किशनगंज जिले में महिला सशक्तिकरण को बढ़ावा देने के लिए आयोजित महिला संवाद कार्यक्रम एक जनआंदोलन का रूप ले चुका है। बदलते मौसम और चुनौतियों के बावजूद जिले की महिलाएं पूरे जोश से इन कार्यक्रमों में हिस्सा ले रही हैं। अब तक जिले के 1130 ग्राम संगठनों में यह कार्यक्रम संपन्न हो चुका है, जिसमें 2 लाख 23 हजार से अधिक महिलाओं ने सक्रिय भागीदारी निभाई है।
यह अभियान जिले के 1262 ग्राम संगठनों में चरणबद्ध तरीके से चलाया जा रहा है। महिलाओं द्वारा साझा की जा रही आकांक्षाएं, अनुभव और सुझाव समाजिक विकास की दिशा में ठोस कदम साबित हो रहे हैं। किशनगंज सदर प्रखंड में लक्षित सभी ग्राम संगठनों में महिला संवाद पूरे हो चुके हैं, जबकि अन्य प्रखंडों में कार्यक्रम लगातार दोनों पालियों में आयोजित हो रहे हैं।
शुक्रवार को बहादुरगंज, दिघलबैंक, कोचाधामन, पोठिया, ठाकुरगंज और टेढ़ागाछ प्रखंड के कई गांवों में महिला संवाद आयोजित हुए। इन संवादों में महिलाओं ने स्वरोजगार, शिक्षा और समाज में अपनी भूमिका पर खुलकर चर्चा की। कोचाधामन की फातिमा खातून ने बताया कि वे जीविका समूह से ऋण लेकर पशुपालन और खेती में आत्मनिर्भर बन चुकी हैं। उन्होंने कहा कि समूह से जुड़कर अब महिलाएं महाजनों पर निर्भर नहीं हैं और अपनी कमाई से परिवार का सहारा बन रही हैं।
महिला संवाद कार्यक्रम न केवल महिलाओं को मंच दे रहा है, बल्कि उनके आत्मविश्वास और आर्थिक मजबूती की नई इबारत भी लिख रहा है।
राहुल कुमार, सारस न्यूज़, किशनगंज।
किशनगंज जिले में महिला सशक्तिकरण को बढ़ावा देने के लिए आयोजित महिला संवाद कार्यक्रम एक जनआंदोलन का रूप ले चुका है। बदलते मौसम और चुनौतियों के बावजूद जिले की महिलाएं पूरे जोश से इन कार्यक्रमों में हिस्सा ले रही हैं। अब तक जिले के 1130 ग्राम संगठनों में यह कार्यक्रम संपन्न हो चुका है, जिसमें 2 लाख 23 हजार से अधिक महिलाओं ने सक्रिय भागीदारी निभाई है।
यह अभियान जिले के 1262 ग्राम संगठनों में चरणबद्ध तरीके से चलाया जा रहा है। महिलाओं द्वारा साझा की जा रही आकांक्षाएं, अनुभव और सुझाव समाजिक विकास की दिशा में ठोस कदम साबित हो रहे हैं। किशनगंज सदर प्रखंड में लक्षित सभी ग्राम संगठनों में महिला संवाद पूरे हो चुके हैं, जबकि अन्य प्रखंडों में कार्यक्रम लगातार दोनों पालियों में आयोजित हो रहे हैं।
शुक्रवार को बहादुरगंज, दिघलबैंक, कोचाधामन, पोठिया, ठाकुरगंज और टेढ़ागाछ प्रखंड के कई गांवों में महिला संवाद आयोजित हुए। इन संवादों में महिलाओं ने स्वरोजगार, शिक्षा और समाज में अपनी भूमिका पर खुलकर चर्चा की। कोचाधामन की फातिमा खातून ने बताया कि वे जीविका समूह से ऋण लेकर पशुपालन और खेती में आत्मनिर्भर बन चुकी हैं। उन्होंने कहा कि समूह से जुड़कर अब महिलाएं महाजनों पर निर्भर नहीं हैं और अपनी कमाई से परिवार का सहारा बन रही हैं।
महिला संवाद कार्यक्रम न केवल महिलाओं को मंच दे रहा है, बल्कि उनके आत्मविश्वास और आर्थिक मजबूती की नई इबारत भी लिख रहा है।
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