जिलाधिकारी की अध्यक्षता में देर रात तक चली उच्चस्तरीय बैठक, अनेक निर्देश जारी
जिले में गुणवत्तापूर्ण, पारदर्शी और सुलभ स्वास्थ्य सेवाओं को सुनिश्चित करने हेतु जिला प्रशासन लगातार प्राथमिकता के साथ सुधारात्मक कदम उठा रहा है। इसी क्रम में बुधवार की देर रात जिलाधिकारी डॉ. विशाल राज की अध्यक्षता में स्वास्थ्य विभाग की एक विस्तृत और गहन समीक्षा बैठक आयोजित हुई।
बैठक की शुरुआत में जिलाधिकारी ने स्पष्ट कहा कि “जिले का कोई भी व्यक्ति स्वास्थ्य सुविधाओं से वंचित न रहे—यह प्रशासन की सर्वोच्च जिम्मेदारी है।” उन्होंने निर्देश दिया कि प्रत्येक स्वास्थ्य कार्यक्रम और उससे जुड़े सभी घटकों को अंतिम व्यक्ति तक पहुँचाने में किसी भी स्तर पर कमी स्वीकार्य नहीं होगी। बैठक में सिविल सर्जन डॉ. राज कुमार चौधरी, जिला एनसीडी पदाधिकारी डॉ. उर्मिला कुमारी, जिला टीबी पदाधिकारी डॉ. मंजर आलम, प्रतिरक्षण पदाधिकारी डॉ. देवेंद्र कुमार, बीएचएम–बीसीएम, सभी प्रखंड चिकित्सा पदाधिकारी तथा सहयोगी संस्थाओं के प्रतिनिधि उपस्थित रहे।
परिवार नियोजन कार्यक्रम की समीक्षा—सेवा उपलब्धता में शिथिलता पर सख्त रुख
परिवार नियोजन पर चर्चा के दौरान जिलाधिकारी ने कहा कि महिला नसबंदी, पुरुष नसबंदी, MCP और अस्थायी साधनों की उपलब्धता एवं वितरण में किसी भी प्रकार की ढिलाई नहीं होनी चाहिए। उन्होंने बताया कि परिवार नियोजन केवल जनसंख्या नियंत्रण का उपाय नहीं, बल्कि मातृ एवं शिशु मृत्यु दर को कम करने का मूल आधार है। उन्होंने निर्देश दिया कि हर दंपती तक सुरक्षित विकल्प और परामर्श समय पर पहुँचे तथा जनजागरूकता अभियान को और अधिक सशक्त किया जाए।
हेल्थ एंड वेलनेस सेंटरों में टेलीमेडिसिन सेवाओं के विस्तार पर ज़ोर
जिलाधिकारी ने निर्देश दिया कि प्रत्येक HWC में टेलीमेडिसिन सेवाएं सक्रिय रूप से लागू हों। उन्होंने कहा कि डिजिटल तकनीक के माध्यम से विशेषज्ञ डॉक्टरों की राय अब गांवों तक पहुँच सकती है, जिससे मरीजों को अनावश्यक यात्रा से राहत मिलेगी। उन्होंने इसे ग्रामीण जनसंख्या के लिए अत्यंत उपयोगी सुविधा बताते हुए इसके प्रभावी कार्यान्वयन पर बल दिया।
NRC की कार्यप्रणाली सुधारने के निर्देश—कुपोषित बच्चों को समय पर उपचार अनिवार्य
पोषण पुनर्वास केंद्र (NRC) की समीक्षा में जिलाधिकारी ने कहा कि गंभीर कुपोषित बच्चों को तुरंत भर्ती कर उपचार उपलब्ध करवाना प्रत्येक स्तर की प्राथमिकता होनी चाहिए। उन्होंने जोर दिया कि NRC की प्रभावी कार्यशैली ही कुपोषण रोकथाम का सबसे महत्वपूर्ण साधन है और इस दिशा में किसी भी प्रकार की देरी स्वीकार्य नहीं होगी।
VHSND को मजबूत बनाने पर बल—ग्राम स्तर की स्वास्थ्य सेवा का आधार
