गर्भाशय ग्रीवा कैंसर से सुरक्षा की दिशा में महत्वपूर्ण कदम, यूनिसेफ और स्वास्थ्य विभाग द्वारा पूर्णिया में मीडिया उन्मुखीकरण कार्यशाला, विशेषज्ञों ने मिथकों के विरुद्ध जागरूकता बढ़ाने का किया आह्वान
महिलाओं के स्वास्थ्य की सबसे बड़ी अनदेखी पीड़ा—सर्वाइकल कैंसर के विरुद्ध जागरूकता की जरूरत
देश में महिलाओं के बीच गर्भाशय ग्रीवा (सर्वाइकल) कैंसर एक गंभीर स्वास्थ्य समस्या बन चुका है। यह रोग पूरी तरह रोके जाने योग्य होने के बावजूद, जागरूकता की कमी और सामाजिक मिथकों के कारण हजारों महिलाओं के जीवन को प्रभावित कर रहा है। समाज में फैली भ्रांतियों को दूर करने और वैज्ञानिक जानकारी को जन-जन तक पहुँचाने में मीडिया की भूमिका आज अत्यंत महत्त्वपूर्ण है। इसी उद्देश्य से आज पूर्णिया में एक महत्वपूर्ण मीडिया उन्मुखीकरण कार्यशाला आयोजित की गई, जिसमें प्रमंडल के सभी जिलों के सिविल सर्जन, जिला प्रतिरक्षण पदाधिकारी, डीपीएम, यूनिसेफ के पदाधिकारी एवं सभी जिलों के मीडिया प्रतिनिधि शामिल हुए।
पूर्णिया में मंडल-स्तरीय मीडिया उन्मुखीकरण कार्यशाला सम्पन्न
सेंटर प्वाइंट होटल में यूनिसेफ बिहार और स्वास्थ्य विभाग द्वारा गर्भाशय ग्रीवा कैंसर और एचपीवी (HPV) टीकाकरण के प्रति जागरूकता बढ़ाने के उद्देश्य से एक दिवसीय मंडल-स्तरीय मीडिया उन्मुखीकरण कार्यशाला आयोजित की गई। इसमें प्रिंट, इलेक्ट्रॉनिक और डिजिटल मीडिया प्रतिनिधियों ने भाग लिया तथा वैज्ञानिक तथ्यों पर आधारित रिपोर्टिंग के विभिन्न पहलुओं पर प्रशिक्षण प्राप्त किया।
मीडिया—मिथकों को खत्म करने का सबसे प्रभावी माध्यम
कार्यक्रम की शुरुआत क्षेत्रीय अपर निदेशक (स्वास्थ्य), पूर्णिया मंडल, डॉ. पी. के. कनौजिया के स्वागत-संबोधन से हुई। उन्होंने कहा कि सर्वाइकल कैंसर जागरूकता और समय पर टीकाकरण से रोका जा सकने वाला रोग है, परंतु समाज में इससे जुड़े कई भ्रम अब भी मौजूद हैं। इन्हें दूर करने का सबसे मजबूत माध्यम मीडिया है, जो सही और प्रमाणित जानकारी जनता तक पहुँचाता है।
कार्यशाला की रूपरेखा डॉ. पूजा, संचार, वकालत एवं साझेदारी विशेषज्ञ, यूनिसेफ बिहार द्वारा प्रस्तुत की गई। उन्होंने कहा कि एचपीवी और सर्वाइकल कैंसर से संबंधित मिथक लोगों के निर्णय को प्रभावित करते हैं। तथ्य-आधारित संवाद ही इन भ्रांतियों को दूर कर सकता है, और इसमें मीडिया की भूमिका सबसे अहम है।
सार्वजनिक स्वास्थ्य के दृष्टिकोण से एचपीवी और सर्वाइकल कैंसर
मुख्य तकनीकी सत्र में डॉ. अंशुमन, स्वास्थ्य अधिकारी, यूनिसेफ बिहार ने गर्भाशय ग्रीवा कैंसर की गंभीरता और भारत में इसके प्रसार पर वैज्ञानिक प्रस्तुति दी। उन्होंने कहा कि भारत में सर्वाइकल कैंसर महिलाओं की मृत्यु का एक प्रमुख कारण है। एचपीवी टीका पूरी तरह सुरक्षित, प्रभावी और अत्यंत आवश्यक है। समय पर टीकाकरण और जागरूकता से इस बीमारी के जोखिम को लगभग समाप्त किया जा सकता है। उन्होंने मीडिया से तथ्य-आधारित रिपोर्टिंग पर जोर देने की अपील की।
मीडिया रिपोर्टिंग टूलकिट, CAS और एचपीवी दिशा-निर्देशों पर प्रशिक्षण
