सारस न्यूज वेब डेस्क।
क्षेत्र में बीते तीन रातों से लगातार हो रही बारिश ने मक्का की खेती करने वाले किसानों के लिए बड़ी मुश्किल खड़ी कर दी है। खेतों में पानी भर जाने से मक्का की तैयार फसल की कटाई और संग्रहण कार्य बुरी तरह प्रभावित हुआ है। जानकारी के मुताबिक, किसान खेतों में तैयार फसल को नहीं निकाल पा रहे हैं, जिससे भारी आर्थिक नुकसान की आशंका जताई जा रही है।
स्थानीय किसानों ने बताया कि यदि मौसम जल्द नहीं सुधरा, तो मक्का की बाली सड़ने का खतरा बढ़ जाएगा। चूंकि धान के बाद मक्का इस क्षेत्र की दूसरी सबसे महत्वपूर्ण फसल मानी जाती है, ऐसे में यह स्थिति किसानों की आजीविका पर प्रतिकूल असर डाल सकती है। उल्लेखनीय है कि मक्का का बाजार मूल्य लगभग 2,000 रुपये प्रति क्विंटल है, और यह फसल वर्षों से किसानों की आर्थिक स्थिति सुधारने में सहायक रही है।
संबंधित सूत्रों के अनुसार, लगातार बदलते मौसम और धूप न निकलने के कारण किसान फसल की तुड़ाई को जोखिमपूर्ण मान रहे हैं। फसल की बिक्री के लिए निकटवर्ती पश्चिम बंगाल स्थित कानकी और दालकोला की मंडियों पर क्षेत्र का भारी निर्भरता है। मक्का सीजन के दौरान रोजाना सैकड़ों ट्रैक्टर-ट्रॉलियां बहादुरगंज-किशनगंज मार्ग से होकर इन मंडियों की ओर जाती हैं।
हालांकि खेतों में अब भी 50 प्रतिशत से अधिक मक्का फसल खड़ी है, लेकिन प्रतिकूल मौसम के चलते किसान असमंजस में हैं कि फसल को कैसे और कब संभालें। यदि स्थिति यूं ही बनी रही, तो इसका व्यापक असर पूरे क्षेत्र की कृषि व्यवस्था पर पड़ सकता है।