ठाकुरगंज विधानसभा क्षेत्र में अंतिम चरण का मतदान 11 नवंबर 2025 को होना है। जैसे-जैसे चुनाव की तारीख करीब आ रही है, प्रत्याशियों की गतिविधियां तेज़ हो गई हैं। ठाकुरगंज नगर पंचायत सहित कुल 35 पंचायतों में चुनावी माहौल चरम पर है। अब हर प्रत्याशी का लक्ष्य साफ है — अधिक से अधिक मतदाताओं तक पहुंच बनाना और सामाजिक संगठनों का समर्थन हासिल करना।
सुबह से देर रात तक प्रत्याशी अपने कार्यकर्ताओं के साथ प्रचार अभियान में जुटे हैं। धूल भरी गलियों और ऊबड़-खाबड़ सड़कों पर भी उनका उत्साह कम नहीं हो रहा। वहीं, सोशल मीडिया पर भी चुनावी प्रचार का जाल बिछा हुआ है — हर प्रत्याशी अपने समर्थकों से ऑनलाइन अपील कर रहा है।
इन सबके बीच सामाजिक संगठनों की भूमिका इस बार बेहद अहम मानी जा रही है। कई संगठन अपने समाज में मजबूत पकड़ रखते हैं, तो कुछ केवल नाममात्र के रह गए हैं। उम्मीदवारों को भरोसा है कि यदि वे इन संगठनों के प्रमुखों को अपने पक्ष में कर लें, तो पूरा वोट बैंक उनके साथ आ सकता है। यही कारण है कि इन दिनों सामाजिक संगठनों के नेताओं के यहां प्रत्याशियों का लगातार आना-जाना लगा हुआ है।
एक संगठन के प्रमुख ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि उन्हें कई प्रत्याशियों ने प्रचार में सहयोग देने के लिए संपर्क किया है। कुछ ने आर्थिक मदद की पेशकश की, तो कुछ ने अन्य तरह की सुविधाओं का लालच दिया।
ऐसे में कहा जा सकता है कि चुनावी नैया पार करने के लिए प्रत्याशी किसी भी तरह का समझौता करने को तैयार हैं। वहीं संगठन भी इस मौके का भरपूर फायदा उठाने से नहीं चूक रहे। कई संगठन एक साथ दो या तीन प्रत्याशियों से समझौते कर लेते हैं, जिससे उन्हें हर तरफ से लाभ मिल सके।
इस बीच, मतदाता फिलहाल खामोश हैं। वे खुलकर किसी के पक्ष में बोल नहीं रहे, लेकिन आम राय यही है कि इस बार वोट जाति या धर्म के आधार पर नहीं, बल्कि विकास कार्यों और जनसेवा करने वाले उम्मीदवार को ही मिलेगा।
निष्कर्षतः, ठाकुरगंज की राजनीति इस समय अपने रोचक मोड़ पर है। प्रत्याशी जहां संगठनों के भरोसे अपनी जीत की गिनती कर रहे हैं, वहीं संगठन भी इस चुनाव को अवसर के रूप में भुनाने में लगे हैं। अब देखना यह है कि 11 नवंबर को मतदाता किसके पक्ष में फैसला सुनाते हैं — विकास के नाम पर या फिर परंपरागत समीकरणों के आधार पर।
सारस न्यूज़, किशनगंज।
ठाकुरगंज विधानसभा क्षेत्र में अंतिम चरण का मतदान 11 नवंबर 2025 को होना है। जैसे-जैसे चुनाव की तारीख करीब आ रही है, प्रत्याशियों की गतिविधियां तेज़ हो गई हैं। ठाकुरगंज नगर पंचायत सहित कुल 35 पंचायतों में चुनावी माहौल चरम पर है। अब हर प्रत्याशी का लक्ष्य साफ है — अधिक से अधिक मतदाताओं तक पहुंच बनाना और सामाजिक संगठनों का समर्थन हासिल करना।
सुबह से देर रात तक प्रत्याशी अपने कार्यकर्ताओं के साथ प्रचार अभियान में जुटे हैं। धूल भरी गलियों और ऊबड़-खाबड़ सड़कों पर भी उनका उत्साह कम नहीं हो रहा। वहीं, सोशल मीडिया पर भी चुनावी प्रचार का जाल बिछा हुआ है — हर प्रत्याशी अपने समर्थकों से ऑनलाइन अपील कर रहा है।
इन सबके बीच सामाजिक संगठनों की भूमिका इस बार बेहद अहम मानी जा रही है। कई संगठन अपने समाज में मजबूत पकड़ रखते हैं, तो कुछ केवल नाममात्र के रह गए हैं। उम्मीदवारों को भरोसा है कि यदि वे इन संगठनों के प्रमुखों को अपने पक्ष में कर लें, तो पूरा वोट बैंक उनके साथ आ सकता है। यही कारण है कि इन दिनों सामाजिक संगठनों के नेताओं के यहां प्रत्याशियों का लगातार आना-जाना लगा हुआ है।
एक संगठन के प्रमुख ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि उन्हें कई प्रत्याशियों ने प्रचार में सहयोग देने के लिए संपर्क किया है। कुछ ने आर्थिक मदद की पेशकश की, तो कुछ ने अन्य तरह की सुविधाओं का लालच दिया।
ऐसे में कहा जा सकता है कि चुनावी नैया पार करने के लिए प्रत्याशी किसी भी तरह का समझौता करने को तैयार हैं। वहीं संगठन भी इस मौके का भरपूर फायदा उठाने से नहीं चूक रहे। कई संगठन एक साथ दो या तीन प्रत्याशियों से समझौते कर लेते हैं, जिससे उन्हें हर तरफ से लाभ मिल सके।
इस बीच, मतदाता फिलहाल खामोश हैं। वे खुलकर किसी के पक्ष में बोल नहीं रहे, लेकिन आम राय यही है कि इस बार वोट जाति या धर्म के आधार पर नहीं, बल्कि विकास कार्यों और जनसेवा करने वाले उम्मीदवार को ही मिलेगा।
निष्कर्षतः, ठाकुरगंज की राजनीति इस समय अपने रोचक मोड़ पर है। प्रत्याशी जहां संगठनों के भरोसे अपनी जीत की गिनती कर रहे हैं, वहीं संगठन भी इस चुनाव को अवसर के रूप में भुनाने में लगे हैं। अब देखना यह है कि 11 नवंबर को मतदाता किसके पक्ष में फैसला सुनाते हैं — विकास के नाम पर या फिर परंपरागत समीकरणों के आधार पर।
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