्फ इसलिए क्योंकि वह एक मुसलमान महिला हैं।
सभा में यह बयान न केवल बेहद असंवेदनशील था, बल्कि यह उस सोच को उजागर करता है जो धर्म के आधार पर देशभक्ति और गद्दारी का पैमाना तय करती है। सोशल मीडिया पर मंत्री के बयान की तीखी आलोचना हो रही है, और हजारों लोग उनके इस्तीफे की मांग कर रहे हैं।
“माफी नहीं, इस्तीफा चाहिए”
घटनाक्रम के बाद भले ही मंत्री ने माफी मांगी हो, लेकिन लोगों का कहना है कि यह माफी पर्याप्त नहीं है। जिस तरह सार्वजनिक मंच से उन्होंने कर्नल सोफिया को आतंकियों से जोड़कर देश की बेटियों का अपमान किया, उसी तरह सार्वजनिक रूप से माफी मांगना और मंत्री पद से इस्तीफा देना ही एकमात्र उचित रास्ता है।
एक सामाजिक कार्यकर्ता ने कहा, “अगर एक मंत्री देश की सेवा कर रही महिला अफसर को उसके धर्म के आधार पर कटघरे में खड़ा करता है, तो उसे उस पद पर रहने का कोई नैतिक अधिकार नहीं है।”
कर्नल सोफ़िया पर मध्यप्रदेश के मंत्री विजय शाह की वाहियात टिप्पणी पर माफ़ी स्वीकार नहीं.. भरी सभा में देश की बेटी को, आतंकियों की बहन बताना सिर्फ़ इसलिए क्योंकि वो मुसलमान है!! क़तई बर्दाश्त नहीं किया जा सकता। जितने भोंडेपन से चीख़ -चीख़ कर कर्नल सोफ़िया पर टिप्पणी कर रहे थे उसी… pic.twitter.com/1g7OqZRycq
सेना में सेवा कर रही महिला अफसर को निशाना बनाना निंदनीय
कर्नल सोफिया जैसी महिलाएं देश के लिए सेवा, समर्पण और साहस का प्रतीक हैं। उनकी देशभक्ति पर सवाल उठाना न केवल अनुचित है, बल्कि उन सभी मुस्लिम नागरिकों का अपमान है जो दिन-रात देश की सेवा में लगे हैं। देश की सुरक्षा में लगे किसी भी अफसर को इस तरह के राजनीतिक एजेंडे का शिकार बनाना गंभीर चिंता का विषय है।
सियासी लाभ के लिए धार्मिक ध्रुवीकरण?
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह बयान एक सोची-समझी रणनीति का हिस्सा हो सकता है, जहां आगामी चुनावों को देखते हुए धार्मिक भावनाएं भड़काने की कोशिश की जा रही है। लेकिन यह भी स्पष्ट है कि अब जनता ऐसे बयानों को हल्के में नहीं लेती।
निष्कर्ष
यह मामला केवल एक टिप्पणी का नहीं, बल्कि उस सोच का है जो किसी की देशभक्ति को उसके धर्म के चश्मे से देखती है। यह एक इम्तहान है—राजनीति की मर्यादा का, जनता की सहनशीलता का और लोकतंत्र की परिपक्वता का।
क्या मंत्री इस्तीफा देंगे? अब निगाहें इस बात पर टिकी हैं कि क्या विजय शाह इस टिप्पणी की पूरी जिम्मेदारी लेकर मंत्री पद से इस्तीफा देंगे, या माफी के पीछे छिपकर बचने की कोशिश करेंगे।
Leave a Reply