“टीबी हारेगा, देश जीतेगा” के संकल्प के साथ भारत सरकार द्वारा चलाई जा रही टीबी मुक्त भारत अभियान को ज़मीनी रूप देने की दिशा में किशनगंज जिला प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग पूरी संजीदगी के साथ जुट गया है। टीबी जैसी संक्रामक बीमारी पर नियंत्रण पाने के लिए सिर्फ स्वास्थ्य सेवाओं का मजबूत होना ही पर्याप्त नहीं, बल्कि आमजन की जागरूक भागीदारी भी उतनी ही जरूरी है। इसी उद्देश्य से जिले में विशेष टीबी रोगी खोज अभियान चलाया जाएगा ताकि संभावित मरीजों की जल्द पहचान कर समय पर जांच और उपचार सुनिश्चित किया जा सके।
चिह्नित पंचायतों में सघन खोज अभियान, प्रति हजार पर 30 लोगों की होगी जांच
जिला यक्ष्मा नियंत्रण पदाधिकारी डॉ. मंजर आलम ने जानकारी दी कि अभियान के तहत पहले से चिह्नित पंचायतों में प्रति हजार आबादी पर कम-से-कम 30 लोगों की टीबी जांच की जाएगी। इस अभियान में अगर प्रति हजार पर एक या उससे कम मरीज पाए जाते हैं और अन्य निर्धारित मापदंडों की पूर्ति होती है, तो संबंधित पंचायत को टीबी मुक्त पंचायत घोषित किया जाएगा। उन्होंने बताया कि अभियान की सफलता के लिए सभी सीएचओ, एएनएम और आशा कार्यकर्ताओं को प्रशिक्षण दिया जा चुका है तथा प्रखंडवार माइक्रोप्लान भी तैयार किया जा रहा है।
युवाओं में टीबी की पहचान को लेकर चलेगा सी-वाई टीबी टेस्ट अभियान
जिले की युवा आबादी में टीबी की पहचान और रोकथाम को लेकर भी विशेष पहल की जा रही है। सिविल सर्जन डॉ. राज कुमार चौधरी ने बताया कि 18 वर्ष से अधिक आयु वर्ग के उन युवाओं की विशेष जांच की जाएगी जो किसी टीबी मरीज के संपर्क में रहे हों। इसके लिए सी-वाई टीबी व सीबीनैट जैसी आधुनिक जांच पद्धतियों का उपयोग किया जाएगा। उन्होंने बताया कि अभियान के अंतर्गत केवीपी (Key Vulnerable Population) जैसे कुपोषित व्यक्ति, 60 वर्ष से अधिक आयु के बुजुर्ग, मधुमेह पीड़ित, ईंट भट्ठा श्रमिक, मलिन बस्ती में रहने वाले और कुपोषित बच्चे आदि को विशेष रूप से चिह्नित कर जांच के दायरे में लाया जाएगा।
योजनाओं का लाभ भी पहुँचाया जाएगा पात्रों तक
डॉ. चौधरी ने बताया कि जांच और उपचार के साथ-साथ राष्ट्रीय टीबी उन्मूलन कार्यक्रम के तहत मिलने वाली निक्षय पोषण योजना, निक्षय मित्र योजना और अन्य सहयोगी योजनाओं का लाभ भी पात्र लाभार्थियों को पहुंचाया जाएगा। इसके लिए आशा कार्यकर्ताओं की सहायता ली जाएगी ताकि कोई भी टीबी मरीज योजना से वंचित न रह जाए।
लक्षण दिखें तो जांच और इलाज को दें प्राथमिकता – स्वास्थ्य विभाग की अपील
डॉ. मंजर आलम ने आमजन से अपील की कि यदि किसी को लगातार खांसी, वजन घटना, भूख में कमी या बुखार जैसी शिकायतें हो रही हों, तो बिना देरी किए नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र जाकर जांच कराएं। उन्होंने कहा कि “समय पर पहचान, जांच और उपचार के माध्यम से ही टीबी को हराया जा सकता है।”
जिला प्रशासन पूरी तरह प्रतिबद्ध
जिलाधिकारी विशाल राज ने कहा कि टीबी उन्मूलन केवल स्वास्थ्य विभाग की जिम्मेदारी नहीं, बल्कि यह एक जनभागीदारी आधारित आंदोलन है। उन्होंने कहा कि जिले में टीबी के खिलाफ चल रहे प्रयासों को सफल बनाने के लिए सभी विभागों, जनप्रतिनिधियों और आम लोगों का सहयोग जरूरी है। हमारा लक्ष्य है कि किशनगंज जिला बिहार के प्रथम टीबी मुक्त जिलों में शामिल हो। उन्होंने पंचायत प्रतिनिधियों से भी अपील की कि वे इस अभियान में सक्रिय भूमिका निभाएं और आम लोगों को जांच के प्रति जागरूक करें। स्वास्थ्य विशेषज्ञों की मानें तो टीबी को हराने के लिए सबसे जरूरी है लोगों का समय पर जांच कराना और उपचार का अनुशासनपूर्वक पालन करना। किशनगंज में संचालित होने वाला यह अभियान सिर्फ एक सरकारी कार्यक्रम नहीं, बल्कि स्वस्थ भविष्य की नींव रखने का अभियान।
