सारस न्यूज, वेब डेस्क।
बारिश के मौसम में भी ग्रामीण क्षेत्रों तक स्वास्थ्य सेवाएं बिना किसी बाधा के पहुंचाई जा रही हैं। सिविल सर्जन डॉ. राज कुमार चौधरी ने जानकारी दी कि हर महीने तय तारीखों पर आंगनबाड़ी केंद्रों में ग्राम स्वास्थ्य, स्वच्छता एवं पोषण दिवस (वीएचएसएनडी) के तहत स्वास्थ्य सत्र आयोजित किए जा रहे हैं।
वर्षा के बावजूद स्वास्थ्यकर्मी गर्भवती महिलाओं, नवजात शिशुओं, बच्चों और बुजुर्गों को नियमित जांच, टीकाकरण और पोषण संबंधी परामर्श प्रदान कर रहे हैं। डॉ. चौधरी ने बताया कि सरकार की योजनाएं यह सुनिश्चित कर रही हैं कि कोई भी लाभार्थी आवश्यक स्वास्थ्य सेवाओं से वंचित न रहे।
आरोग्य दिवस पर विशेष देखभाल
जिला प्रतिरक्षण पदाधिकारी डॉ. देवेंद्र कुमार ने बताया कि आरोग्य दिवस के अवसर पर गर्भवती महिलाओं की स्वास्थ्य जांच की गई, एनीमिया की पहचान की गई और उन्हें प्रसव पूर्व जरूरी परामर्श दिया गया। हाई-रिस्क गर्भवस्थाओं पर खास नजर रखी जा रही है। धात्री माताओं को नवजात शिशु को पहले छह महीने तक केवल स्तनपान कराने की सलाह दी जा रही है, जिससे बच्चे संक्रमण से बचे रहें और बेहतर पोषण पा सकें।
टेलीमेडिसीन बना वरदान
बारिश में अस्पताल तक पहुंचना चुनौतीपूर्ण होने के बावजूद टेलीमेडिसीन सेवा ग्रामीणों के लिए वरदान साबित हो रही है। डॉ. चौधरी ने बताया कि अब लोग घर बैठे ही सरकारी डॉक्टरों से मुफ्त सलाह ले पा रहे हैं। इससे न सिर्फ समय की बचत हो रही है, बल्कि यात्रा पर होने वाला खर्च भी कम हो रहा है। विशेषकर गर्भवती महिलाएं, बुजुर्ग, बच्चे और किशोरियाँ इस सेवा से लाभान्वित हो रही हैं।
सुरक्षित मातृत्व में समाज की भूमिका अहम
डॉ. राज कुमार चौधरी ने यह भी कहा कि सुरक्षित मातृत्व केवल विभागीय प्रयासों से संभव नहीं, इसके लिए ग्रामीण परिवारों की सक्रिय भागीदारी भी जरूरी है। प्रसव पूर्व जांच, समय पर अस्पताल पहुंचना और संस्थागत प्रसव को अपनाना, खासकर बरसात के मौसम में, मां और नवजात की सुरक्षा सुनिश्चित करते हैं।
वीएचएसएनडी ने यह साबित कर दिया है कि यदि विभाग, स्वास्थ्यकर्मी और समुदाय मिलकर प्रयास करें तो मौसम की कोई भी चुनौती गांव-गांव में मजबूत स्वास्थ्य ढांचा खड़ा करने से नहीं रोक सकती।