सारस न्यूज, किशनगंज।
बिहार में जारी अपनी बिहार बदलाव यात्रा के तहत जन सुराज के सूत्रधार प्रशांत किशोर ने गोपालगंज में आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस के माध्यम से एक बार फिर सत्ताधारी दलों पर तीखा प्रहार किया। तीन दिवसीय दौरे के अंतिम दिन आयोजित संवाददाता सम्मेलन में उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आगामी बिहार दौरे को लेकर कड़े सवाल उठाए। पीके ने 2015 में प्रधानमंत्री द्वारा आरा से घोषित किए गए 1.25 लाख करोड़ रुपये के विशेष पैकेज पर भी सवाल उठाया। उन्होंने कहा, देश को यह बताया जाए कि उस पैकेज का क्या हुआ? कितनी योजनाएं पूरी हुईं और किनका पैसा कहां खर्च हुआ?
तेजस्वी यादव द्वारा उठाए गए डीके टैक्स के मुद्दे पर पीके ने पलटवार करते हुए कहा कि जब तेजस्वी यादव खुद सरकार में थे, उपमुख्यमंत्री की कुर्सी पर बैठे थे, तब मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव वही व्यक्ति थे जिन पर अब वे सवाल उठा रहे हैं। तब तो आप उनके साथ मलाई खा रहे थे। आज जब सत्ता से बाहर हो गए हैं और मलाई बंद हो गई है, तब ‘बाप-बाप’ चिल्ला रहे हैं।
पीके ने यह स्पष्ट किया कि राजनीति में अवसरवादी रुख से बिहार की जनता का भला नहीं हो सकता। बदलाव की बात वही लोग करते हैं जो खुद सत्ता में रहकर समझौते करते रहे हैं, उन्होंने कहा।
प्रशांत किशोर ने राज्य सरकार की कार्यशैली पर गहरा सवाल उठाते हुए कहा कि बिहार में अफसरों के तबादले और आयोगों में की जा रही नियुक्तियां मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के निर्देश पर नहीं हो रही हैं। उन्होंने दावा किया कि नीतीश कुमार अब शारीरिक और मानसिक रूप से पूरी तरह सक्षम नहीं हैं और सरकार के महत्वपूर्ण निर्णय उनके कुछ खास सलाहकारों द्वारा लिए जा रहे हैं।
उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि आयोगों और विभिन्न पदों पर अफसरों और नेताओं के परिजनों की ताबड़तोड़ नियुक्तियां यह संकेत देती हैं कि प्रशासन में पारदर्शिता खत्म हो गई है और सत्ता की बागडोर कुछ गिने-चुने लोगों के हाथ में है।
प्रशांत किशोर ने यह भी बताया कि 2 अक्टूबर 2024 को जब जन सुराज अभियान ने एक राजनीतिक दल का रूप लिया, तब से अब तक यह सबसे तेजी से उभरने वाला जन आंदोलन बन चुका है। महज 6 महीनों में 1 करोड़ से अधिक लोगों ने पार्टी के गठन में भागीदारी की है और हर महीने करीब 3-4 लाख लोग 10 रुपये की सदस्यता लेकर इससे जुड़ रहे हैं।
उन्होंने कहा कि हमने 20 मई को जयप्रकाश नारायण की जन्मभूमि सिताब दियारा से बिहार बदलाव यात्रा की शुरुआत की। इसका उद्देश्य व्यवस्था परिवर्तन और लोगों को जागरूक करना है, ताकि बिहार को एक नई दिशा मिल सके।