महाराष्ट्र सरकार ने एक बड़ा और बहुचर्चित फैसला लेते हुए पात्र मराठा समुदाय के लोगों को कुनबी जाति प्रमाणपत्र देने की मंजूरी दे दी है। यह फैसला मराठा आरक्षण आंदोलन के लंबे संघर्ष के बाद आया है। हालांकि, इस कदम से राज्य सरकार के भीतर ही राजनीतिक उथल-पुथल मचने के संकेत मिलने लगे हैं।
एनसीपी (राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी) कोटे से मंत्री छगन भुजबल ने इस फैसले पर आपत्ति जताते हुए कहा,
“यह फैसला अचानक और अप्रत्याशित है। इसकी किसी को उम्मीद नहीं थी, न ही इस पर हमारी राय ली गई।”
छगन भुजबल की इस टिप्पणी से संकेत मिलते हैं कि सरकार में शामिल घटक दलों के बीच मतभेद उभर सकते हैं। एनसीपी के कुछ अन्य नेता भी इस मुद्दे पर असंतोष जताने लगे हैं।
मराठा समुदाय की मांग और पृष्ठभूमि
मराठा समुदाय लंबे समय से आरक्षण की मांग कर रहा था। सरकार ने जांच समिति गठित कर यह तय किया कि जो मराठा मूल निवासी अपने दस्तावेजों में “कुनबी” दर्ज करा सकते हैं, उन्हें OBC वर्ग में शामिल किया जा सकता है। कुनबी जाति को महाराष्ट्र में अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) में शामिल किया गया है, जिससे इन प्रमाणपत्रों के ज़रिए मराठा समुदाय को आरक्षण का लाभ मिल सकता है।
राजनीतिक प्रतिक्रियाएं
राज्य के अन्य नेताओं ने इस फैसले का समर्थन किया है, लेकिन एनसीपी की ओर से उठे सुर इस बात की ओर इशारा कर रहे हैं कि आने वाले दिनों में यह मुद्दा सरकार के लिए राजनीतिक संकट खड़ा कर सकता है।
शिवसेना और भाजपा ने फिलहाल इस पर कोई तीखी प्रतिक्रिया नहीं दी है, लेकिन सूत्रों के मुताबिक, अंदरखाने इस मुद्दे पर रणनीतिक चर्चा चल रही है।
आगे क्या?
अब देखना यह होगा कि यह फैसला कानूनी और सामाजिक रूप से किस दिशा में जाता है और क्या इससे मराठा समुदाय की मांगों को संतुष्टि मिलेगी। साथ ही, यह भी अहम होगा कि क्या एनसीपी इस मुद्दे पर सरकार में अपनी स्थिति को फिर से परिभाषित करेगी या समझौते की राह चुनेगी।
सारस न्यूज वेब डेस्क।
महाराष्ट्र सरकार ने एक बड़ा और बहुचर्चित फैसला लेते हुए पात्र मराठा समुदाय के लोगों को कुनबी जाति प्रमाणपत्र देने की मंजूरी दे दी है। यह फैसला मराठा आरक्षण आंदोलन के लंबे संघर्ष के बाद आया है। हालांकि, इस कदम से राज्य सरकार के भीतर ही राजनीतिक उथल-पुथल मचने के संकेत मिलने लगे हैं।
एनसीपी (राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी) कोटे से मंत्री छगन भुजबल ने इस फैसले पर आपत्ति जताते हुए कहा,
“यह फैसला अचानक और अप्रत्याशित है। इसकी किसी को उम्मीद नहीं थी, न ही इस पर हमारी राय ली गई।”
छगन भुजबल की इस टिप्पणी से संकेत मिलते हैं कि सरकार में शामिल घटक दलों के बीच मतभेद उभर सकते हैं। एनसीपी के कुछ अन्य नेता भी इस मुद्दे पर असंतोष जताने लगे हैं।
मराठा समुदाय की मांग और पृष्ठभूमि
मराठा समुदाय लंबे समय से आरक्षण की मांग कर रहा था। सरकार ने जांच समिति गठित कर यह तय किया कि जो मराठा मूल निवासी अपने दस्तावेजों में “कुनबी” दर्ज करा सकते हैं, उन्हें OBC वर्ग में शामिल किया जा सकता है। कुनबी जाति को महाराष्ट्र में अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) में शामिल किया गया है, जिससे इन प्रमाणपत्रों के ज़रिए मराठा समुदाय को आरक्षण का लाभ मिल सकता है।
राजनीतिक प्रतिक्रियाएं
राज्य के अन्य नेताओं ने इस फैसले का समर्थन किया है, लेकिन एनसीपी की ओर से उठे सुर इस बात की ओर इशारा कर रहे हैं कि आने वाले दिनों में यह मुद्दा सरकार के लिए राजनीतिक संकट खड़ा कर सकता है।
शिवसेना और भाजपा ने फिलहाल इस पर कोई तीखी प्रतिक्रिया नहीं दी है, लेकिन सूत्रों के मुताबिक, अंदरखाने इस मुद्दे पर रणनीतिक चर्चा चल रही है।
आगे क्या?
अब देखना यह होगा कि यह फैसला कानूनी और सामाजिक रूप से किस दिशा में जाता है और क्या इससे मराठा समुदाय की मांगों को संतुष्टि मिलेगी। साथ ही, यह भी अहम होगा कि क्या एनसीपी इस मुद्दे पर सरकार में अपनी स्थिति को फिर से परिभाषित करेगी या समझौते की राह चुनेगी।
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