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आस्था का केंद्र है डुमरिया काली मंदिर, भक्तों की मनोकामनाएं होती हैं पूरी ‘रक्खा काली’ के नाम से भी प्रसिद्ध है यह मंदिर।

राहुल कुमार, सारस न्यूज़, किशनगंज।

किशनगंज शहर के वार्ड संख्या 30 स्थित डुमरिया काली मंदिर भक्तों की अटूट आस्था का केंद्र है। ऐसा माना जाता है कि यहां आने वाले श्रद्धालुओं की हर मनोकामना पूर्ण होती है। मंदिर का इतिहास लगभग 71 वर्ष पुराना है।

इस मंदिर में पूजा-अर्चना की शुरुआत पार्षद प्रतिनिधि राजा सिंह के पिता स्वर्गीय दिनेन्द्र नाथ सिंह एवं मोहल्ले के कुछ लोगों के सहयोग से लगभग 71 वर्ष पूर्व की गई थी। उस समय मां काली की पूजा टाटी से घिरे एक अस्थायी परिसर में की जाती थी। धीरे-धीरे लोगों की आस्था बढ़ती गई, जिसके बाद स्वर्गीय दिनेन्द्र नाथ सिंह के प्रयासों से यहां एक पक्का भवन बनवाया गया और मंदिर ने भव्य स्वरूप ले लिया।

मंदिर में मां काली की स्थायी प्रतिमा स्थापित है। प्रारंभ में यहां पूजा का कार्य स्वर्गीय पिंटू सिंह द्वारा किया जाता था। उन्हीं के प्रयास से हनुमान मंदिर का निर्माण भी हुआ था। वर्तमान में मंदिर के पुरोहित दीपक चक्रवर्ती हैं। इससे पूर्व स्वर्गीय परितोष मुखर्जी, उनके पिता और दादा प्रह्लाद मुखर्जी भी यहां पूजा-अर्चना करते रहे हैं।

ऐसी मान्यता है कि मां काली से मांगी गई मनोकामनाएं पूरी होने पर भक्त यहां फल, लड्डू आदि प्रसाद के रूप में चढ़ाते हैं। श्रद्धालुओं का कहना है कि मां काली हर विपत्ति से अपने भक्तों की रक्षा करती हैं। यही कारण है कि यह मंदिर ‘रक्खा काली मंदिर’ के नाम से भी प्रसिद्ध है।

यहां केवल किशनगंज ही नहीं, बल्कि पश्चिम बंगाल सहित अन्य क्षेत्रों से भी बड़ी संख्या में भक्त दर्शन हेतु पहुंचते हैं। पूजा के दूसरे दिन मंदिर में खिचड़ी महाप्रसाद का वितरण किया जाता है।

मंदिर समिति के अध्यक्ष राजा सिंह ने बताया कि माता के प्रति भक्तों की आस्था अत्यंत गहरी है। इस बार की समिति में सदस्य शशांक सिंह, विशाल पाल, कपिल सिंह, दीपक दास, बाबुल और सोनू शामिल हैं।

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