महिला सशक्तिकरण को मजबूत आधार देने की दिशा में अररिया जिला प्रशासन द्वारा चलाया जा रहा “महिला संवाद कार्यक्रम” एक सशक्त पहल बनकर उभरा है। इस कार्यक्रम के माध्यम से दूर-दराज़ की महिलाएं भी सरकार की योजनाओं के बारे में जागरूक हो रही हैं और आत्मनिर्भरता की दिशा में आगे बढ़ रही हैं।
कार्यक्रम का सकारात्मक प्रभाव स्पष्ट रूप से देखा जा रहा है—जहाँ पहले महिलाएं योजनाओं की जानकारी से वंचित थीं, अब वही महिलाएं अपने अधिकारों और लाभों को लेकर न सिर्फ सजग हो रही हैं, बल्कि उन्हें प्राप्त करने के लिए तत्पर भी दिख रही हैं।
18 अप्रैल से लगातार हो रही है पहल
अररिया जिले में यह कार्यक्रम 18 अप्रैल 2025 से प्रतिदिन संचालित किया जा रहा है। इस अभियान के तहत 18 संवाद रथ, रोजाना 36 स्थानों पर महिला संवाद आयोजित कर रहे हैं। प्रत्येक रथ पर लगी एलईडी स्क्रीन के माध्यम से तीन महत्वपूर्ण लघु फिल्मों का प्रदर्शन किया जा रहा है:
महिला सशक्तिकरण पर आधारित फिल्म (सूचना एवं जनसंपर्क विभाग)
जीविका की सफलता की कहानियाँ (ग्रामीण विकास विभाग)
बिहार की विकास यात्रा (मुख्यमंत्री के नेतृत्व में)
इसके साथ ही रंगीन लीफलेट्स का वितरण भी किया जा रहा है, जिनमें सरकार की कल्याणकारी योजनाओं की संक्षिप्त लेकिन सटीक जानकारी दी गई है।
महिलाओं की आकांक्षाओं को मिल रहा मंच
कार्यक्रम की एक विशेष बात यह है कि इसमें शामिल महिलाएं अपनी व्यक्तिगत या सामुदायिक समस्याएं और आकांक्षाएं सीधे साझा कर रही हैं। ये प्रविष्टियां मोबाइल एप और रजिस्टर में दर्ज की जाती हैं, जिन्हें जिलाधिकारी और अन्य वरिष्ठ अधिकारी देख रहे हैं और समस्याओं के समाधान की दिशा में प्रयासरत हैं।
इस पहल से न सिर्फ महिलाओं को मंच मिला है, बल्कि उनकी बातों को तवज्जो भी दी जा रही है—जिससे उनका आत्मविश्वास बढ़ा है।
स्थानीय मुद्दे भी हो रहे उजागर
गुरुवार को पलासी प्रखंड की संगीता देवी ने कार्यक्रम के दौरान अनाज भंडारण की उचित व्यवस्था की मांग उठाई। उन्होंने बताया कि भंडारण सुविधा न होने से विशेषकर बरसात में किसानों को भारी नुकसान होता है। उनका सुझाव है कि पंचायत स्तर पर सरकारी गोदाम या सुरक्षित भंडारण की व्यवस्था की जाए।
इसके अलावा कई महिलाओं ने यातायात के अभाव पर चिंता व्यक्त की। उनका कहना था कि शाम के बाद गांवों से ज़िले तक आवागमन के सीमित विकल्प के कारण सुरक्षा और सुविधा, दोनों प्रभावित होती हैं। महिलाओं ने सरकार से इस दिशा में ठोस कदम उठाने की अपील की।
महिला संवाद बन रहा है परिवर्तन का माध्यम
संपूर्ण रूप से देखा जाए तो “महिला संवाद” केवल एक कार्यक्रम नहीं, बल्कि एक लोक-संवेदनशील जनचेतना अभियान बन चुका है। महिलाएं न केवल इसमें सक्रिय भागीदारी निभा रही हैं, बल्कि इसे अपनी आकांक्षाओं की पूर्ति का माध्यम भी मान रही हैं। सरकार और प्रशासन की सक्रियता के चलते यह संवाद धीरे-धीरे ग्रामीण महिलाओं के सशक्तिकरण की मिसाल बनता जा रहा है।
सारस न्यूज़, अररिया।
