भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के शक्तिशाली प्रक्षेपण यान लॉन्च व्हीकल मार्क-3 (LVM3) ने बुधवार, 24 दिसंबर को एक बड़ी उपलब्धि हासिल करते हुए ब्लूबर्ड ब्लॉक-2 उपग्रह को सफलतापूर्वक निम्न पृथ्वी कक्षा (LEO) में स्थापित कर दिया। यह प्रक्षेपण श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र के दूसरे लॉन्च पैड से सुबह 8 बजकर 55 मिनट पर किया गया, और मात्र 15 मिनट के भीतर उपग्रह को उसकी निर्धारित कक्षा में पहुंचा दिया गया।
करीब 6,100 किलोग्राम वज़न वाला ब्लूबर्ड ब्लॉक-2 अब तक का सबसे भारी उपग्रह है, जिसे LVM3 रॉकेट के माध्यम से अंतरिक्ष में भेजा गया है। यह LVM3 की छठी परिचालन उड़ान और तीसरी समर्पित व्यावसायिक मिशन थी। इसरो प्रमुख वी. नारायणन ने बताया कि उपग्रह को 518.5 किलोमीटर ऊंची कक्षा में स्थापित किया गया, जो निर्धारित 520 किलोमीटर के बेहद करीब है।
इसरो प्रमुख ने इसे ऐतिहासिक उपलब्धि बताते हुए कहा कि यह भारतीय धरती से भारतीय प्रक्षेपण यान द्वारा भेजा गया अब तक का सबसे भारी उपग्रह है। उन्होंने यह भी बताया कि यह केवल 52 दिनों के भीतर किया गया दूसरा LVM3 मिशन है। इस मिशन के साथ इसरो अब तक 34 देशों के कुल 434 उपग्रहों को अंतरिक्ष में स्थापित कर चुका है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस सफलता पर इसरो की टीम को बधाई देते हुए कहा कि यह उपलब्धि भारत के युवा वैज्ञानिकों की क्षमता का प्रमाण है। उन्होंने कहा कि इससे गगनयान जैसे मानव अंतरिक्ष मिशनों को मजबूती मिलेगी, व्यावसायिक प्रक्षेपण सेवाओं का विस्तार होगा और वैश्विक सहयोग और गहरा होगा।
इसरो के अनुसार, ब्लूबर्ड ब्लॉक-2 मिशन एक वैश्विक लो-अर्थ ऑर्बिट सैटेलाइट कॉन्स्टेलेशन का हिस्सा है, जिसका उद्देश्य सैटेलाइट के माध्यम से सीधे मोबाइल कनेक्टिविटी प्रदान करना है। इस तकनीक के जरिए दुनिया के किसी भी कोने में 4G और 5G वॉयस कॉल, वीडियो कॉल, मैसेजिंग, स्ट्रीमिंग और डेटा सेवाएं उपलब्ध कराई जा सकेंगी। इसमें 223 वर्ग मीटर का फेज़्ड ऐरे लगा है, जो इसे लो-अर्थ ऑर्बिट में स्थापित अब तक का सबसे बड़ा व्यावसायिक संचार उपग्रह बनाता है।
यह मिशन इसरो की व्यावसायिक शाखा न्यू स्पेस इंडिया लिमिटेड (NSIL) और अमेरिका स्थित कंपनी AST स्पेसमोबाइल के बीच हुए वाणिज्यिक समझौते के तहत अंजाम दिया गया है।
प्रक्षेपण के दौरान सुरक्षा को प्राथमिकता देते हुए इसरो ने उड़ान को 90 सेकंड के लिए विलंबित किया। प्रारंभिक समय सुबह 8:54 बजे निर्धारित था, लेकिन उड़ान मार्ग में संभावित टकराव के जोखिम को देखते हुए इसे 8:55:30 बजे किया गया। इसरो के अनुसार, रॉकेट के मार्ग में अन्य उपग्रहों या मलबे की मौजूदगी के कारण यह सावधानी बरती गई, क्योंकि श्रीहरिकोटा के ऊपर अंतरिक्ष क्षेत्र में उपग्रहों की संख्या लगातार बढ़ रही है।
लॉन्च व्हीकल मार्क-3 इसरो द्वारा विकसित तीन-चरणीय भारी प्रक्षेपण यान है, जिसमें दो ठोस स्ट्रैप-ऑन मोटर, एक तरल कोर स्टेज और एक क्रायोजेनिक ऊपरी चरण शामिल है। इसका कुल वजन लगभग 640 टन है और यह 43.5 मीटर ऊंचा है। यह रॉकेट भू-समकालिक ट्रांसफर कक्षा में 4,200 किलोग्राम तक का पेलोड ले जाने में सक्षम है।
इससे पहले LVM3 चंद्रयान-2, चंद्रयान-3 और वनवेब के दो मिशनों सहित कई महत्वपूर्ण उपग्रहों को सफलतापूर्वक अंतरिक्ष में भेज चुका है। नवंबर में संपन्न हुए इसके पिछले मिशन LVM3-M5 भी पूरी तरह सफल रहा था।
