बिहार की राजनीति में टिकट पाने की होड़ अब एक नए मोड़ पर आ गई है। ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) ने 2025 विधानसभा चुनाव को लेकर उम्मीदवारों के लिए एक अनोखी और सख्त शर्त रख दी है।
पार्टी ने साफ कर दिया है कि अब केवल शैक्षणिक योग्यता, सामाजिक पकड़ या बायोडाटा ही काफी नहीं होगा—उम्मीदवारों को अपनी राजनीतिक वफादारी की गारंटी भी देनी होगी। पार्टी सूत्रों के अनुसार, उम्मीदवारों से एक लिखित हलफनामा लिया जाएगा जिसमें वे यह वादा करेंगे कि चुनाव जीतने के बाद वे पार्टी के सिद्धांतों और नेतृत्व के प्रति पूरी निष्ठा बनाए रखेंगे।
AIMIM का बयान:
AIMIM के बिहार प्रभारी ने मीडिया से बात करते हुए कहा,
“बीते वर्षों में कई दल-बदलू नेताओं ने पार्टी की छवि को नुकसान पहुंचाया है। अब हम ऐसे किसी भी मौके को रोकने के लिए पहले से ही वफादारी सुनिश्चित करना चाहते हैं। पार्टी के लिए समर्पण अब एक औपचारिक शर्त है।”
क्यों जरूरी पड़ी ये शर्त?
विश्लेषकों के मुताबिक, AIMIM यह कदम इसलिए उठा रही है क्योंकि पिछली बार चुनाव जीतने वाले कुछ विधायकों ने पार्टी से नाता तोड़कर दूसरे दलों का रुख कर लिया था। इससे न सिर्फ AIMIM की छवि को नुकसान हुआ, बल्कि संगठनात्मक ढांचा भी प्रभावित हुआ।
हलफनामा क्या होगा?
उम्मीदवार को लिखित में देना होगा कि वे 5 साल तक पार्टी नहीं छोड़ेंगे।
यदि वे पार्टी विरोधी गतिविधि में लिप्त पाए गए, तो वे इस्तीफा देंगे।
कुछ मामलों में पार्टी उनसे कानूनी कार्रवाई का भी अधिकार सुरक्षित रखेगी।
राजनीतिक हलकों में हलचल
AIMIM की इस रणनीति को लेकर बिहार की सियासत में हलचल तेज हो गई है। अन्य दलों के लिए भी यह संकेत है कि दल-बदल और ‘पार्टी से ऊपर व्यक्तिगत फायदे’ की राजनीति पर अब लगाम लगाने की सोच बन रही है।
क्या AIMIM की यह शर्त 2025 के विधानसभा चुनाव में गेमचेंजर साबित होगी? या ये सिर्फ एक सियासी स्टंट है? बिहार की राजनीति में आने वाले हफ्तों में इसका असर जरूर दिखाई देगा।
सारस न्यूज, वेब डेस्क।
बिहार की राजनीति में टिकट पाने की होड़ अब एक नए मोड़ पर आ गई है। ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) ने 2025 विधानसभा चुनाव को लेकर उम्मीदवारों के लिए एक अनोखी और सख्त शर्त रख दी है।
पार्टी ने साफ कर दिया है कि अब केवल शैक्षणिक योग्यता, सामाजिक पकड़ या बायोडाटा ही काफी नहीं होगा—उम्मीदवारों को अपनी राजनीतिक वफादारी की गारंटी भी देनी होगी। पार्टी सूत्रों के अनुसार, उम्मीदवारों से एक लिखित हलफनामा लिया जाएगा जिसमें वे यह वादा करेंगे कि चुनाव जीतने के बाद वे पार्टी के सिद्धांतों और नेतृत्व के प्रति पूरी निष्ठा बनाए रखेंगे।
AIMIM का बयान:
AIMIM के बिहार प्रभारी ने मीडिया से बात करते हुए कहा,
“बीते वर्षों में कई दल-बदलू नेताओं ने पार्टी की छवि को नुकसान पहुंचाया है। अब हम ऐसे किसी भी मौके को रोकने के लिए पहले से ही वफादारी सुनिश्चित करना चाहते हैं। पार्टी के लिए समर्पण अब एक औपचारिक शर्त है।”
क्यों जरूरी पड़ी ये शर्त?
विश्लेषकों के मुताबिक, AIMIM यह कदम इसलिए उठा रही है क्योंकि पिछली बार चुनाव जीतने वाले कुछ विधायकों ने पार्टी से नाता तोड़कर दूसरे दलों का रुख कर लिया था। इससे न सिर्फ AIMIM की छवि को नुकसान हुआ, बल्कि संगठनात्मक ढांचा भी प्रभावित हुआ।
हलफनामा क्या होगा?
उम्मीदवार को लिखित में देना होगा कि वे 5 साल तक पार्टी नहीं छोड़ेंगे।
यदि वे पार्टी विरोधी गतिविधि में लिप्त पाए गए, तो वे इस्तीफा देंगे।
कुछ मामलों में पार्टी उनसे कानूनी कार्रवाई का भी अधिकार सुरक्षित रखेगी।
राजनीतिक हलकों में हलचल
AIMIM की इस रणनीति को लेकर बिहार की सियासत में हलचल तेज हो गई है। अन्य दलों के लिए भी यह संकेत है कि दल-बदल और ‘पार्टी से ऊपर व्यक्तिगत फायदे’ की राजनीति पर अब लगाम लगाने की सोच बन रही है।
क्या AIMIM की यह शर्त 2025 के विधानसभा चुनाव में गेमचेंजर साबित होगी? या ये सिर्फ एक सियासी स्टंट है? बिहार की राजनीति में आने वाले हफ्तों में इसका असर जरूर दिखाई देगा।
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