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मथुरा में मेडिकल माफिया का सनसनीखेज खेल: पेट की सर्जरी में मासूम की किडनी गायब, 9 महीने बाद खुला राज।

सारस न्यूज़, वेब डेस्क।

उत्तर प्रदेश के मथुरा से एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है, जिसने मेडिकल सिस्टम और मानवता दोनों को कठघरे में खड़ा कर दिया है। तीन साल के एक मासूम बच्चे की किडनी ऑपरेशन के दौरान चोरी हो गई, और इसका खुलासा पूरे नौ महीने बाद तब हुआ जब उसे दोबारा पेट दर्द की शिकायत हुई।

ऑपरेशन की आड़ में हुई बड़ी साजिश?

राजस्थान के डीग जिले के कैथवाड़ा गांव के निवासी भीम सिंह मई 2024 में अपने बेटे मयंक को पेट में गांठ की शिकायत के बाद मथुरा के केडी मेडिकल हॉस्पिटल लेकर गए थे। डॉक्टरों ने जल्द से जल्द सर्जरी की सलाह दी और 30 मई को ऑपरेशन किया गया। इलाज में लगभग एक लाख रुपये खर्च हुए। सर्जरी के तीन दिन बाद बच्चे को छुट्टी दे दी गई और परिवार को यकीन था कि अब सब ठीक है।

नौ महीने बाद सामने आया हैरान करने वाला सच

फरवरी 2025 में जब मयंक को फिर से पेट में तेज दर्द हुआ तो उसे अलवर के हरीश हॉस्पिटल ले जाया गया। सिटी स्कैन रिपोर्ट में डॉक्टरों ने जो देखा, उसने सभी को हिला दिया—मयंक की बाईं किडनी ही मौजूद नहीं थी।

परिजनों को यकीन नहीं हुआ तो वे उसे जयपुर के जेके लोन हॉस्पिटल ले गए। यहां जांच में पुष्टि हो गई कि ऑपरेशन से पहले मयंक की दोनों किडनियां पूरी तरह स्वस्थ थीं, लेकिन अब एक गायब है।

सवाल पूछने पर धमकाया गया

जब भीम सिंह सच्चाई जानने के लिए दोबारा केडी मेडिकल हॉस्पिटल पहुंचे और डॉक्टरों से जवाब मांगा, तो उन्हें कथित तौर पर धमका कर बाहर निकाल दिया गया। अधिकारियों से की गई शिकायतों पर भी कोई कार्रवाई नहीं हुई। मजबूर होकर उन्होंने मार्च 2025 में मथुरा के उपभोक्ता फोरम में अस्पताल के खिलाफ केस दर्ज कराया, जो अब तक लंबित है।

आर्थिक तंगी और टूटती उम्मीदें

सब्जी बेचकर जीवन यापन करने वाले भीम सिंह पहले ही इलाज में सारी जमा पूंजी खर्च कर चुके हैं। उनका एक और आठ महीने का बेटा है, और मयंक का फिलहाल इलाज भरतपुर के सरकारी अस्पताल में चल रहा है। यहां भी डॉक्टरों ने किडनी के न होने की पुष्टि की है।

डॉक्टरों की राय: अब विशेष देखभाल ज़रूरी

डॉ. चित्रा गुप्ता के अनुसार, मयंक की सर्जरी से पहले की रिपोर्ट में दोनों किडनियां सामान्य थीं, लेकिन अब एक गायब है और उस स्थान पर टांकों के निशान मौजूद हैं। वहीं सीएमएचओ डॉ. गौरव कपूर का कहना है कि एक किडनी पर भी जीवन संभव है, लेकिन मरीज को अत्यधिक सतर्कता रखनी होगी—चाहे वह खानपान हो या संक्रमण से बचाव।

सवाल अभी भी बाकी हैं

यह मामला एक बड़ी साजिश की ओर इशारा करता है। आखिर मयंक की किडनी कहां गई? क्या यह किसी मानव अंग तस्करी नेटवर्क से जुड़ा मामला है? अस्पताल की चुप्पी और अधिकारियों की निष्क्रियता इस सवाल को और गंभीर बना देती है।

अब देश को जवाब चाहिए। क्योंकि अगर मासूम बच्चे सुरक्षित नहीं हैं, तो हमारी व्यवस्था पर सवाल उठना स्वाभाविक है।


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