किशनगंज जिले के विभिन्न प्रखंडों में आयोजित महिला संवाद कार्यक्रम में महिलाओं ने आत्मविश्वास के साथ भाग लिया और अपने जीवन के अनुभवों को साझा करते हुए स्थानीय विकास से जुड़ी कई अहम बातें सरकार के समक्ष रखीं। कार्यक्रम में महिलाओं ने न सिर्फ अपनी सफलताओं की कहानी सुनाई, बल्कि योजनाओं में बदलाव, मूलभूत सुविधाओं में सुधार और सामाजिक-आर्थिक विकास के लिए भी ठोस सुझाव दिए।
कोचाधामन प्रखंड की पाटकोई कला पंचायत से आई शांति कुमारी ने बताया कि वे ‘पशु सखी’ के रूप में कार्यरत हैं और अपने पंचायत के लगभग तीन सौ बकरीपालकों को सेवा प्रदान कर रही हैं। उन्होंने कहा कि वह बकरियों को कृमिनाशक दवा पिलाने, टीकाकरण तथा बंध्याकरण जैसे कार्य कर रही हैं, जिससे उन्हें हर महीने पंद्रह हजार रुपये से अधिक की आमदनी हो जाती है। उन्होंने कहा कि पहले उनकी आर्थिक स्थिति ठीक नहीं थी, लेकिन स्वयं सहायता समूह से जुड़ने के बाद उन्हें यह काम मिला, जिससे न सिर्फ आमदनी बढ़ी, बल्कि समाज में एक नई पहचान भी मिली।
इसी पंचायत की एक अन्य महिला, प्रतिमा देवी ने अपने अनुभव साझा करते हुए बताया कि वे ‘हीना जीविका स्वयं सहायता समूह’ से ऋण लेकर खेतीबाड़ी करती हैं। वह अन्न व सब्जियों की खेती कर रही हैं, जिससे उन्हें अच्छी आमदनी हो रही है। उन्होंने कहा कि समूह से उन्हें बेहद कम ब्याज दर पर आसानी से ऋण मिल जाता है, जिससे अब उन्हें महाजनों पर निर्भर नहीं रहना पड़ता।
महिला संवाद कार्यक्रम में किशनगंज सदर प्रखंड के गाछपाड़ा पंचायत की नीलम ने आवास योजना की राशि में वृद्धि की मांग की। उन्होंने कहा कि निर्माण सामग्री की कीमतें लगातार बढ़ रही हैं, जिससे सरकार द्वारा दी जाने वाली राशि अपर्याप्त साबित हो रही है। उन्होंने रसोई गैस की बढ़ती कीमतों को लेकर भी चिंता जताई और इसकी दरों को कम करने की मांग की।
ठाकुरगंज प्रखंड के कुकुरबाघी पंचायत की किरण देवी ने गाँव और टोलों की सड़कों की मरम्मत नियमित रूप से कराने की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने कहा कि खराब सड़कों के कारण लोगों को आवागमन में कठिनाई होती है। वहीं, इसी पंचायत की सीता देवी ने स्वास्थ्य, पोषण और स्वच्छता के क्षेत्र में सुधार की आवश्यकता जताई। उन्होंने आंगनबाड़ी केंद्रों पर गर्भवती महिलाओं और बच्चों को दी जाने वाली सुविधाओं को बढ़ाने का सुझाव दिया।
कार्यक्रम में शामिल महिलाओं ने स्पष्ट शब्दों में बताया कि सरकार की विभिन्न योजनाओं से उन्हें आत्मनिर्भर बनने का अवसर मिला है। वे अब अपने क्षेत्र की समस्याओं को समझती हैं और नीतिगत बदलावों को लेकर सरकार को सुझाव देने में भी पीछे नहीं हैं। महिला संवाद कार्यक्रम इन महिलाओं को एक ऐसा मंच प्रदान कर रहा है, जहाँ वे बिना किसी संकोच के अपनी बात कह पा रही हैं।
इस कार्यक्रम ने यह स्पष्ट कर दिया कि जब महिलाओं को अवसर दिया जाता है, तो वे सामाजिक और आर्थिक परिवर्तन की दिशा में उल्लेखनीय भूमिका निभा सकती हैं।
राहुल कुमार, सारस न्यूज़, किशनगंज।