महिला सशक्तिकरण को मजबूत आधार देने की दिशा में अररिया जिला प्रशासन द्वारा चलाया जा रहा “महिला संवाद कार्यक्रम” एक सशक्त पहल बनकर उभरा है। इस कार्यक्रम के माध्यम से दूर-दराज़ की महिलाएं भी सरकार की योजनाओं के बारे में जागरूक हो रही हैं और आत्मनिर्भरता की दिशा में आगे बढ़ रही हैं।
कार्यक्रम का सकारात्मक प्रभाव स्पष्ट रूप से देखा जा रहा है—जहाँ पहले महिलाएं योजनाओं की जानकारी से वंचित थीं, अब वही महिलाएं अपने अधिकारों और लाभों को लेकर न सिर्फ सजग हो रही हैं, बल्कि उन्हें प्राप्त करने के लिए तत्पर भी दिख रही हैं।
18 अप्रैल से लगातार हो रही है पहल
अररिया जिले में यह कार्यक्रम 18 अप्रैल 2025 से प्रतिदिन संचालित किया जा रहा है। इस अभियान के तहत 18 संवाद रथ, रोजाना 36 स्थानों पर महिला संवाद आयोजित कर रहे हैं। प्रत्येक रथ पर लगी एलईडी स्क्रीन के माध्यम से तीन महत्वपूर्ण लघु फिल्मों का प्रदर्शन किया जा रहा है:
महिला सशक्तिकरण पर आधारित फिल्म (सूचना एवं जनसंपर्क विभाग)
जीविका की सफलता की कहानियाँ (ग्रामीण विकास विभाग)
बिहार की विकास यात्रा (मुख्यमंत्री के नेतृत्व में)
इसके साथ ही रंगीन लीफलेट्स का वितरण भी किया जा रहा है, जिनमें सरकार की कल्याणकारी योजनाओं की संक्षिप्त लेकिन सटीक जानकारी दी गई है।
महिलाओं की आकांक्षाओं को मिल रहा मंच
कार्यक्रम की एक विशेष बात यह है कि इसमें शामिल महिलाएं अपनी व्यक्तिगत या सामुदायिक समस्याएं और आकांक्षाएं सीधे साझा कर रही हैं। ये प्रविष्टियां मोबाइल एप और रजिस्टर में दर्ज की जाती हैं, जिन्हें जिलाधिकारी और अन्य वरिष्ठ अधिकारी देख रहे हैं और समस्याओं के समाधान की दिशा में प्रयासरत हैं।
इस पहल से न सिर्फ महिलाओं को मंच मिला है, बल्कि उनकी बातों को तवज्जो भी दी जा रही है—जिससे उनका आत्मविश्वास बढ़ा है।
स्थानीय मुद्दे भी हो रहे उजागर
गुरुवार को पलासी प्रखंड की संगीता देवी ने कार्यक्रम के दौरान अनाज भंडारण की उचित व्यवस्था की मांग उठाई। उन्होंने बताया कि भंडारण सुविधा न होने से विशेषकर बरसात में किसानों को भारी नुकसान होता है। उनका सुझाव है कि पंचायत स्तर पर सरकारी गोदाम या सुरक्षित भंडारण की व्यवस्था की जाए।
इसके अलावा कई महिलाओं ने यातायात के अभाव पर चिंता व्यक्त की। उनका कहना था कि शाम के बाद गांवों से ज़िले तक आवागमन के सीमित विकल्प के कारण सुरक्षा और सुविधा, दोनों प्रभावित होती हैं। महिलाओं ने सरकार से इस दिशा में ठोस कदम उठाने की अपील की।
महिला संवाद बन रहा है परिवर्तन का माध्यम
संपूर्ण रूप से देखा जाए तो “महिला संवाद” केवल एक कार्यक्रम नहीं, बल्कि एक लोक-संवेदनशील जनचेतना अभियान बन चुका है। महिलाएं न केवल इसमें सक्रिय भागीदारी निभा रही हैं, बल्कि इसे अपनी आकांक्षाओं की पूर्ति का माध्यम भी मान रही हैं। सरकार और प्रशासन की सक्रियता के चलते यह संवाद धीरे-धीरे ग्रामीण महिलाओं के सशक्तिकरण की मिसाल बनता जा रहा है।
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