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संस्थागत प्रसव ही सुरक्षित प्रसव: किशनगंज में चलाया जा रहा है विशेष जागरूकता अभियान।

सारस न्यूज़, किशनगंज।

गृह प्रसव को कहें “ना”, सुरक्षित मातृत्व की ओर बढ़ें “हां”

किशनगंज, 06 अगस्त।
प्रसव जैसे संवेदनशील क्षण में हर मां और नवजात की सुरक्षा सर्वोपरि होती है। दुर्भाग्यवश आज भी कई ग्रामीण क्षेत्रों में महिलाएं घर पर प्रसव करवा रही हैं, जो उनकी और शिशु की जान के लिए गंभीर जोखिम बन सकता है। इस गंभीर स्थिति को बदलने की दिशा में किशनगंज जिला प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग द्वारा गृह प्रसव मुक्त पंचायत अभियान पूरी सक्रियता से चलाया जा रहा है।

डीएम की पहल से मिशन को मिली रफ्तार

जिलाधिकारी विशाल राज ने स्पष्ट शब्दों में कहा, “गृह प्रसव महिलाओं के लिए अत्यंत खतरनाक है। हमारी प्राथमिकता है कि हर पंचायत को गृह प्रसव से मुक्त घोषित किया जाए। इसके लिए चिकित्सा पदाधिकारियों को गांव-गांव जाकर लोगों को शिक्षित करने का निर्देश दिया गया है।”
इसी क्रम में ठाकुरगंज के प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी डॉ. अखलाकुर्रहमान ने कई गांवों का दौरा कर महिलाओं और परिवारों को संस्थागत प्रसव के लाभों के बारे में विस्तार से जानकारी दी।

सरकारी योजनाएं बनीं मजबूत सहारा

सिविल सर्जन डॉ. राज कुमार चौधरी ने बताया कि प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान और जननी सुरक्षा योजना के तहत ग्रामीण महिलाओं को अस्पताल में सुरक्षित प्रसव हेतु नकद प्रोत्साहन राशि दी जाती है – ग्रामीण महिलाओं को ₹1400 और शहरी महिलाओं को ₹1000।
साथ ही, प्रसव के बाद यदि महिला परिवार नियोजन को अपनाती है तो उसे ₹2000 (तुरंत) अथवा ₹3000 (सात दिन बाद) अतिरिक्त प्रोत्साहन राशि भी मिलती है।

गर्भधारण के साथ ही संपर्क करें फ्रंटलाइन वर्करों से

डॉ. चौधरी ने यह भी बताया कि गर्भवती महिलाओं की पहचान गर्भधारण के पहले तीन महीनों में होनी चाहिए ताकि समय रहते जांच, टीकाकरण, पौष्टिक भोजन और चिकित्सकीय परामर्श दिए जा सकें। इसके लिए महिलाओं को आशा कार्यकर्ता और आंगनबाड़ी सेविका से समय रहते संपर्क करना जरूरी है।

संस्थागत प्रसव: सुरक्षा और देखभाल की पूरी व्यवस्था

सदर अस्पताल के उपाधीक्षक डॉ. अनवर हुसैन ने कहा कि संस्थागत प्रसव के दौरान मां और नवजात की निगरानी प्रशिक्षित डॉक्टरों और स्टाफ द्वारा की जाती है, जिससे आपात स्थिति में तुरंत इलाज संभव हो पाता है।
डिलीवरी के तुरंत बाद नवजात को टीके, स्तनपान और साफ-सफाई से संबंधित प्रशिक्षण दिया जाता है, जबकि माताओं को पोषण और स्वास्थ्य संबंधी सलाह दी जाती है।

मुफ्त एंबुलेंस सेवा और तुरंत जन्म पंजीकरण की सुविधा

क्लस्टर लीडर आसिफ रहमानी ने बताया कि जिला में गर्भवती महिलाओं को अस्पताल लाने और डिलीवरी के बाद घर छोड़ने के लिए नि:शुल्क एंबुलेंस सेवा उपलब्ध है।
जिला योजना समन्वयक विश्वजीत कुमार ने कहा कि अस्पताल में डिलीवरी कराने पर जन्म पंजीकरण अपने आप हो जाता है, साथ ही शिशु को समय पर सभी जरूरी टीके भी मिल जाते हैं।


संस्थागत प्रसव के प्रमुख लाभ (डॉ. राज कुमार चौधरी द्वारा संकलित)

  • मातृ और शिशु मृत्यु दर में उल्लेखनीय कमी
  • सुरक्षित और स्वच्छ वातावरण में प्रसव
  • जच्चा-बच्चा को संक्रामक रोगों से सुरक्षा
  • जन्म के तुरंत बाद आवश्यक टीकाकरण
  • जन्म प्रमाणपत्र की सुविधा
  • प्रशिक्षित चिकित्सकों की निगरानी में उपचार
  • परिवार नियोजन व पोषण पर परामर्श

निष्कर्ष

गृह प्रसव न केवल माताओं और नवजातों के लिए असुरक्षित है, बल्कि कई बार जानलेवा भी साबित हो सकता है। संस्थागत प्रसव ही सुरक्षित, व्यवस्थित और स्वास्थ्य की दृष्टि से उपयुक्त विकल्प है। जिला प्रशासन की प्रतिबद्धता, स्वास्थ्य विभाग का निरंतर प्रयास और समुदाय की सक्रिय भागीदारी से किशनगंज जल्द ही “गृह प्रसव मुक्त” जिला बनने की दिशा में अग्रसर है।


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