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क्लबफुट से पीड़ित बच्चों को मिली नई उम्मीद – आरबीएसके योजना बनी जीवन की दिशा।

सारस न्यूज़, किशनगंज।

किशनगंज से चार मासूम बच्चों को नि:शुल्क इलाज के लिए भेजा गया JLNMCH भागलपुर

📍 किशनगंज | 25 जून 2025
“बचपन अब थमेगा नहीं, विकलांगता से जूझेगा नहीं” – इसी संकल्प के साथ किशनगंज जिले में राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम (RBSK) के अंतर्गत एक नई पहल की गई, जहाँ क्लबफुट जैसी गंभीर जन्मजात विकृति से पीड़ित चार बच्चों को नि:शुल्क इलाज के लिए जेएलएनएमसीएच, भागलपुर रवाना किया गया।

इन बच्चों को अब विशेषज्ञ डॉक्टरों की निगरानी में पॉन्सेटी विधि से इलाज मिलेगा – जो न केवल पैरों को सामान्य बनाएगा, बल्कि उनके जीवन को भी सामान्य बनाएगा।


चार नन्हे कदम, चार बड़ी उम्मीदें

सदर अस्पताल में आयोजित इस कार्यक्रम में सिविल सर्जन डॉ. राज कुमार चौधरी ने जानकारी दी कि सतत स्क्रीनिंग के माध्यम से RBSK टीम ने इन बच्चों की पहचान की:

  1. हेमंत मलिक
  2. आसिया
  3. आदिब शेख
  4. आशिक कुमार

चारों बच्चों को क्लबफुट की समस्या थी और उन्हें विशेषज्ञ देखरेख में पूरी तरह नि:शुल्क इलाज के लिए JLNMCH भेजा गया।
इलाज में प्लास्टरिंग, फिजियोथेरेपी, ट्रैवल, ठहराव और पुनर्वास तक की सभी सुविधाएं शामिल हैं – वह भी पूरी तरह सरकारी खर्च पर।


क्लबफुट: अनदेखा न करें, समय पर इलाज है जरूरी

क्लबफुट एक ऐसी जन्मजात समस्या है जिसमें शिशु का पैर अंदर की ओर मुड़ा होता है। यह हर 1000 में से एक बच्चे को प्रभावित करता है।
यदि समय पर इलाज न हो, तो यह विकलांगता का रूप ले सकती है और बच्चा चलने-फिरने या खेलने-कूदने में अक्षम हो सकता है।
लेकिन पॉन्सेटी विधि के जरिए शुरुआती अवस्था में इलाज होने पर बच्चा सामान्य जीवन जी सकता है।


सरकार दे रही संपूर्ण समर्थन – इलाज से लेकर पुनर्वास तक

RBSK योजना आज उन परिवारों के लिए वरदान बनकर सामने आई है जो आर्थिक तंगी के कारण अपने बच्चों का इलाज नहीं करवा पाते थे।
सरकार की इस योजना में स्क्रीनिंग, रेफरल, ट्रांसपोर्ट, दवाएं, ऑपरेशन और पुनर्वास – सब कुछ पूरी तरह मुफ्त दिया जाता है।
AIIMS, IGIC और JLNMCH जैसे प्रमुख संस्थानों से इलाज की व्यवस्था की जा रही है।


“हर बच्चा स्वस्थ, हर परिवार निश्चिंत” – सिविल सर्जन

डॉ. राज कुमार चौधरी ने कहा,

“हमारा उद्देश्य है कि कोई भी बच्चा इलाज से वंचित न रह जाए। क्लबफुट जैसी विकृति को यदि समय रहते पहचान लिया जाए तो उसका इलाज संभव है – और हम इसी दिशा में काम कर रहे हैं। आज जिन बच्चों को भेजा गया है, वे जल्द ही बिना किसी सहारे चल सकेंगे।”


“हर गाँव, हर स्कूल तक पहुंच रही है हमारी टीम” – जिला समन्वयक

RBSK जिला समन्वयक पंकज कुमार शर्मा ने बताया कि यह योजना केवल अस्पताल तक सीमित नहीं है।

“हमारी टीमें स्कूल, आंगनबाड़ी और पंचायत स्तर तक जाकर बच्चों की जांच करती हैं। क्लबफुट के मामले में हमारी प्राथमिकता होती है कि इलाज जल्द शुरू हो।”

उन्होंने स्पष्ट किया कि पूरा खर्च सरकार वहन करती है – एम्बुलेंस, इलाज, रहन-सहन – सब कुछ निःशुल्क।


“जागरूकता ही असली सफलता है” – जिलाधिकारी विशाल राज

जिलाधिकारी श्री विशाल राज ने इस अवसर पर जिलेवासियों से अपील करते हुए कहा,

“क्लबफुट या किसी भी प्रकार की विकृति को छुपाएं नहीं, बल्कि सामने लाएं। सरकार इलाज के लिए तैयार है – बस ज़रूरत है जागरूकता की। हर अभिभावक अपने बच्चों की नियमित जांच कराएं। एक सही समय पर उठाया गया कदम एक बच्चे का जीवन संवार सकता है।”


अगर आपके बच्चे में दिखें ये लक्षण – तो तुरंत संपर्क करें

✅ जन्म से टेढ़े पैर
✅ चलने में असामान्यता
✅ पैर का अंदर की ओर मुड़ना

👉 तुरंत नज़दीकी स्वास्थ्य केंद्र या RBSK टीम से संपर्क करें।
👉 इलाज पूरी तरह सरकारी खर्च पर और विशेषज्ञ डॉक्टरों के द्वारा होगा।


RBSK – हर बच्चे के उज्ज्वल भविष्य की गारंटी

राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम ने साबित कर दिया है कि स्वास्थ्य अब केवल सुविधा नहीं, हर बच्चे का अधिकार है।
अब बचपन रुकेगा नहीं, मुस्कुराएगा – और सरकार हर कदम पर साथ खड़ी है।


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