सत्र में मीडिया रिपोर्टिंग टूलकिट (MRT) के 12 महत्वपूर्ण बिंदुओं, क्रिटिकल एप्रीज़ल स्किल्स (CAS), तथा एचपीवी टीकाकरण से संबंधित रिपोर्टिंग दिशा-निर्देशों पर विस्तृत जानकारी दी गई। जिला प्रतिरक्षण पदाधिकारी डॉ. देवेंद्र कुमार ने कहा कि स्वास्थ्य संबंधी खबरें लिखते समय वैज्ञानिक तथ्यों की सटीकता सर्वोपरि है। असत्यापित या अपूर्ण जानकारी जन-स्वास्थ्य के लिए जोखिम पैदा कर सकती है।
एचपीवी टीका पूरी तरह सुरक्षित—मीडिया मिथक तोड़ने में मदद करे
कार्यक्रम के अगले चरण में श्री शादाब मलिक, स्टेट CAP कंसल्टेंट, यूनिसेफ बिहार ने मीडिया को तथ्य-जांच, मिथक-निर्धारण और जिम्मेदार स्वास्थ्य रिपोर्टिंग के व्यवहारिक पहलुओं पर प्रशिक्षित किया। उन्होंने कहा कि एचपीवी टीके से संबंधित भ्रांतियाँ वैज्ञानिक जानकारी के अभाव का परिणाम हैं, और इन्हें दूर करने में मीडिया की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण है।
व्यावहारिक अभ्यास, समूह कार्य और प्रस्तुति
दोपहर बाद प्रतिभागियों को समूहों में विभाजित कर उनसे एचपीवी और सर्वाइकल कैंसर पर नमूना जागरूकता रिपोर्ट तैयार कराई गई। प्रत्येक समूह ने तथ्यों, वैज्ञानिक आधार और सामाजिक प्रभावों को शामिल करते हुए अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत की।
“जागरूकता ही सबसे बड़ा बचाव”
समापन सत्र में मोहम्मद कैशर इक़बाल, क्षेत्रीय कार्यक्रम प्रबंधक, यूनिसेफ, ने सभी प्रतिभागियों को धन्यवाद दिया। उन्होंने कहा कि यह कार्यशाला केवल ज्ञान-विनिमय का मंच नहीं, बल्कि महिलाओं की स्वास्थ्य-सुरक्षा के लिए सामूहिक प्रतिबद्धता है। मीडिया इस सकारात्मक परिवर्तन की सबसे प्रभावी शक्ति है। कार्यक्रम के अंत में सामूहिक फोटो सेशन हुआ और हाई-टी के साथ आयोजन सम्पन्न हुआ।
राहुल कुमार, सारस न्यूज़, किशनगंज।
गर्भाशय ग्रीवा कैंसर से सुरक्षा की दिशा में महत्वपूर्ण कदम, यूनिसेफ और स्वास्थ्य विभाग द्वारा पूर्णिया में मीडिया उन्मुखीकरण कार्यशाला, विशेषज्ञों ने मिथकों के विरुद्ध जागरूकता बढ़ाने का किया आह्वान
महिलाओं के स्वास्थ्य की सबसे बड़ी अनदेखी पीड़ा—सर्वाइकल कैंसर के विरुद्ध जागरूकता की जरूरत
देश में महिलाओं के बीच गर्भाशय ग्रीवा (सर्वाइकल) कैंसर एक गंभीर स्वास्थ्य समस्या बन चुका है। यह रोग पूरी तरह रोके जाने योग्य होने के बावजूद, जागरूकता की कमी और सामाजिक मिथकों के कारण हजारों महिलाओं के जीवन को प्रभावित कर रहा है। समाज में फैली भ्रांतियों को दूर करने और वैज्ञानिक जानकारी को जन-जन तक पहुँचाने में मीडिया की भूमिका आज अत्यंत महत्त्वपूर्ण है। इसी उद्देश्य से आज पूर्णिया में एक महत्वपूर्ण मीडिया उन्मुखीकरण कार्यशाला आयोजित की गई, जिसमें प्रमंडल के सभी जिलों के सिविल सर्जन, जिला प्रतिरक्षण पदाधिकारी, डीपीएम, यूनिसेफ के पदाधिकारी एवं सभी जिलों के मीडिया प्रतिनिधि शामिल हुए।
पूर्णिया में मंडल-स्तरीय मीडिया उन्मुखीकरण कार्यशाला सम्पन्न
सेंटर प्वाइंट होटल में यूनिसेफ बिहार और स्वास्थ्य विभाग द्वारा गर्भाशय ग्रीवा कैंसर और एचपीवी (HPV) टीकाकरण के प्रति जागरूकता बढ़ाने के उद्देश्य से एक दिवसीय मंडल-स्तरीय मीडिया उन्मुखीकरण कार्यशाला आयोजित की गई। इसमें प्रिंट, इलेक्ट्रॉनिक और डिजिटल मीडिया प्रतिनिधियों ने भाग लिया तथा वैज्ञानिक तथ्यों पर आधारित रिपोर्टिंग के विभिन्न पहलुओं पर प्रशिक्षण प्राप्त किया।
मीडिया—मिथकों को खत्म करने का सबसे प्रभावी माध्यम
