लद्दाख के प्रसिद्ध जलवायु कार्यकर्ता और शिक्षाविद सोनम वांगचुक को 26 सितंबर 2025 को लेह में हिंसक प्रदर्शन के कुछ दिन बाद गिरफ्तार कर लिया गया। वांगचुक को राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम (NSA) के तहत हिरासत में लिया गया, जिससे उन्हें बिना जमानत लंबी अवधि के लिए जेल में रखा जा सकता है। आरोप है कि उन्होंने लद्दाख की राज्य की मांग और छठी अनुसूची के विस्तार के लिए हुए आंदोलन में अपने भाषणों से भीड़ को भड़काया, जिसके चलते हिंसा हुई और चार लोगों की मौत हो गई तथा 90 से अधिक लोग घायल हुए।
गिरफ्तारी के बाद सोनम वांगचुक को राजस्थान की हाई सिक्योरिटी जोधपुर सेंट्रल जेल भेज दिया गया। प्रशासन का कहना है कि उन्हें दूर रखना अशांति और विरोध की संभावनाओं को रोकने के लिए है। उनके खिलाफ कई एफआईआर दर्ज की गई हैं और लेह सहित पूरे लद्दाख में इंटरनेट सेवाएं बंद कर दी गई हैं।
सोनम वांगचुक और उनके समर्थकों का दावा है कि उन्होंने कभी भी युवाओं को हिंसा के लिए नहीं उकसाया, बल्कि शांति बनाए रखने की अपील की थी। उनकी पत्नी गीतांजलि अंगमो ने आरोप लगाया कि सरकार उनके पति के साथ बिना किसी ठोस कारण के अपराधी जैसा व्यवहार कर रही है। विपक्षी नेताओं और कई संगठनों ने इस गिरफ्तारी की आलोचना की और दिल्ली के जंतर मंतर पर प्रदर्शन का ऐलान किया।
लद्दाख के राजनीतिक और सामाजिक हलचल के बीच सोनम वांगचुक की गिरफ्तारी ने पूरे देश में बहस छेड़ दी है कि जलवायु और मानवाधिकार के मुद्दे उठाने वाला व्यक्ति देशद्रोही कैसे हो सकता है और सरकार के इस फैसले के पीछे क्या रणनीति है।लद्दाख के जाने-माने पर्यावरण कार्यकर्ता और सामाजिक नेता सोनम वांगचुक को हाल ही में हिंसक प्रदर्शन के बाद राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम (NSA) के तहत गिरफ्तार किया गया। लद्दाख में राज्य का दर्जा और छठी अनुसूची लागू करने की मांग को लेकर आयोजित रैली में हिंसा फैल गई, जिसमें चार लोगों की मौत और दर्जनों घायल हो गए। प्रशासन ने वांगचुक पर भीड़ को भड़काने और अशांति फैलाने के आरोप लगाए हैं, जिसके चलते उन्हें लेह से करीब 1500 किलोमीटर दूर राजस्थान की जोधपुर सेंट्रल जेल में रखा गया है।
सरकार के अनुसार, उनकी गिरफ्तारी उनके भाषणों में अरब स्प्रिंग और अन्य विदेशी आंदोलनों का जिक्र होने, और भीड़ को उत्तेजना देने के आरोप में की गई है। वांगचुक ने इन आरोपों का खंडन किया और सार्वजनिक रूप से दावा किया कि उन्होंने युवाओं से शांति बनाए रखने की अपील की थी। उनकी पत्नी और कई सामाजिक संगठनों ने पुलिस और प्रशासन पर बिना वजह अपराधी जैसा व्यवहार करने का आरोप लगाया और मामले की निष्पक्ष जांच की मांग की है।
गिरफ्तारी के बाद लद्दाख और देशभर के कई हिस्सों में इंटरनेट सेवाएं बंद हैं और सामाजिक व राजनीतिक हलचल तेज हो गई है। विपक्ष ने गिरफ्तारी की आलोचना की है और आम आदमी पार्टी समेत कई दलों ने दिल्ली के जंतर मंतर पर विरोध प्रदर्शन का ऐलान किया है। सोनम वांगचुक की गिरफ्तारी ने राज्य की मांग, लोकतंत्र और मानवाधिकार बहस को फिर चर्चा में ला दिया है।
सारस न्यूज़, वेब डेस्क।