किशनगंज जिले के विभिन्न प्रखंडों में आयोजित महिला संवाद कार्यक्रम में महिलाओं ने आत्मविश्वास के साथ भाग लिया और अपने जीवन के अनुभवों को साझा करते हुए स्थानीय विकास से जुड़ी कई अहम बातें सरकार के समक्ष रखीं। कार्यक्रम में महिलाओं ने न सिर्फ अपनी सफलताओं की कहानी सुनाई, बल्कि योजनाओं में बदलाव, मूलभूत सुविधाओं में सुधार और सामाजिक-आर्थिक विकास के लिए भी ठोस सुझाव दिए।
कोचाधामन प्रखंड की पाटकोई कला पंचायत से आई शांति कुमारी ने बताया कि वे ‘पशु सखी’ के रूप में कार्यरत हैं और अपने पंचायत के लगभग तीन सौ बकरीपालकों को सेवा प्रदान कर रही हैं। उन्होंने कहा कि वह बकरियों को कृमिनाशक दवा पिलाने, टीकाकरण तथा बंध्याकरण जैसे कार्य कर रही हैं, जिससे उन्हें हर महीने पंद्रह हजार रुपये से अधिक की आमदनी हो जाती है। उन्होंने कहा कि पहले उनकी आर्थिक स्थिति ठीक नहीं थी, लेकिन स्वयं सहायता समूह से जुड़ने के बाद उन्हें यह काम मिला, जिससे न सिर्फ आमदनी बढ़ी, बल्कि समाज में एक नई पहचान भी मिली।
इसी पंचायत की एक अन्य महिला, प्रतिमा देवी ने अपने अनुभव साझा करते हुए बताया कि वे ‘हीना जीविका स्वयं सहायता समूह’ से ऋण लेकर खेतीबाड़ी करती हैं। वह अन्न व सब्जियों की खेती कर रही हैं, जिससे उन्हें अच्छी आमदनी हो रही है। उन्होंने कहा कि समूह से उन्हें बेहद कम ब्याज दर पर आसानी से ऋण मिल जाता है, जिससे अब उन्हें महाजनों पर निर्भर नहीं रहना पड़ता।
महिला संवाद कार्यक्रम में किशनगंज सदर प्रखंड के गाछपाड़ा पंचायत की नीलम ने आवास योजना की राशि में वृद्धि की मांग की। उन्होंने कहा कि निर्माण सामग्री की कीमतें लगातार बढ़ रही हैं, जिससे सरकार द्वारा दी जाने वाली राशि अपर्याप्त साबित हो रही है। उन्होंने रसोई गैस की बढ़ती कीमतों को लेकर भी चिंता जताई और इसकी दरों को कम करने की मांग की।
ठाकुरगंज प्रखंड के कुकुरबाघी पंचायत की किरण देवी ने गाँव और टोलों की सड़कों की मरम्मत नियमित रूप से कराने की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने कहा कि खराब सड़कों के कारण लोगों को आवागमन में कठिनाई होती है। वहीं, इसी पंचायत की सीता देवी ने स्वास्थ्य, पोषण और स्वच्छता के क्षेत्र में सुधार की आवश्यकता जताई। उन्होंने आंगनबाड़ी केंद्रों पर गर्भवती महिलाओं और बच्चों को दी जाने वाली सुविधाओं को बढ़ाने का सुझाव दिया।
कार्यक्रम में शामिल महिलाओं ने स्पष्ट शब्दों में बताया कि सरकार की विभिन्न योजनाओं से उन्हें आत्मनिर्भर बनने का अवसर मिला है। वे अब अपने क्षेत्र की समस्याओं को समझती हैं और नीतिगत बदलावों को लेकर सरकार को सुझाव देने में भी पीछे नहीं हैं। महिला संवाद कार्यक्रम इन महिलाओं को एक ऐसा मंच प्रदान कर रहा है, जहाँ वे बिना किसी संकोच के अपनी बात कह पा रही हैं।
इस कार्यक्रम ने यह स्पष्ट कर दिया कि जब महिलाओं को अवसर दिया जाता है, तो वे सामाजिक और आर्थिक परिवर्तन की दिशा में उल्लेखनीय भूमिका निभा सकती हैं।
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