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कालाजार: एक मूक जानलेवा बीमारी, जिसकी अनदेखी अब नहीं।

2027 तक उन्मूलन का संकल्प, घर-घर पहुंचकर रोगियों की खोज में जुटा प्रशासन

राहुल कुमार, सारस न्यूज़, किशनगंज।

कालाजार केवल एक बीमारी नहीं, बल्कि वर्षों से गरीब, ग्रामीण और सीमावर्ती इलाकों में चुपचाप जान लेने वाला एक घातक संक्रमण है। यह रोग धीरे-धीरे शरीर को कमजोर करता है, खून की कमी बढ़ाता है, आंतरिक अंगों को प्रभावित करता है और समय पर इलाज न मिलने पर मृत्यु तक का कारण बन सकता है। सबसे खतरनाक पहलू यह है कि इसके शुरुआती लक्षण सामान्य बुखार जैसे होते हैं, जिसके कारण लोग इसे गंभीरता से नहीं लेते और इलाज में देरी हो जाती है।

इसी गंभीर खतरे को देखते हुए केंद्र एवं राज्य सरकार ने वर्ष 2027 तक कालाजार के पूर्ण उन्मूलन का स्पष्ट और समयबद्ध लक्ष्य निर्धारित किया है। इस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए रणनीति में बदलाव किया गया है। अब अस्पताल में मरीजों के आने का इंतजार नहीं किया जा रहा, बल्कि स्वास्थ्य व्यवस्था स्वयं लोगों के घर-घर तक पहुंच रही है। इसी क्रम में 22 दिसंबर 2025 से जिले में विशेष घर-घर कालाजार रोगी खोज अभियान प्रारंभ किया गया है, जो 31 दिसंबर 2025 तक लगातार चलेगा।

इस अभियान का मुख्य फोकस ऐसे लोगों पर है, जो 15 दिनों या उससे अधिक समय से बुखार से पीड़ित हैं, जिनका वजन लगातार घट रहा है, भूख नहीं लगती या जिनके पेट अथवा तिल्ली में सूजन बढ़ रही है। ऐसे लक्षणों को अब सामान्य बुखार समझकर नजरअंदाज करना घातक हो सकता है। इसी कारण आशा कार्यकर्ता घर-घर जाकर न केवल लोगों से बातचीत कर रही हैं, बल्कि उन्हें यह भी समझा रही हैं कि जांच में देरी जीवन पर भारी पड़ सकती है। सभी संदिग्ध रोगियों की RK-39 किट से निःशुल्क जांच कराई जा रही है और आवश्यकता पड़ने पर उन्हें तुरंत उच्च स्वास्थ्य केंद्रों पर रेफर किया जा रहा है।

सरकार ने यह भी सुनिश्चित किया है कि कालाजार के मरीज इलाज के दौरान आर्थिक संकट में न पड़ें। कालाजार की पुष्टि होने पर रोगी को कुल ₹7100 की प्रोत्साहन राशि प्रदान की जाती है, ताकि इलाज के दौरान पोषण, यात्रा और अन्य आवश्यकताओं में कोई बाधा न आए। यह स्पष्ट संदेश है कि सरकार केवल बीमारी का इलाज नहीं कर रही, बल्कि रोगी के साथ पूरी तरह खड़ी है।

वीबीडीसी सलाहकार अविनाश रॉय ने बताया कि इस अभियान की सबसे मजबूत कड़ी आशा कार्यकर्ता हैं, जो गांव-टोले के हर परिवार तक पहुंचकर लोगों का विश्वास जीत रही हैं। वे न केवल रोगी खोज का कार्य कर रही हैं, बल्कि वर्षों से चली आ रही गलत धारणाओं—जैसे डर, झिझक और बीमारी छुपाने की प्रवृत्ति—को भी तोड़ रही हैं। आशा द्वारा पहचाने गए हर संदिग्ध व्यक्ति को स्वास्थ्य केंद्र तक पहुंचाना और जांच सुनिश्चित करना इस अभियान की आत्मा है।

सिविल सर्जन ने कहा कि कालाजार उन्मूलन स्वास्थ्य विभाग की सर्वोच्च प्राथमिकताओं में शामिल है। उन्होंने बताया कि यह बीमारी पूरी तरह इलाज योग्य है, बशर्ते समय पर पहचान हो। घर-घर रोगी खोज का उद्देश्य यही है कि कोई भी मरीज छूटे नहीं। जांच, दवा और फॉलो-अप—तीनों स्तर पर सख्त निगरानी की जा रही है।

वेक्टर जनित रोग नियंत्रण पदाधिकारी डॉ. मंजर आलम ने कहा कि कालाजार को छुपाने से नहीं, बल्कि सामने लाने से खत्म किया जा सकता है। RK-39 जांच सरल, सुरक्षित और निःशुल्क है। सरकार की मंशा स्पष्ट है कि हर संदिग्ध व्यक्ति की जांच हो और हर पॉजिटिव मरीज का समय पर इलाज सुनिश्चित किया जाए।

जिलाधिकारी विशाल राज ने आमजन से अपील करते हुए कहा कि कालाजार उन्मूलन केवल प्रशासनिक लक्ष्य नहीं, बल्कि एक सामाजिक दायित्व है। यदि किसी को लंबे समय से बुखार है तो डरें नहीं, तुरंत जांच कराएं। सरकार इलाज के साथ-साथ ₹7100 की सहायता राशि भी दे रही है। जनसहयोग से ही हम 2027 से पहले जिले को कालाजार मुक्त बना सकते हैं। कालाजार छुपाने की बीमारी नहीं है। जांच निःशुल्क है, इलाज उपलब्ध है और सरकार आर्थिक सहायता भी दे रही है। आज जांच कराना ही कल जीवन बचाने का सबसे मजबूत कदम है।

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