विधानसभा चुनाव के मतदान की तिथि जैसे-जैसे नज़दीक आ रही है, किशनगंज जिले का सियासी पारा चढ़ता जा रहा है। अब प्रत्याशी मतदाताओं को अपने पक्ष में करने के लिए हर संभव कोशिश में जुट गए हैं। गांव-गांव, गली-गली में जनसंपर्क का दौर तेज़ हो गया है।
मतदाताओं के दरवाजे पर पहुंचते ही प्रत्याशियों का रटा-रटाया संवाद सुनाई दे रहा है — “आपसे तो मेरा वर्षों पुराना रिश्ता है… बस कुछ कारणों से मुलाकातें कम हो गईं, अब वो दूरी भी नहीं रहेगी। बस इस चुनाव में आपका आशीर्वाद बनाए रखिए।”
स्थानीय जनता से जुड़ाव का दावा करते हुए उम्मीदवार अपने पुराने रिश्तों और सामाजिक संबंधों की दुहाई दे रहे हैं। कोई खुद को “भाई” बता रहा है, तो कोई “भतीजा” या “चाचा” बनकर मतदाताओं के दिल में जगह बनाने की कोशिश कर रहा है।
प्रत्याशियों को पता है कि हर एक वोट कितना अहम है। इसलिए वे जनता से विनम्र आग्रह कर रहे हैं कि इस बार मौका जरूर दें, “जीतने के बाद आपका काम, आपकी सेवा, और आपकी आवाज़ ही मेरी प्राथमिकता होगी।”
कुल मिलाकर, किशनगंज में चुनावी जंग अब पूरी तरह गर्मा चुकी है। हर उम्मीदवार मतदाताओं के दिल में जगह बनाने के लिए नई-नई रणनीतियाँ आजमा रहा है — कहीं रिश्तों की मिठास घोली जा रही है तो कहीं विकास के वादे पर भरोसा जीतने की कोशिश हो रही है।
सारस न्यूज, वेब डेस्क।
विधानसभा चुनाव के मतदान की तिथि जैसे-जैसे नज़दीक आ रही है, किशनगंज जिले का सियासी पारा चढ़ता जा रहा है। अब प्रत्याशी मतदाताओं को अपने पक्ष में करने के लिए हर संभव कोशिश में जुट गए हैं। गांव-गांव, गली-गली में जनसंपर्क का दौर तेज़ हो गया है।
मतदाताओं के दरवाजे पर पहुंचते ही प्रत्याशियों का रटा-रटाया संवाद सुनाई दे रहा है — “आपसे तो मेरा वर्षों पुराना रिश्ता है… बस कुछ कारणों से मुलाकातें कम हो गईं, अब वो दूरी भी नहीं रहेगी। बस इस चुनाव में आपका आशीर्वाद बनाए रखिए।”
स्थानीय जनता से जुड़ाव का दावा करते हुए उम्मीदवार अपने पुराने रिश्तों और सामाजिक संबंधों की दुहाई दे रहे हैं। कोई खुद को “भाई” बता रहा है, तो कोई “भतीजा” या “चाचा” बनकर मतदाताओं के दिल में जगह बनाने की कोशिश कर रहा है।
प्रत्याशियों को पता है कि हर एक वोट कितना अहम है। इसलिए वे जनता से विनम्र आग्रह कर रहे हैं कि इस बार मौका जरूर दें, “जीतने के बाद आपका काम, आपकी सेवा, और आपकी आवाज़ ही मेरी प्राथमिकता होगी।”
कुल मिलाकर, किशनगंज में चुनावी जंग अब पूरी तरह गर्मा चुकी है। हर उम्मीदवार मतदाताओं के दिल में जगह बनाने के लिए नई-नई रणनीतियाँ आजमा रहा है — कहीं रिश्तों की मिठास घोली जा रही है तो कहीं विकास के वादे पर भरोसा जीतने की कोशिश हो रही है।
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