राहुल कुमार, सारस न्यूज, किशनगंज।
“टीबी हारेगा, देश जीतेगा” के संकल्प के साथ भारत सरकार द्वारा चलाई जा रही टीबी मुक्त भारत अभियान को ज़मीनी रूप देने की दिशा में किशनगंज जिला प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग पूरी संजीदगी के साथ जुट गया है। टीबी जैसी संक्रामक बीमारी पर नियंत्रण पाने के लिए सिर्फ स्वास्थ्य सेवाओं का मजबूत होना ही पर्याप्त नहीं, बल्कि आमजन की जागरूक भागीदारी भी उतनी ही जरूरी है। इसी उद्देश्य से जिले में विशेष टीबी रोगी खोज अभियान चलाया जाएगा ताकि संभावित मरीजों की जल्द पहचान कर समय पर जांच और उपचार सुनिश्चित किया जा सके।
चिह्नित पंचायतों में सघन खोज अभियान, प्रति हजार पर 30 लोगों की होगी जांच
जिला यक्ष्मा नियंत्रण पदाधिकारी डॉ. मंजर आलम ने जानकारी दी कि अभियान के तहत पहले से चिह्नित पंचायतों में प्रति हजार आबादी पर कम-से-कम 30 लोगों की टीबी जांच की जाएगी। इस अभियान में अगर प्रति हजार पर एक या उससे कम मरीज पाए जाते हैं और अन्य निर्धारित मापदंडों की पूर्ति होती है, तो संबंधित पंचायत को टीबी मुक्त पंचायत घोषित किया जाएगा। उन्होंने बताया कि अभियान की सफलता के लिए सभी सीएचओ, एएनएम और आशा कार्यकर्ताओं को प्रशिक्षण दिया जा चुका है तथा प्रखंडवार माइक्रोप्लान भी तैयार किया जा रहा है।
युवाओं में टीबी की पहचान को लेकर चलेगा सी-वाई टीबी टेस्ट अभियान
जिले की युवा आबादी में टीबी की पहचान और रोकथाम को लेकर भी विशेष पहल की जा रही है। सिविल सर्जन डॉ. राज कुमार चौधरी ने बताया कि 18 वर्ष से अधिक आयु वर्ग के उन युवाओं की विशेष जांच की जाएगी जो किसी टीबी मरीज के संपर्क में रहे हों। इसके लिए सी-वाई टीबी व सीबीनैट जैसी आधुनिक जांच पद्धतियों का उपयोग किया जाएगा। उन्होंने बताया कि अभियान के अंतर्गत केवीपी (Key Vulnerable Population) जैसे कुपोषित व्यक्ति, 60 वर्ष से अधिक आयु के बुजुर्ग, मधुमेह पीड़ित, ईंट भट्ठा श्रमिक, मलिन बस्ती में रहने वाले और कुपोषित बच्चे आदि को विशेष रूप से चिह्नित कर जांच के दायरे में लाया जाएगा।
योजनाओं का लाभ भी पहुँचाया जाएगा पात्रों तक
डॉ. चौधरी ने बताया कि जांच और उपचार के साथ-साथ राष्ट्रीय टीबी उन्मूलन कार्यक्रम के तहत मिलने वाली निक्षय पोषण योजना, निक्षय मित्र योजना और अन्य सहयोगी योजनाओं का लाभ भी पात्र लाभार्थियों को पहुंचाया जाएगा। इसके लिए आशा कार्यकर्ताओं की सहायता ली जाएगी ताकि कोई भी टीबी मरीज योजना से वंचित न रह जाए।
लक्षण दिखें तो जांच और इलाज को दें प्राथमिकता – स्वास्थ्य विभाग की अपील
डॉ. मंजर आलम ने आमजन से अपील की कि यदि किसी को लगातार खांसी, वजन घटना, भूख में कमी या बुखार जैसी शिकायतें हो रही हों, तो बिना देरी किए नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र जाकर जांच कराएं। उन्होंने कहा कि “समय पर पहचान, जांच और उपचार के माध्यम से ही टीबी को हराया जा सकता है।”
जिला प्रशासन पूरी तरह प्रतिबद्ध
जिलाधिकारी विशाल राज ने कहा कि टीबी उन्मूलन केवल स्वास्थ्य विभाग की जिम्मेदारी नहीं, बल्कि यह एक जनभागीदारी आधारित आंदोलन है। उन्होंने कहा कि जिले में टीबी के खिलाफ चल रहे प्रयासों को सफल बनाने के लिए सभी विभागों, जनप्रतिनिधियों और आम लोगों का सहयोग जरूरी है। हमारा लक्ष्य है कि किशनगंज जिला बिहार के प्रथम टीबी मुक्त जिलों में शामिल हो। उन्होंने पंचायत प्रतिनिधियों से भी अपील की कि वे इस अभियान में सक्रिय भूमिका निभाएं और आम लोगों को जांच के प्रति जागरूक करें। स्वास्थ्य विशेषज्ञों की मानें तो टीबी को हराने के लिए सबसे जरूरी है लोगों का समय पर जांच कराना और उपचार का अनुशासनपूर्वक पालन करना। किशनगंज में संचालित होने वाला यह अभियान सिर्फ एक सरकारी कार्यक्रम नहीं, बल्कि स्वस्थ भविष्य की नींव रखने का अभियान।