लद्दाख के प्रसिद्ध जलवायु कार्यकर्ता और शिक्षाविद सोनम वांगचुक को 26 सितंबर 2025 को लेह में हिंसक प्रदर्शन के कुछ दिन बाद गिरफ्तार कर लिया गया। वांगचुक को राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम (NSA) के तहत हिरासत में लिया गया, जिससे उन्हें बिना जमानत लंबी अवधि के लिए जेल में रखा जा सकता है। आरोप है कि उन्होंने लद्दाख की राज्य की मांग और छठी अनुसूची के विस्तार के लिए हुए आंदोलन में अपने भाषणों से भीड़ को भड़काया, जिसके चलते हिंसा हुई और चार लोगों की मौत हो गई तथा 90 से अधिक लोग घायल हुए।
गिरफ्तारी के बाद सोनम वांगचुक को राजस्थान की हाई सिक्योरिटी जोधपुर सेंट्रल जेल भेज दिया गया। प्रशासन का कहना है कि उन्हें दूर रखना अशांति और विरोध की संभावनाओं को रोकने के लिए है। उनके खिलाफ कई एफआईआर दर्ज की गई हैं और लेह सहित पूरे लद्दाख में इंटरनेट सेवाएं बंद कर दी गई हैं।
सोनम वांगचुक और उनके समर्थकों का दावा है कि उन्होंने कभी भी युवाओं को हिंसा के लिए नहीं उकसाया, बल्कि शांति बनाए रखने की अपील की थी। उनकी पत्नी गीतांजलि अंगमो ने आरोप लगाया कि सरकार उनके पति के साथ बिना किसी ठोस कारण के अपराधी जैसा व्यवहार कर रही है। विपक्षी नेताओं और कई संगठनों ने इस गिरफ्तारी की आलोचना की और दिल्ली के जंतर मंतर पर प्रदर्शन का ऐलान किया।
लद्दाख के राजनीतिक और सामाजिक हलचल के बीच सोनम वांगचुक की गिरफ्तारी ने पूरे देश में बहस छेड़ दी है कि जलवायु और मानवाधिकार के मुद्दे उठाने वाला व्यक्ति देशद्रोही कैसे हो सकता है और सरकार के इस फैसले के पीछे क्या रणनीति है।लद्दाख के जाने-माने पर्यावरण कार्यकर्ता और सामाजिक नेता सोनम वांगचुक को हाल ही में हिंसक प्रदर्शन के बाद राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम (NSA) के तहत गिरफ्तार किया गया। लद्दाख में राज्य का दर्जा और छठी अनुसूची लागू करने की मांग को लेकर आयोजित रैली में हिंसा फैल गई, जिसमें चार लोगों की मौत और दर्जनों घायल हो गए। प्रशासन ने वांगचुक पर भीड़ को भड़काने और अशांति फैलाने के आरोप लगाए हैं, जिसके चलते उन्हें लेह से करीब 1500 किलोमीटर दूर राजस्थान की जोधपुर सेंट्रल जेल में रखा गया है।
सरकार के अनुसार, उनकी गिरफ्तारी उनके भाषणों में अरब स्प्रिंग और अन्य विदेशी आंदोलनों का जिक्र होने, और भीड़ को उत्तेजना देने के आरोप में की गई है। वांगचुक ने इन आरोपों का खंडन किया और सार्वजनिक रूप से दावा किया कि उन्होंने युवाओं से शांति बनाए रखने की अपील की थी। उनकी पत्नी और कई सामाजिक संगठनों ने पुलिस और प्रशासन पर बिना वजह अपराधी जैसा व्यवहार करने का आरोप लगाया और मामले की निष्पक्ष जांच की मांग की है।
गिरफ्तारी के बाद लद्दाख और देशभर के कई हिस्सों में इंटरनेट सेवाएं बंद हैं और सामाजिक व राजनीतिक हलचल तेज हो गई है। विपक्ष ने गिरफ्तारी की आलोचना की है और आम आदमी पार्टी समेत कई दलों ने दिल्ली के जंतर मंतर पर विरोध प्रदर्शन का ऐलान किया है। सोनम वांगचुक की गिरफ्तारी ने राज्य की मांग, लोकतंत्र और मानवाधिकार बहस को फिर चर्चा में ला दिया है।
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