किशनगंज में शरद पूर्णिमा के पावन अवसर पर बंगाली समुदाय के लोगों ने लखी पूजा धूमधाम से मनाई। इस अवसर पर महाप्रसादी के रूप में विशेष खिचड़ी का आयोजन किया गया। पुरोहितों द्वारा विधिवत पूजा-अर्चना के बाद श्रद्धालुओं के बीच प्रसाद का वितरण किया गया।
लखी पूजा के दौरान बंगाली समुदाय ने पारंपरिक रीति-रिवाजों से मां लक्ष्मी की पूजा-अर्चना की और उनकी कृपा पाने के लिए विशेष प्रार्थनाएँ कीं। इस अवसर पर महिलाओं ने व्रत रखा तथा घरों में पारंपरिक पकवान बनाए।
लखी पूजा का महत्व
शरद पूर्णिमा के दिन लखी पूजा करने का विशेष महत्व माना जाता है। मान्यता है कि इस दिन मां लक्ष्मी अपने वाहन उल्लू पर सवार होकर पृथ्वी पर भ्रमण करती हैं और अपने भक्तों की मनोकामनाएँ पूरी करती हैं। इस दिन को कोजागरी पूर्णिमा, कमला पूर्णिमा, रास पूर्णिमा और कौमुदी व्रत के नाम से भी जाना जाता है।
महाप्रसाद खिचड़ी का वितरण
डुमरिया वार्ड नंबर 30 की वार्ड पार्षद दीपाली सिंह के निज आवास पर भी शरद पूर्णिमा के अवसर पर पुरोहितों द्वारा मां लक्ष्मी की विधिवत पूजा-अर्चना की गई। पूजा के बाद श्रद्धालुओं के बीच महाप्रसाद खिचड़ी का वितरण किया गया। इस अवसर पर वार्ड पार्षद दीपाली सिंह ने कहा कि हर वर्ष शरद पूर्णिमा पर मां लखी की पूजा-अर्चना धूमधाम से की जाती है और वार्डवासियों के बीच महाप्रसाद खिचड़ी बाँटी जाती है।
पूजा की परंपरा
बंगाली समुदाय में लखी पूजा की परंपरा अत्यंत प्राचीन है। इस दिन महिलाएँ निर्जला व्रत रखती हैं और घरों में विशेष पूजा-अर्चना की जाती है। पूजा के बाद प्रसाद वितरण होता है तथा विवाहित महिलाओं को सिंदूर और आलता लगाया जाता है। इस अवसर पर घरों को दीयों से सजाया जाता है और तरह-तरह के पारंपरिक व्यंजन बनाए जाते हैं।
राहुल कुमार, सारस न्यूज़, किशनगंज।
किशनगंज में शरद पूर्णिमा के पावन अवसर पर बंगाली समुदाय के लोगों ने लखी पूजा धूमधाम से मनाई। इस अवसर पर महाप्रसादी के रूप में विशेष खिचड़ी का आयोजन किया गया। पुरोहितों द्वारा विधिवत पूजा-अर्चना के बाद श्रद्धालुओं के बीच प्रसाद का वितरण किया गया।
लखी पूजा के दौरान बंगाली समुदाय ने पारंपरिक रीति-रिवाजों से मां लक्ष्मी की पूजा-अर्चना की और उनकी कृपा पाने के लिए विशेष प्रार्थनाएँ कीं। इस अवसर पर महिलाओं ने व्रत रखा तथा घरों में पारंपरिक पकवान बनाए।
लखी पूजा का महत्व
शरद पूर्णिमा के दिन लखी पूजा करने का विशेष महत्व माना जाता है। मान्यता है कि इस दिन मां लक्ष्मी अपने वाहन उल्लू पर सवार होकर पृथ्वी पर भ्रमण करती हैं और अपने भक्तों की मनोकामनाएँ पूरी करती हैं। इस दिन को कोजागरी पूर्णिमा, कमला पूर्णिमा, रास पूर्णिमा और कौमुदी व्रत के नाम से भी जाना जाता है।
महाप्रसाद खिचड़ी का वितरण
डुमरिया वार्ड नंबर 30 की वार्ड पार्षद दीपाली सिंह के निज आवास पर भी शरद पूर्णिमा के अवसर पर पुरोहितों द्वारा मां लक्ष्मी की विधिवत पूजा-अर्चना की गई। पूजा के बाद श्रद्धालुओं के बीच महाप्रसाद खिचड़ी का वितरण किया गया। इस अवसर पर वार्ड पार्षद दीपाली सिंह ने कहा कि हर वर्ष शरद पूर्णिमा पर मां लखी की पूजा-अर्चना धूमधाम से की जाती है और वार्डवासियों के बीच महाप्रसाद खिचड़ी बाँटी जाती है।
पूजा की परंपरा
बंगाली समुदाय में लखी पूजा की परंपरा अत्यंत प्राचीन है। इस दिन महिलाएँ निर्जला व्रत रखती हैं और घरों में विशेष पूजा-अर्चना की जाती है। पूजा के बाद प्रसाद वितरण होता है तथा विवाहित महिलाओं को सिंदूर और आलता लगाया जाता है। इस अवसर पर घरों को दीयों से सजाया जाता है और तरह-तरह के पारंपरिक व्यंजन बनाए जाते हैं।
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