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बिंदु अग्रवाल की कविता #85 (शीर्षक- “नशा: मज़ा या सज़ा”)

सारस न्यूज़, वेब डेस्क।

नशे के गर्त में डूब रही है,
आज की युवा पीढ़ी।
कर्णधार कहलाते देश के,
विकास की है जो सीढ़ी।

नशे की कालाबाजारी का,
धूवाँ घर-घर फैला।
तन मैला,मन भी मैला,
हर खून हो रहा मैला।

कहाँ से आता नशे का जत्था,
कौन है घर-घर लाता।
पुलिस प्रशासन, नाकाबंदी,
कोई रोक ना पाता।

नशा ना जाने बहु की इज्ज़त,
ना बेटी का मान।
नशे की लत को पूरा करने,
गिरवी रखा मकान।

नशे की दुनियाँ की बात निराली,
सब अपने मन के राजा।
इनके राज्य का नाम बताऊँ,
हैश,चरस और गांजा।

बड़े पूण्य से मिला यह जीवन,
इसे खुशी से जियो।
ना गांजा ,ना हैश,ना चरसी,
ना शराब कभी भी पियो।

बिंदु अग्रवाल शिक्षिका
मध्य विद्यालय गलगलिया
किशनगंज, बिहार

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