जिलाधिकारी ने बताया कि VHSND ग्रामीण स्वास्थ्य व्यवस्था की नींव है और इसको मजबूत किए बिना गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवाएं अंतिम पायदान तक नहीं पहुँच सकतीं। उन्होंने निर्देश दिया कि ANM, आशा और आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं की उपस्थिति, सेवा वितरण और जनजागरूकता गतिविधियों की नियमित समीक्षा अनिवार्य होनी चाहिए, ताकि हर परिवार तक समय पर स्वास्थ्य एवं पोषण सुविधाएं पहुंच सकें।
गृह प्रसव मुक्त पंचायत अभियान—संस्थागत प्रसव को बढ़ावा देने का लक्ष्य
गृह प्रसव मुक्त पंचायत अभियान पर विस्तृत चर्चा करते हुए जिलाधिकारी ने कहा कि घर पर प्रसव होना मातृ एवं नवजात के लिए जोखिमपूर्ण है। उन्होंने निर्देश दिया कि गर्भवती महिलाओं की समय पर पहचान, ANC जांच, लाइन लिस्टिंग और रेफरल व्यवस्था को मजबूत किया जाए। आने वाले महीनों में अधिक से अधिक पंचायतों को गृह प्रसव मुक्त घोषित करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है।
नवजात सप्ताह पर विशेष निगरानी—जन्म के प्रथम सात दिनों को उच्च प्राथमिकता
जिलाधिकारी ने निर्देश दिया कि नवजात सप्ताह को गंभीरता से मनाया जाए और प्रत्येक संस्था में जन्म के बाद आवश्यक जांच, KMC, स्तनपान परामर्श एवं रेफरल सेवाओं की उपलब्धता सुनिश्चित की जाए। उन्होंने कहा कि जन्म के बाद के पहले सात दिन नवजात के जीवन रक्षा के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण होते हैं, इसलिए इस अवधि की मॉनिटरिंग मजबूत एवं व्यवस्थित होनी चाहिए।
टीबी उन्मूलन कार्यक्रम में तेजी—सक्रिय जांच और नोटिफिकेशन पर बल
टीबी कार्यक्रम की समीक्षा में जिलाधिकारी ने कहा कि टीबी जांच, नोटिफिकेशन और उपचार की गति और बढ़ाई जानी चाहिए। जिला टीबी पदाधिकारी डॉ. मंजर आलम ने बताया कि जिले में सक्रिय फाइंडिंग अभियान तेज किया गया है तथा उपचार अनुपालन को बढ़ाने के लिए सतत प्रयास जारी हैं।
एनसीडी स्क्रीनिंग में गति—हृदय रोग, डायबिटीज, कैंसर की शीघ्र पहचान पर जोर
एनसीडी समीक्षा में जिलाधिकारी ने निर्देश दिया कि सभी प्रखंडों में स्क्रीनिंग गतिविधियों को तेज किया जाए। उन्होंने कहा कि समय पर पहचान से गंभीर जटिलताओं और मृत्यु दर में कमी लाई जा सकती है। एनसीडी पदाधिकारी डॉ. उर्मिला कुमारी ने बताया कि जोखिमग्रस्त व्यक्तियों को उपचार से जोड़ने हेतु सभी स्वास्थ्य संस्थानों को सक्रिय किया गया है।
“जिले का कोई भी व्यक्ति स्वास्थ्य सेवा से वंचित न रहे”—जिलाधिकारी का संकल्प
बैठक के समापन पर जिलाधिकारी ने पुनः कहा कि जिला प्रशासन का उद्देश्य है कि स्वास्थ्य सेवाओं का लाभ हर पंचायत, हर गांव और हर नागरिक तक पहुंचे। उन्होंने स्पष्ट किया कि योजनाओं की प्रगति केवल आंकड़ों तक सीमित न रहे, बल्कि जमीन पर दिखाई दे, इसके लिए सभी कार्यक्रमों की समयबद्ध मॉनिटरिंग अनिवार्य है।
सारस न्यूज़, किशनगंज।
