बहादुरगंज प्रखंड के दोहर पंचायत में आयोजित महिला संवाद कार्यक्रम के दौरान ग्रामीण महिलाओं ने अपने अनुभवों और आकांक्षाओं को खुलकर साझा किया। इस कार्यक्रम ने न सिर्फ उनके आत्मविश्वास को मंच दिया, बल्कि यह दिखाया कि कैसे स्वयं सहायता समूहों (SHG) के ज़रिए महिलाएँ आर्थिक स्वावलंबन की राह पर अग्रसर हैं।
कार्यक्रम में अजिला बेगम ने बताया कि उन्होंने जसमीन जीविका स्वयं सहायता समूह से ऋण लेकर एक किराना दुकान शुरू की और बटाई पर ज़मीन लेकर खेती भी शुरू की है। अब वे अपने परिवार का खर्च स्वयं चला रही हैं और पहले से बेहतर जीवन जी रही हैं।
वहीं, रोबिना बेगम ने बताया कि उन्होंने चंपा जीविका समूह से ऋण लेकर कॉस्मेटिक की दुकान शुरू की है जिससे अच्छी आय हो रही है। अब वे न सिर्फ आत्मनिर्भर हैं, बल्कि अपने बच्चों की पढ़ाई भी अच्छे से करवा पा रही हैं।
महिलाओं ने इस दौरान राशन, पेंशन, छात्रवृत्ति, पोशाक व साइकिल योजना में राशि बढ़ाने, तथा सड़क, बिजली और पानी जैसी बुनियादी समस्याओं को लेकर भी अपनी बातें मजबूती से रखीं।
इस संवाद कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य महिलाओं को एक मंच देना है, जहाँ वे अपनी स्थानीय और नीतिगत समस्याएँ व आकांक्षाएँ साझा कर सकें। इन विचारों को सरकार के संबंधित विभागों तक पहुँचाया जाएगा ताकि योजनाओं में आवश्यक बदलाव संभव हो सके।
कार्यक्रम के दौरान एलईडी स्क्रीन के माध्यम से सरकारी योजनाओं से संबंधित फिल्में दिखाई गईं, जिससे महिलाओं को योजनाओं की जानकारी मिली। साथ ही लीफलेट बाँटे गए और महिला सशक्तिकरण से जुड़ी बातों को पढ़कर भी सुनाया गया।
यह कार्यक्रम ग्रामीण महिलाओं के जीवन में सकारात्मक बदलाव लाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल बनकर उभरा है, जिससे उन्हें आगे बढ़ने की प्रेरणा और मार्गदर्शन दोनों मिल रहे हैं।
राहुल कुमार, सारस न्यूज़, किशनगंज।
बहादुरगंज प्रखंड के दोहर पंचायत में आयोजित महिला संवाद कार्यक्रम के दौरान ग्रामीण महिलाओं ने अपने अनुभवों और आकांक्षाओं को खुलकर साझा किया। इस कार्यक्रम ने न सिर्फ उनके आत्मविश्वास को मंच दिया, बल्कि यह दिखाया कि कैसे स्वयं सहायता समूहों (SHG) के ज़रिए महिलाएँ आर्थिक स्वावलंबन की राह पर अग्रसर हैं।
कार्यक्रम में अजिला बेगम ने बताया कि उन्होंने जसमीन जीविका स्वयं सहायता समूह से ऋण लेकर एक किराना दुकान शुरू की और बटाई पर ज़मीन लेकर खेती भी शुरू की है। अब वे अपने परिवार का खर्च स्वयं चला रही हैं और पहले से बेहतर जीवन जी रही हैं।
वहीं, रोबिना बेगम ने बताया कि उन्होंने चंपा जीविका समूह से ऋण लेकर कॉस्मेटिक की दुकान शुरू की है जिससे अच्छी आय हो रही है। अब वे न सिर्फ आत्मनिर्भर हैं, बल्कि अपने बच्चों की पढ़ाई भी अच्छे से करवा पा रही हैं।
महिलाओं ने इस दौरान राशन, पेंशन, छात्रवृत्ति, पोशाक व साइकिल योजना में राशि बढ़ाने, तथा सड़क, बिजली और पानी जैसी बुनियादी समस्याओं को लेकर भी अपनी बातें मजबूती से रखीं।
इस संवाद कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य महिलाओं को एक मंच देना है, जहाँ वे अपनी स्थानीय और नीतिगत समस्याएँ व आकांक्षाएँ साझा कर सकें। इन विचारों को सरकार के संबंधित विभागों तक पहुँचाया जाएगा ताकि योजनाओं में आवश्यक बदलाव संभव हो सके।
कार्यक्रम के दौरान एलईडी स्क्रीन के माध्यम से सरकारी योजनाओं से संबंधित फिल्में दिखाई गईं, जिससे महिलाओं को योजनाओं की जानकारी मिली। साथ ही लीफलेट बाँटे गए और महिला सशक्तिकरण से जुड़ी बातों को पढ़कर भी सुनाया गया।
यह कार्यक्रम ग्रामीण महिलाओं के जीवन में सकारात्मक बदलाव लाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल बनकर उभरा है, जिससे उन्हें आगे बढ़ने की प्रेरणा और मार्गदर्शन दोनों मिल रहे हैं।
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