बिहार सरकार ने एक बार फिर बड़े स्तर पर प्रशासनिक तबादले किए हैं। शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव (एसीएस) एस. सिद्धार्थ को नई जिम्मेदारी देते हुए राज्य का विकास आयुक्त नियुक्त किया गया है। पिछले लगभग 14 महीनों से वह शिक्षा विभाग की कमान संभाल रहे थे। उनकी जगह अब डॉ. बी. राजेंद्र को शिक्षा विभाग का एसीएस बनाया गया है।
एस. सिद्धार्थ अपनी कार्यशैली और अलग अंदाज के लिए हमेशा चर्चा में रहे हैं। वह शिक्षकों को सीधे फोन कर स्कूलों की स्थिति की जानकारी लेते थे। कई बार स्कूल समय में किसी भी सरकारी शिक्षक को उनका कॉल पहुंच जाता था।
नए तबादले और नियुक्तियां
बी. राजेंद्र, जो अभी सामान्य प्रशासन विभाग के एसीएस हैं, अब शिक्षा विभाग का प्रभार भी संभालेंगे।
अरविंद कुमार चौधरी को मंत्रिमंडल सचिवालय का सचिव बनाया गया है।
आनंद किशोर को वन एवं पर्यावरण विभाग का अतिरिक्त प्रभार दिया गया है।
वहीं, हरजोत कौर को वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग से हटाकर राजस्व परिषद की अध्यक्ष सदस्य नियुक्त किया गया है।
बिहार विधानसभा चुनाव से पहले राज्य सरकार ने पिछले कुछ महीनों में कई अहम अफसरों का तबादला किया है।
सिद्धार्थ की खास कार्यशैली
1991 बैच के आईएएस अधिकारी एस. सिद्धार्थ नवंबर 2025 में सेवानिवृत्त होंगे। शिक्षा विभाग का कार्यभार संभालते ही उन्होंने पूर्व एसीएस केके पाठक के कई फैसलों को पलट दिया था। इनमें छात्रों के नाम काटने की व्यवस्था में बदलाव, स्कूलों की निगरानी की जिम्मेदारी डीडीसी को देने का फैसला वापस लेना और विश्वविद्यालयों के फ्रीज खातों से रोक हटाना जैसे निर्णय शामिल थे।
सिद्धार्थ अचानक स्कूलों का निरीक्षण करते थे, बच्चों की कॉपियां चेक करते थे और वीडियो कॉल कर शिक्षकों की मौजूदगी की जांच भी करते रहे हैं। खास बात यह है कि वह प्रशिक्षित पायलट भी हैं और 2023 में उन्होंने पहली बार अकेले विमान उड़ाया था। फोटोग्राफी उनका शौक है।
राजनीति में आने की चर्चा
पिछले दिनों उनकी वॉलंटरी रिटायरमेंट (VRS) की चर्चा ने राजनीतिक हलकों में सरगर्मी बढ़ा दी थी। कहा जा रहा था कि सिद्धार्थ जेडीयू से राजनीति में कदम रख सकते हैं और नवादा सीट से चुनाव लड़ सकते हैं। नवादा दौरे के दौरान जब वह एक स्कूल का निरीक्षण करने के बाद लिट्टी बनाते नजर आए थे, तब यह अटकलें और तेज हो गई थीं। आम लोगों से चाय की दुकान, ट्रेन या मिठाई की दुकान पर सहज बातचीत करना उनकी पहचान बन चुकी है।
सारस न्यूज़, वेब डेस्क।
बिहार सरकार ने एक बार फिर बड़े स्तर पर प्रशासनिक तबादले किए हैं। शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव (एसीएस) एस. सिद्धार्थ को नई जिम्मेदारी देते हुए राज्य का विकास आयुक्त नियुक्त किया गया है। पिछले लगभग 14 महीनों से वह शिक्षा विभाग की कमान संभाल रहे थे। उनकी जगह अब डॉ. बी. राजेंद्र को शिक्षा विभाग का एसीएस बनाया गया है।
एस. सिद्धार्थ अपनी कार्यशैली और अलग अंदाज के लिए हमेशा चर्चा में रहे हैं। वह शिक्षकों को सीधे फोन कर स्कूलों की स्थिति की जानकारी लेते थे। कई बार स्कूल समय में किसी भी सरकारी शिक्षक को उनका कॉल पहुंच जाता था।
नए तबादले और नियुक्तियां
बी. राजेंद्र, जो अभी सामान्य प्रशासन विभाग के एसीएस हैं, अब शिक्षा विभाग का प्रभार भी संभालेंगे।
अरविंद कुमार चौधरी को मंत्रिमंडल सचिवालय का सचिव बनाया गया है।
आनंद किशोर को वन एवं पर्यावरण विभाग का अतिरिक्त प्रभार दिया गया है।
वहीं, हरजोत कौर को वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग से हटाकर राजस्व परिषद की अध्यक्ष सदस्य नियुक्त किया गया है।
बिहार विधानसभा चुनाव से पहले राज्य सरकार ने पिछले कुछ महीनों में कई अहम अफसरों का तबादला किया है।
सिद्धार्थ की खास कार्यशैली
1991 बैच के आईएएस अधिकारी एस. सिद्धार्थ नवंबर 2025 में सेवानिवृत्त होंगे। शिक्षा विभाग का कार्यभार संभालते ही उन्होंने पूर्व एसीएस केके पाठक के कई फैसलों को पलट दिया था। इनमें छात्रों के नाम काटने की व्यवस्था में बदलाव, स्कूलों की निगरानी की जिम्मेदारी डीडीसी को देने का फैसला वापस लेना और विश्वविद्यालयों के फ्रीज खातों से रोक हटाना जैसे निर्णय शामिल थे।
सिद्धार्थ अचानक स्कूलों का निरीक्षण करते थे, बच्चों की कॉपियां चेक करते थे और वीडियो कॉल कर शिक्षकों की मौजूदगी की जांच भी करते रहे हैं। खास बात यह है कि वह प्रशिक्षित पायलट भी हैं और 2023 में उन्होंने पहली बार अकेले विमान उड़ाया था। फोटोग्राफी उनका शौक है।
राजनीति में आने की चर्चा
पिछले दिनों उनकी वॉलंटरी रिटायरमेंट (VRS) की चर्चा ने राजनीतिक हलकों में सरगर्मी बढ़ा दी थी। कहा जा रहा था कि सिद्धार्थ जेडीयू से राजनीति में कदम रख सकते हैं और नवादा सीट से चुनाव लड़ सकते हैं। नवादा दौरे के दौरान जब वह एक स्कूल का निरीक्षण करने के बाद लिट्टी बनाते नजर आए थे, तब यह अटकलें और तेज हो गई थीं। आम लोगों से चाय की दुकान, ट्रेन या मिठाई की दुकान पर सहज बातचीत करना उनकी पहचान बन चुकी है।
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