जिलाधिकारी की अध्यक्षता में देर रात तक चली उच्चस्तरीय बैठक, अनेक निर्देश जारी
जिले में गुणवत्तापूर्ण, पारदर्शी और सुलभ स्वास्थ्य सेवाओं को सुनिश्चित करने हेतु जिला प्रशासन लगातार प्राथमिकता के साथ सुधारात्मक कदम उठा रहा है। इसी क्रम में बुधवार की देर रात जिलाधिकारी डॉ. विशाल राज की अध्यक्षता में स्वास्थ्य विभाग की एक विस्तृत और गहन समीक्षा बैठक आयोजित हुई।
बैठक की शुरुआत में जिलाधिकारी ने स्पष्ट कहा कि “जिले का कोई भी व्यक्ति स्वास्थ्य सुविधाओं से वंचित न रहे—यह प्रशासन की सर्वोच्च जिम्मेदारी है।” उन्होंने निर्देश दिया कि प्रत्येक स्वास्थ्य कार्यक्रम और उससे जुड़े सभी घटकों को अंतिम व्यक्ति तक पहुँचाने में किसी भी स्तर पर कमी स्वीकार्य नहीं होगी। बैठक में सिविल सर्जन डॉ. राज कुमार चौधरी, जिला एनसीडी पदाधिकारी डॉ. उर्मिला कुमारी, जिला टीबी पदाधिकारी डॉ. मंजर आलम, प्रतिरक्षण पदाधिकारी डॉ. देवेंद्र कुमार, बीएचएम–बीसीएम, सभी प्रखंड चिकित्सा पदाधिकारी तथा सहयोगी संस्थाओं के प्रतिनिधि उपस्थित रहे।
परिवार नियोजन कार्यक्रम की समीक्षा—सेवा उपलब्धता में शिथिलता पर सख्त रुख
परिवार नियोजन पर चर्चा के दौरान जिलाधिकारी ने कहा कि महिला नसबंदी, पुरुष नसबंदी, MCP और अस्थायी साधनों की उपलब्धता एवं वितरण में किसी भी प्रकार की ढिलाई नहीं होनी चाहिए। उन्होंने बताया कि परिवार नियोजन केवल जनसंख्या नियंत्रण का उपाय नहीं, बल्कि मातृ एवं शिशु मृत्यु दर को कम करने का मूल आधार है। उन्होंने निर्देश दिया कि हर दंपती तक सुरक्षित विकल्प और परामर्श समय पर पहुँचे तथा जनजागरूकता अभियान को और अधिक सशक्त किया जाए।
हेल्थ एंड वेलनेस सेंटरों में टेलीमेडिसिन सेवाओं के विस्तार पर ज़ोर
जिलाधिकारी ने निर्देश दिया कि प्रत्येक HWC में टेलीमेडिसिन सेवाएं सक्रिय रूप से लागू हों। उन्होंने कहा कि डिजिटल तकनीक के माध्यम से विशेषज्ञ डॉक्टरों की राय अब गांवों तक पहुँच सकती है, जिससे मरीजों को अनावश्यक यात्रा से राहत मिलेगी। उन्होंने इसे ग्रामीण जनसंख्या के लिए अत्यंत उपयोगी सुविधा बताते हुए इसके प्रभावी कार्यान्वयन पर बल दिया।
NRC की कार्यप्रणाली सुधारने के निर्देश—कुपोषित बच्चों को समय पर उपचार अनिवार्य
पोषण पुनर्वास केंद्र (NRC) की समीक्षा में जिलाधिकारी ने कहा कि गंभीर कुपोषित बच्चों को तुरंत भर्ती कर उपचार उपलब्ध करवाना प्रत्येक स्तर की प्राथमिकता होनी चाहिए। उन्होंने जोर दिया कि NRC की प्रभावी कार्यशैली ही कुपोषण रोकथाम का सबसे महत्वपूर्ण साधन है और इस दिशा में किसी भी प्रकार की देरी स्वीकार्य नहीं होगी।
VHSND को मजबूत बनाने पर बल—ग्राम स्तर की स्वास्थ्य सेवा का आधार
