बिहार विधानसभा चुनाव की रणभेरी बजते ही प्रदेश की राजनीति गरमा गई है। तमाम दिग्गज नेता और राजनीतिक दल जहां अपने-अपने समीकरण साधने में जुटे हैं, वहीं जनता के बीच से एक अलग और खास चेहरा चुनावी मैदान में उतरने को तैयार है। हम बात कर रहे हैं किशनगंज जिले के छोटे लाल महतो की, जो पेशे से गैस सिलेंडर डिलीवरी वेंडर हैं और अब एक बार फिर चुनाव लड़ने का ऐलान कर चुके हैं।
छोटे लाल महतो कोई नए चेहरे नहीं हैं। पिछली बार भी उन्होंने चुनावी मैदान में उतर कर हलचल मचा दी थी। हालांकि उन्हें जीत नहीं मिली थी, लेकिन जनता के बीच उनकी सादगी, ईमानदारी और सेवा भाव ने गहरी छाप छोड़ी थी। यही वजह है कि इस बार उन्होंने पहले से ज्यादा तैयारी के साथ राजनीति के अखाड़े में उतरने का फैसला लिया है।
अपने रोज़ाना के काम के दौरान छोटे लाल आम लोगों से सीधे जुड़े रहते हैं। वो कहते हैं, “मैं हर दिन लोगों के घर-घर जाकर गैस सिलेंडर पहुंचाता हूं। मैंने नज़दीक से देखा है कि आम जनता किन-किन मुश्किलों से जूझ रही है। नेताओं के बड़े-बड़े वादे तो बहुत सुने हैं, लेकिन ज़मीनी हकीकत कुछ और ही है। अब समय आ गया है कि जनता का एक सच्चा प्रतिनिधि विधानसभा में पहुंचे।”
उनके चुनावी अभियान की शुरुआत भी काफी अनोखी रही। न तो कोई बड़ा रोड शो, न ही भारी-भरकम पोस्टर-बैनर। सिर्फ एक साइकिल, उस पर सिलेंडर और एक सादा सा प्लेकार्ड—”छोटे लाल महतो, आपका अपना उम्मीदवार”। ये दृश्य इलाके में चर्चा का विषय बन गया है। लोग उन्हें एक ऐसे उम्मीदवार के रूप में देख रहे हैं, जो वास्तव में ‘जनता में से एक’ है।
राजनीति के जानकार भी मानते हैं कि छोटे लाल भले ही बड़े दलों से ताल्लुक न रखते हों, लेकिन उनका जुड़ाव जनता से सीधा है और यही उनकी सबसे बड़ी ताकत बन सकता है।
अब यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या छोटे लाल महतो इस बार चुनावी समर में कोई बड़ा उलटफेर कर पाते हैं या नहीं। मगर एक बात तय है—बिहार की सियासत में इस बार भी छोटे लाल का नाम ज़रूर गूंजेगा।
सारस न्यूज, वेब डेस्क।
बिहार विधानसभा चुनाव की रणभेरी बजते ही प्रदेश की राजनीति गरमा गई है। तमाम दिग्गज नेता और राजनीतिक दल जहां अपने-अपने समीकरण साधने में जुटे हैं, वहीं जनता के बीच से एक अलग और खास चेहरा चुनावी मैदान में उतरने को तैयार है। हम बात कर रहे हैं किशनगंज जिले के छोटे लाल महतो की, जो पेशे से गैस सिलेंडर डिलीवरी वेंडर हैं और अब एक बार फिर चुनाव लड़ने का ऐलान कर चुके हैं।
छोटे लाल महतो कोई नए चेहरे नहीं हैं। पिछली बार भी उन्होंने चुनावी मैदान में उतर कर हलचल मचा दी थी। हालांकि उन्हें जीत नहीं मिली थी, लेकिन जनता के बीच उनकी सादगी, ईमानदारी और सेवा भाव ने गहरी छाप छोड़ी थी। यही वजह है कि इस बार उन्होंने पहले से ज्यादा तैयारी के साथ राजनीति के अखाड़े में उतरने का फैसला लिया है।
अपने रोज़ाना के काम के दौरान छोटे लाल आम लोगों से सीधे जुड़े रहते हैं। वो कहते हैं, “मैं हर दिन लोगों के घर-घर जाकर गैस सिलेंडर पहुंचाता हूं। मैंने नज़दीक से देखा है कि आम जनता किन-किन मुश्किलों से जूझ रही है। नेताओं के बड़े-बड़े वादे तो बहुत सुने हैं, लेकिन ज़मीनी हकीकत कुछ और ही है। अब समय आ गया है कि जनता का एक सच्चा प्रतिनिधि विधानसभा में पहुंचे।”
उनके चुनावी अभियान की शुरुआत भी काफी अनोखी रही। न तो कोई बड़ा रोड शो, न ही भारी-भरकम पोस्टर-बैनर। सिर्फ एक साइकिल, उस पर सिलेंडर और एक सादा सा प्लेकार्ड—”छोटे लाल महतो, आपका अपना उम्मीदवार”। ये दृश्य इलाके में चर्चा का विषय बन गया है। लोग उन्हें एक ऐसे उम्मीदवार के रूप में देख रहे हैं, जो वास्तव में ‘जनता में से एक’ है।
राजनीति के जानकार भी मानते हैं कि छोटे लाल भले ही बड़े दलों से ताल्लुक न रखते हों, लेकिन उनका जुड़ाव जनता से सीधा है और यही उनकी सबसे बड़ी ताकत बन सकता है।
अब यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या छोटे लाल महतो इस बार चुनावी समर में कोई बड़ा उलटफेर कर पाते हैं या नहीं। मगर एक बात तय है—बिहार की सियासत में इस बार भी छोटे लाल का नाम ज़रूर गूंजेगा।
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