सारस न्यूज़, वेब डेस्क।
नेपाल में जारी हिंसक प्रदर्शनों के बीच काठमांडू में एक भीषण हादसे में गाज़ियाबाद की महिला की जान चली गई। महिला के परिजनों ने आरोप लगाया है कि संकट की घड़ी में भारतीय दूतावास से बहुत कम सहयोग मिला और स्थानीय राहत दल भी देर से पहुंचे।
जानकारी के अनुसार, 58 वर्षीय रामवीर सिंह गोला और उनकी पत्नी 55 वर्षीय राजेश देवी 7 सितंबर को धार्मिक यात्रा पर काठमांडू पहुँचे थे। वे पशुपतिनाथ मंदिर में दर्शन करने के बाद बेहद उत्साहित थे।
लेकिन 9 सितंबर की रात हालात बिगड़ गए, जब उपद्रवी उनके पाँच सितारा होटल में घुस आए और आगजनी कर दी। धुआँ फैलने से सीढ़ियाँ बंद हो गईं, जिसके बाद राहतकर्मियों ने नीचे गद्दे बिछाकर मेहमानों को कूदने के लिए कहा। रामवीर कूदकर बच निकले और हल्की चोटें आईं, मगर उनकी पत्नी नीचे उतरते समय फिसल गईं और गंभीर रीढ़ की चोट का शिकार हो गईं।
उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया, लेकिन 10 सितंबर की रात उनकी मौत हो गई। शव को सोनौली बॉर्डर (महराजगंज) के रास्ते गाज़ियाबाद लाया गया, जहाँ शुक्रवार को अंतिम संस्कार किया जाना है।
दंपत्ति के बड़े बेटे विशाल ने बताया, “8 सितंबर को मंदिर में पूजा करने के बाद माता-पिता बहुत खुश थे और हमें वीडियो कॉल पर काठमांडू की झलक भी दिखाई थी। लेकिन अगले ही दिन उपद्रवियों ने होटल में घुसकर आग लगा दी। पापा खिड़की तोड़कर चादर बाँधकर नीचे कूदे, लेकिन माँ फिसल गईं और बुरी तरह चोटिल हो गईं।”
उन्होंने यह भी कहा कि संचार व्यवस्था ठप होने से उन्हें माता-पिता की जानकारी दो दिन तक नहीं मिली। “आखिरकार पिता राहत शिविर में मिले, लेकिन माँ अस्पताल में दम तोड़ चुकी थीं। न तो दूतावास ने पर्याप्त मदद दी और न ही स्थानीय बचाव दल समय पर पहुँचे,” उन्होंने दुख जताया।