कार्यक्रम की शुरुआत क्षेत्रीय अपर निदेशक (स्वास्थ्य), पूर्णिया मंडल, डॉ. पी. के. कनौजिया के स्वागत-संबोधन से हुई। उन्होंने कहा कि सर्वाइकल कैंसर जागरूकता और समय पर टीकाकरण से रोका जा सकने वाला रोग है, परंतु समाज में इससे जुड़े कई भ्रम अब भी मौजूद हैं। इन्हें दूर करने का सबसे मजबूत माध्यम मीडिया है, जो सही और प्रमाणित जानकारी जनता तक पहुँचाता है।
कार्यशाला की रूपरेखा डॉ. पूजा, संचार, वकालत एवं साझेदारी विशेषज्ञ, यूनिसेफ बिहार द्वारा प्रस्तुत की गई। उन्होंने कहा कि एचपीवी और सर्वाइकल कैंसर से संबंधित मिथक लोगों के निर्णय को प्रभावित करते हैं। तथ्य-आधारित संवाद ही इन भ्रांतियों को दूर कर सकता है, और इसमें मीडिया की भूमिका सबसे अहम है।
सार्वजनिक स्वास्थ्य के दृष्टिकोण से एचपीवी और सर्वाइकल कैंसर
मुख्य तकनीकी सत्र में डॉ. अंशुमन, स्वास्थ्य अधिकारी, यूनिसेफ बिहार ने गर्भाशय ग्रीवा कैंसर की गंभीरता और भारत में इसके प्रसार पर वैज्ञानिक प्रस्तुति दी। उन्होंने कहा कि भारत में सर्वाइकल कैंसर महिलाओं की मृत्यु का एक प्रमुख कारण है। एचपीवी टीका पूरी तरह सुरक्षित, प्रभावी और अत्यंत आवश्यक है। समय पर टीकाकरण और जागरूकता से इस बीमारी के जोखिम को लगभग समाप्त किया जा सकता है। उन्होंने मीडिया से तथ्य-आधारित रिपोर्टिंग पर जोर देने की अपील की।
मीडिया रिपोर्टिंग टूलकिट, CAS और एचपीवी दिशा-निर्देशों पर प्रशिक्षण
सत्र में मीडिया रिपोर्टिंग टूलकिट (MRT) के 12 महत्वपूर्ण बिंदुओं, क्रिटिकल एप्रीज़ल स्किल्स (CAS), तथा एचपीवी टीकाकरण से संबंधित रिपोर्टिंग दिशा-निर्देशों पर विस्तृत जानकारी दी गई। जिला प्रतिरक्षण पदाधिकारी डॉ. देवेंद्र कुमार ने कहा कि स्वास्थ्य संबंधी खबरें लिखते समय वैज्ञानिक तथ्यों की सटीकता सर्वोपरि है। असत्यापित या अपूर्ण जानकारी जन-स्वास्थ्य के लिए जोखिम पैदा कर सकती है।
एचपीवी टीका पूरी तरह सुरक्षित—मीडिया मिथक तोड़ने में मदद करे
कार्यक्रम के अगले चरण में श्री शादाब मलिक, स्टेट CAP कंसल्टेंट, यूनिसेफ बिहार ने मीडिया को तथ्य-जांच, मिथक-निर्धारण और जिम्मेदार स्वास्थ्य रिपोर्टिंग के व्यवहारिक पहलुओं पर प्रशिक्षित किया। उन्होंने कहा कि एचपीवी टीके से संबंधित भ्रांतियाँ वैज्ञानिक जानकारी के अभाव का परिणाम हैं, और इन्हें दूर करने में मीडिया की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण है।
व्यावहारिक अभ्यास, समूह कार्य और प्रस्तुति
दोपहर बाद प्रतिभागियों को समूहों में विभाजित कर उनसे एचपीवी और सर्वाइकल कैंसर पर नमूना जागरूकता रिपोर्ट तैयार कराई गई। प्रत्येक समूह ने तथ्यों, वैज्ञानिक आधार और सामाजिक प्रभावों को शामिल करते हुए अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत की।
“जागरूकता ही सबसे बड़ा बचाव”
समापन सत्र में मोहम्मद कैशर इक़बाल, क्षेत्रीय कार्यक्रम प्रबंधक, यूनिसेफ, ने सभी प्रतिभागियों को धन्यवाद दिया। उन्होंने कहा कि यह कार्यशाला केवल ज्ञान-विनिमय का मंच नहीं, बल्कि महिलाओं की स्वास्थ्य-सुरक्षा के लिए सामूहिक प्रतिबद्धता है। मीडिया इस सकारात्मक परिवर्तन की सबसे प्रभावी शक्ति है। कार्यक्रम के अंत में सामूहिक फोटो सेशन हुआ और हाई-टी के साथ आयोजन सम्पन्न हुआ।
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