बिहार विधानसभा चुनाव से पहले राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) के नेता और सीवान जिलाध्यक्ष इंजीनियर बिपिन कुशवाहा ने पार्टी से इस्तीफा देकर बड़ा राजनीतिक भूचाल ला दिया है। गोरियाकोठी विधानसभा सीट से टिकट न मिलने पर उन्होंने पद और सदस्यता, दोनों से त्यागपत्र दे दिया। उन्होंने फेसबुक और सोशल मीडिया पर अपने इस्तीफे की जानकारी साझा की, जिससे स्थानीय राजनीतिक हलचल तेज हो गई। टिकट बंटवारे पर फूटा गुस्साजानकारी के अनुसार, बिपिन कुशवाहा गोरियाकोठी से आरजेडी प्रत्याशी बनने की उम्मीद कर रहे थे, लेकिन पार्टी ने यह सीट अनवर उल हक को सौंप दी। टिकट बंटवारे के फैसले से नाराज होकर कुशवाहा ने पार्टी छोड़ने का निर्णय लिया। बताया जाता है कि अनवर असल में बड़हरिया से टिकट की मांग कर रहे थे, लेकिन उन्हें अचानक गोरियाकोठी से सिंबल दे दिया गया, जिससे स्थिति और तनावपूर्ण हो गई ।
कुशवाहा वोटरों पर असरसीवान में करीब 10 प्रतिशत कुशवाहा (कोइरी) वोटर हैं, जिससे बिपिन कुशवाहा का पार्टी छोड़ना आरजेडी के लिए नुकसान साबित हो सकता है। बिहार में लोकसभा चुनाव के बाद से कुशवाहा जातीय राजनीति एक निर्णायक कारक बन गई है, और सीवान इसका प्रमुख केंद्र माना जाता है । अन्य उम्मीदवार और सीट समीकरणसीवान जिले में आरजेडी ने अब तक तीन सीटों पर प्रत्याशियों की घोषणा की है —महाराजगंज सीट: एमएलसी बिनोद जायसवाल के बेटे विशाल जायसवालगोरियाकोठी सीट: अनवर उल हकबड़हरिया सीट: अरुण गुप्तावहीं, रघुनाथपुर सीट से तेजस्वी यादव ने शहाबुद्दीन के बेटे ओसामा शहाब को प्रत्याशी बनाया है, जबकि उनकी मां हिना शहाब पार्टी के स्टार प्रचारकों में शामिल हैं। पूर्व विधायक हरिशंकर यादव ने ओसामा के समर्थन में टिकट की रेस से खुद को अलग कर लिया है ।
स्थानीय राजनीति में बदलाव के संकेतबिपिन कुशवाहा के इस्तीफे के बाद सीवान की सियासत में नई संभावनाएं और समीकरण बनते दिखाई दे रहे हैं। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह कदम न केवल आरजेडी बल्कि महागठबंधन के स्थानीय जनाधार को भी प्रभावित कर सकता है। अभी स्पष्ट नहीं है कि कुशवाहा आगे किस राजनीतिक दल से जुड़ेंगे, मगर उनका यह फैसला निश्चित रूप से 2025 के विधानसभा चुनाव की दिशा बदल सकता है
सारस न्यूज़, वेब डेस्क।
बिहार विधानसभा चुनाव से पहले राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) के नेता और सीवान जिलाध्यक्ष इंजीनियर बिपिन कुशवाहा ने पार्टी से इस्तीफा देकर बड़ा राजनीतिक भूचाल ला दिया है। गोरियाकोठी विधानसभा सीट से टिकट न मिलने पर उन्होंने पद और सदस्यता, दोनों से त्यागपत्र दे दिया। उन्होंने फेसबुक और सोशल मीडिया पर अपने इस्तीफे की जानकारी साझा की, जिससे स्थानीय राजनीतिक हलचल तेज हो गई। टिकट बंटवारे पर फूटा गुस्साजानकारी के अनुसार, बिपिन कुशवाहा गोरियाकोठी से आरजेडी प्रत्याशी बनने की उम्मीद कर रहे थे, लेकिन पार्टी ने यह सीट अनवर उल हक को सौंप दी। टिकट बंटवारे के फैसले से नाराज होकर कुशवाहा ने पार्टी छोड़ने का निर्णय लिया। बताया जाता है कि अनवर असल में बड़हरिया से टिकट की मांग कर रहे थे, लेकिन उन्हें अचानक गोरियाकोठी से सिंबल दे दिया गया, जिससे स्थिति और तनावपूर्ण हो गई ।
कुशवाहा वोटरों पर असरसीवान में करीब 10 प्रतिशत कुशवाहा (कोइरी) वोटर हैं, जिससे बिपिन कुशवाहा का पार्टी छोड़ना आरजेडी के लिए नुकसान साबित हो सकता है। बिहार में लोकसभा चुनाव के बाद से कुशवाहा जातीय राजनीति एक निर्णायक कारक बन गई है, और सीवान इसका प्रमुख केंद्र माना जाता है । अन्य उम्मीदवार और सीट समीकरणसीवान जिले में आरजेडी ने अब तक तीन सीटों पर प्रत्याशियों की घोषणा की है —महाराजगंज सीट: एमएलसी बिनोद जायसवाल के बेटे विशाल जायसवालगोरियाकोठी सीट: अनवर उल हकबड़हरिया सीट: अरुण गुप्तावहीं, रघुनाथपुर सीट से तेजस्वी यादव ने शहाबुद्दीन के बेटे ओसामा शहाब को प्रत्याशी बनाया है, जबकि उनकी मां हिना शहाब पार्टी के स्टार प्रचारकों में शामिल हैं। पूर्व विधायक हरिशंकर यादव ने ओसामा के समर्थन में टिकट की रेस से खुद को अलग कर लिया है ।
स्थानीय राजनीति में बदलाव के संकेतबिपिन कुशवाहा के इस्तीफे के बाद सीवान की सियासत में नई संभावनाएं और समीकरण बनते दिखाई दे रहे हैं। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह कदम न केवल आरजेडी बल्कि महागठबंधन के स्थानीय जनाधार को भी प्रभावित कर सकता है। अभी स्पष्ट नहीं है कि कुशवाहा आगे किस राजनीतिक दल से जुड़ेंगे, मगर उनका यह फैसला निश्चित रूप से 2025 के विधानसभा चुनाव की दिशा बदल सकता है
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