सारस न्यूज़, वेब डेस्क।
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के शक्तिशाली प्रक्षेपण यान लॉन्च व्हीकल मार्क-3 (LVM3) ने बुधवार, 24 दिसंबर को एक बड़ी उपलब्धि हासिल करते हुए ब्लूबर्ड ब्लॉक-2 उपग्रह को सफलतापूर्वक निम्न पृथ्वी कक्षा (LEO) में स्थापित कर दिया। यह प्रक्षेपण श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र के दूसरे लॉन्च पैड से सुबह 8 बजकर 55 मिनट पर किया गया, और मात्र 15 मिनट के भीतर उपग्रह को उसकी निर्धारित कक्षा में पहुंचा दिया गया।
करीब 6,100 किलोग्राम वज़न वाला ब्लूबर्ड ब्लॉक-2 अब तक का सबसे भारी उपग्रह है, जिसे LVM3 रॉकेट के माध्यम से अंतरिक्ष में भेजा गया है। यह LVM3 की छठी परिचालन उड़ान और तीसरी समर्पित व्यावसायिक मिशन थी। इसरो प्रमुख वी. नारायणन ने बताया कि उपग्रह को 518.5 किलोमीटर ऊंची कक्षा में स्थापित किया गया, जो निर्धारित 520 किलोमीटर के बेहद करीब है।
इसरो प्रमुख ने इसे ऐतिहासिक उपलब्धि बताते हुए कहा कि यह भारतीय धरती से भारतीय प्रक्षेपण यान द्वारा भेजा गया अब तक का सबसे भारी उपग्रह है। उन्होंने यह भी बताया कि यह केवल 52 दिनों के भीतर किया गया दूसरा LVM3 मिशन है। इस मिशन के साथ इसरो अब तक 34 देशों के कुल 434 उपग्रहों को अंतरिक्ष में स्थापित कर चुका है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस सफलता पर इसरो की टीम को बधाई देते हुए कहा कि यह उपलब्धि भारत के युवा वैज्ञानिकों की क्षमता का प्रमाण है। उन्होंने कहा कि इससे गगनयान जैसे मानव अंतरिक्ष मिशनों को मजबूती मिलेगी, व्यावसायिक प्रक्षेपण सेवाओं का विस्तार होगा और वैश्विक सहयोग और गहरा होगा।
इसरो के अनुसार, ब्लूबर्ड ब्लॉक-2 मिशन एक वैश्विक लो-अर्थ ऑर्बिट सैटेलाइट कॉन्स्टेलेशन का हिस्सा है, जिसका उद्देश्य सैटेलाइट के माध्यम से सीधे मोबाइल कनेक्टिविटी प्रदान करना है। इस तकनीक के जरिए दुनिया के किसी भी कोने में 4G और 5G वॉयस कॉल, वीडियो कॉल, मैसेजिंग, स्ट्रीमिंग और डेटा सेवाएं उपलब्ध कराई जा सकेंगी। इसमें 223 वर्ग मीटर का फेज़्ड ऐरे लगा है, जो इसे लो-अर्थ ऑर्बिट में स्थापित अब तक का सबसे बड़ा व्यावसायिक संचार उपग्रह बनाता है।
यह मिशन इसरो की व्यावसायिक शाखा न्यू स्पेस इंडिया लिमिटेड (NSIL) और अमेरिका स्थित कंपनी AST स्पेसमोबाइल के बीच हुए वाणिज्यिक समझौते के तहत अंजाम दिया गया है।
प्रक्षेपण के दौरान सुरक्षा को प्राथमिकता देते हुए इसरो ने उड़ान को 90 सेकंड के लिए विलंबित किया। प्रारंभिक समय सुबह 8:54 बजे निर्धारित था, लेकिन उड़ान मार्ग में संभावित टकराव के जोखिम को देखते हुए इसे 8:55:30 बजे किया गया। इसरो के अनुसार, रॉकेट के मार्ग में अन्य उपग्रहों या मलबे की मौजूदगी के कारण यह सावधानी बरती गई, क्योंकि श्रीहरिकोटा के ऊपर अंतरिक्ष क्षेत्र में उपग्रहों की संख्या लगातार बढ़ रही है।
लॉन्च व्हीकल मार्क-3 इसरो द्वारा विकसित तीन-चरणीय भारी प्रक्षेपण यान है, जिसमें दो ठोस स्ट्रैप-ऑन मोटर, एक तरल कोर स्टेज और एक क्रायोजेनिक ऊपरी चरण शामिल है। इसका कुल वजन लगभग 640 टन है और यह 43.5 मीटर ऊंचा है। यह रॉकेट भू-समकालिक ट्रांसफर कक्षा में 4,200 किलोग्राम तक का पेलोड ले जाने में सक्षम है।
इससे पहले LVM3 चंद्रयान-2, चंद्रयान-3 और वनवेब के दो मिशनों सहित कई महत्वपूर्ण उपग्रहों को सफलतापूर्वक अंतरिक्ष में भेज चुका है। नवंबर में संपन्न हुए इसके पिछले मिशन LVM3-M5 भी पूरी तरह सफल रहा था।