जिलाधिकारी ने बताया कि VHSND ग्रामीण स्वास्थ्य व्यवस्था की नींव है और इसको मजबूत किए बिना गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवाएं अंतिम पायदान तक नहीं पहुँच सकतीं। उन्होंने निर्देश दिया कि ANM, आशा और आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं की उपस्थिति, सेवा वितरण और जनजागरूकता गतिविधियों की नियमित समीक्षा अनिवार्य होनी चाहिए, ताकि हर परिवार तक समय पर स्वास्थ्य एवं पोषण सुविधाएं पहुंच सकें।
गृह प्रसव मुक्त पंचायत अभियान—संस्थागत प्रसव को बढ़ावा देने का लक्ष्य
गृह प्रसव मुक्त पंचायत अभियान पर विस्तृत चर्चा करते हुए जिलाधिकारी ने कहा कि घर पर प्रसव होना मातृ एवं नवजात के लिए जोखिमपूर्ण है। उन्होंने निर्देश दिया कि गर्भवती महिलाओं की समय पर पहचान, ANC जांच, लाइन लिस्टिंग और रेफरल व्यवस्था को मजबूत किया जाए। आने वाले महीनों में अधिक से अधिक पंचायतों को गृह प्रसव मुक्त घोषित करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है।
नवजात सप्ताह पर विशेष निगरानी—जन्म के प्रथम सात दिनों को उच्च प्राथमिकता
जिलाधिकारी ने निर्देश दिया कि नवजात सप्ताह को गंभीरता से मनाया जाए और प्रत्येक संस्था में जन्म के बाद आवश्यक जांच, KMC, स्तनपान परामर्श एवं रेफरल सेवाओं की उपलब्धता सुनिश्चित की जाए। उन्होंने कहा कि जन्म के बाद के पहले सात दिन नवजात के जीवन रक्षा के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण होते हैं, इसलिए इस अवधि की मॉनिटरिंग मजबूत एवं व्यवस्थित होनी चाहिए।
टीबी उन्मूलन कार्यक्रम में तेजी—सक्रिय जांच और नोटिफिकेशन पर बल
टीबी कार्यक्रम की समीक्षा में जिलाधिकारी ने कहा कि टीबी जांच, नोटिफिकेशन और उपचार की गति और बढ़ाई जानी चाहिए। जिला टीबी पदाधिकारी डॉ. मंजर आलम ने बताया कि जिले में सक्रिय फाइंडिंग अभियान तेज किया गया है तथा उपचार अनुपालन को बढ़ाने के लिए सतत प्रयास जारी हैं।
एनसीडी स्क्रीनिंग में गति—हृदय रोग, डायबिटीज, कैंसर की शीघ्र पहचान पर जोर
एनसीडी समीक्षा में जिलाधिकारी ने निर्देश दिया कि सभी प्रखंडों में स्क्रीनिंग गतिविधियों को तेज किया जाए। उन्होंने कहा कि समय पर पहचान से गंभीर जटिलताओं और मृत्यु दर में कमी लाई जा सकती है। एनसीडी पदाधिकारी डॉ. उर्मिला कुमारी ने बताया कि जोखिमग्रस्त व्यक्तियों को उपचार से जोड़ने हेतु सभी स्वास्थ्य संस्थानों को सक्रिय किया गया है।
“जिले का कोई भी व्यक्ति स्वास्थ्य सेवा से वंचित न रहे”—जिलाधिकारी का संकल्प
बैठक के समापन पर जिलाधिकारी ने पुनः कहा कि जिला प्रशासन का उद्देश्य है कि स्वास्थ्य सेवाओं का लाभ हर पंचायत, हर गांव और हर नागरिक तक पहुंचे। उन्होंने स्पष्ट किया कि योजनाओं की प्रगति केवल आंकड़ों तक सीमित न रहे, बल्कि जमीन पर दिखाई दे, इसके लिए सभी कार्यक्रमों की समयबद्ध मॉनिटरिंग अनिवार्य है।
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