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जिले में सुरक्षित मातृत्व को मजबूत बनाने की दिशा में बड़ा कदम, अतिरिक्त नौ उप–स्वास्थ्य केंद्रों में प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व पहल की शुरुआत।

राहुल कुमार, सारस न्यूज़, किशनगंज।

गर्भवती महिलाओं को घर के पास व्यापक चिकित्सा सुविधा उपलब्ध कराने का संकल्प

जिले में गर्भवती महिलाओं को सुरक्षित मातृत्व का अधिकार सुनिश्चित कराने के उद्देश्य से स्वास्थ्य विभाग ने एक बड़ा और महत्वपूर्ण निर्णय लिया है। अब तक यह महत्वपूर्ण कार्यक्रम केवल प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों, सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों और सदर अस्पताल में संचालित हो रहा था, लेकिन अब इसे जिले के नौ अतिरिक्त उप–स्वास्थ्य केंद्रों में भी शुरू किया गया है। इस पहल का मुख्य उद्देश्य गर्भवती महिलाओं को उनके घर के नजदीक ही प्रसव पूर्व स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध कराना, जोखिम की प्रारंभिक पहचान को आसान बनाना और मातृ व शिशु मृत्यु दर को न्यूनतम करना है।

इन अतिरिक्त केंद्रों में सेवाएं शुरू होने से उन महिलाओं को बड़ी राहत मिलेगी जिन्हें पहले दूरस्थ अस्पतालों तक जाना पड़ता था। अब गर्भवती महिलाओं को वजन जांच, रक्तचाप परीक्षण, मधुमेह जांच, हीमोग्लोबिन परीक्षण, टीकाकरण, पोषण परामर्श और परिवार नियोजन संसाधनों की सुविधा उनके ही क्षेत्र में उपलब्ध होगी।

जिलेभर में उद्घाटन कार्यक्रम, अधिक महिलाओं तक सेवाओं का विस्तार

जिले के सभी प्रखंडों में उद्घाटन कार्यक्रम आयोजित हुए। कोचाधामन में जिला प्रतिरक्षण पदाधिकारी डॉ. देवेंद्र कुमार द्वारा कार्यक्रम का शुभारंभ किया गया। अन्य प्रखंडों में भी संबंधित प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारियों की उपस्थिति में यह आयोजन संपन्न हुआ। महिलाओं का पंजीकरण, स्वास्थ्य परीक्षण, पोषण संबंधी जानकारी और प्रसव पूर्व उपचार की सेवाएं पूरे दिन जारी रहीं। इस विस्तार से गर्भवती महिलाओं की नियमित जांच और स्वास्थ्य सेवाओं तक पहुंच और अधिक सरल हो जाएगी। स्वास्थ्य विभाग का लक्ष्य है कि जिले की प्रत्येक गर्भवती महिला कम से कम चार अनिवार्य प्रसव पूर्व जांच अवश्य कराए।

हर महीने 9, 15 और 21 तारीख को आयोजित होंगे विशेष शिविर

डीपीएम डॉ. मुनाजिम ने बताया कि स्वास्थ्य विभाग द्वारा यह निर्धारित किया गया है कि हर महीने की 9, 15 और 21 तारीख को जिले के सभी संबंधित स्वास्थ्य केंद्रों पर सुरक्षित मातृत्व शिविर आयोजित किए जाएंगे। यह व्यवस्था गर्भावस्था की निरंतर निगरानी और संभावित जटिलताओं की समय पर पहचान में अत्यंत प्रभावी सिद्ध होगी। इन शिविरों में बड़ी संख्या में गर्भवती महिलाएं पहुंचीं और कई जोखिमयुक्त मामलों की पहचान भी की गई।

कार्यक्रम की गुणवत्ता सुनिश्चित करने हेतु जिला स्तरीय निरीक्षण दल गठित

डीडीए सुमन सिन्हा ने बताया कि राज्य स्वास्थ्य समिति के निर्देशानुसार जिला स्वास्थ्य समिति ने इस कार्यक्रम के लिए एक निरीक्षण दल गठित किया है। इसमें जिला प्रतिरक्षण पदाधिकारी, वेक्टर जनित रोग नियंत्रण पदाधिकारी, जिला मूल्यांकन पदाधिकारी, जिला प्रतिनिधि, जिला कार्यक्रम प्रबंधक तथा जिला योजना एवं विकास सहायक को शामिल किया गया है। यह दल सभी उप–स्वास्थ्य केंद्रों सहित अन्य संस्थानों में जाकर कार्यक्रम की गुणवत्ता की समीक्षा करेगा और सुनिश्चित करेगा कि गर्भवती महिलाओं को सभी सुविधाएं समय पर तथा मानक के अनुरूप उपलब्ध हों।

दूरदराज क्षेत्रों में स्वास्थ्य सुविधा पहुंचाना ही मुख्य उद्देश्य

सिविल सर्जन डॉ. राज कुमार चौधरी ने बताया कि जिले के नौ अतिरिक्त उप–स्वास्थ्य केंद्रों में कार्यक्रम की शुरुआत ग्रामीण महिलाओं के लिए अत्यंत लाभकारी है। अब उन्हें प्रसव पूर्व जांच के लिए लंबी दूरी तय नहीं करनी पड़ेगी। उन्होंने बताया कि आज 500 से अधिक महिलाओं की जांच की गई और 300 से अधिक जोखिमयुक्त गर्भावस्थाओं की पहचान की गई। लक्ष्य यह है कि जिले की कोई भी महिला जांच से वंचित न रहे और सुरक्षित प्रसव के लिए सभी आवश्यक सुविधाएं उसे उपलब्ध हों।

जोखिम की पहचान ही सुरक्षित प्रसव की पहली शर्त

उद्घाटन के दौरान जिला प्रतिरक्षण पदाधिकारी डॉ. देवेंद्र कुमार ने कहा,
“प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व पहल का विस्तार गर्भवती महिलाओं के लिए अत्यंत लाभकारी है। नियमित जांच से जोखिमों की प्रारंभिक पहचान संभव होती है, जिससे गर्भावस्था के दौरान गंभीर जटिलताओं से बचाव किया जा सकता है। हमारा लक्ष्य है कि जिले की प्रत्येक गर्भवती महिला गर्भावस्था के दौरान कम से कम चार बार प्रसव पूर्व जांच अवश्य कराए।”

जिले की कोई भी महिला स्वास्थ्य सेवाओं से वंचित न रहे—यही प्राथमिकता

जिला पदाधिकारी ने अपने संदेश में कहा कि उप–स्वास्थ्य केंद्रों में कार्यक्रम की यह शुरुआत मातृ और शिशु मृत्यु दर को कम करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। जिला प्रशासन यह सुनिश्चित करेगा कि कोई भी गर्भवती महिला जांच, उपचार या परामर्श से वंचित न रहे। सभी विभागों को निर्देशित किया गया है कि गंभीरता और समन्वय के साथ इस कार्यक्रम को सफल बनाएं।

डीडीए सुमन सिन्हा ने कहा कि यह पहल जिले में मातृ स्वास्थ्य को सुदृढ़ करने की दिशा में दूरगामी प्रभाव डालेगी। अब स्वास्थ्य सेवाएं गांव–गांव तक पहुंचेंगी, जोखिमों की समय पर पहचान होगी, महिलाओं को पोषण व परिवार नियोजन के सही विकल्प मिलेंगे, और सबसे महत्वपूर्ण—सुरक्षित प्रसव को सुनिश्चित किया जा सकेगा।

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