सारस न्यूज, वेब डेस्क।
सीमांचल क्षेत्र का किशनगंज जिला एक बार फिर से बाढ़ और नदी कटाव की मार झेल रहा है। हर साल की तरह इस बार भी कोसी और मेची नदियों का जलस्तर बढ़ते ही दर्जनों गांवों में पानी घुस गया है, जिससे जनजीवन बुरी तरह प्रभावित हुआ है। खेतों में लगी फसलें बर्बाद हो गई हैं और कई घर जलमग्न हो चुके हैं।
स्थानीय लोगों का कहना है कि सरकार हर साल सर्वे करती है, आश्वासन देती है, लेकिन जमीनी स्तर पर न तो तटबंध मजबूत होते हैं और न ही कटाव रोकने के पुख्ता इंतजाम किए जाते हैं।
ग्रामीणों का दर्द
कटाव प्रभावित इलाके के रहने वाले मो. आरिफ ने बताया, “हर साल घर बनाते हैं और हर साल नदी उसे बहा ले जाती है। अब तो हिम्मत भी टूटने लगी है। बच्चे भूखे हैं और कहीं राहत नहीं मिल रही।”
इसी तरह दिघलबैंक, बहादुरगंज और ठाकुरगंज प्रखंडों के कई गांवों में लोग ऊंचे स्थानों पर शरण लिए हुए हैं। सरकारी राहत शिविरों की संख्या कम है और वहां सुविधाएं भी न के बराबर हैं।
प्रशासन की प्रतिक्रिया
जिलाधिकारी का कहना है कि प्रभावित क्षेत्रों में राहत कार्य जारी है। नावों की व्यवस्था की जा रही है और जरूरतमंदों तक भोजन व दवाइयां पहुंचाई जा रही हैं। प्रशासन ने दावा किया है कि कटाव प्रभावित क्षेत्रों में जल्दी ही तटबंध निर्माण का काम शुरू होगा।
विशेषज्ञों की राय
जल प्रबंधन विशेषज्ञों के अनुसार, “अगर नदी तटों को वैज्ञानिक ढंग से मजबूत नहीं किया गया तो यह समस्या हर साल इसी तरह विकराल रूप लेती रहेगी।” उन्होंने लंबे समय से प्रस्तावित परियोजनाओं को तुरंत लागू करने की मांग की है।