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सारस न्यूज़, वेब डेस्क।
🌞 सूर्योदय: 05:21 AM
🌜 सूर्यास्त: 06:48 PM
🌕 चंद्रोदय: 02:18 PM
🌖 चंद्रास्त: 01:43 AM (15 जून को)
📍 स्थान: भारत मानक समयानुसार (IST)
🗓️ हिंदू तिथि व मास:
- तिथि: चतुर्दशी (शुक्ल पक्ष) — रात्रि 09:53 बजे तक, इसके बाद पूर्णिमा
- माह: ज्येष्ठ मास
- विक्रम संवत: 2082 (रक्षसम्वत्सर)
- शक संवत: 1947
- पक्ष: शुक्ल पक्ष
- दिन: शनिवार
🌟 नक्षत्र:
- अनुराधा नक्षत्र — दोपहर 01:37 बजे तक
- इसके बाद ज्येष्ठा नक्षत्र प्रारंभ
🕉️ योग:
- सिद्धि योग — दोपहर 12:01 बजे तक
- इसके बाद व्यतीपात योग
⏰ करण:
- गर करण — दोपहर 10:15 बजे तक
- फिर वणिज करण
❌ राहुकाल (अशुभ समय):
- सुबह 09:00 बजे से 10:30 बजे तक
🔯 अभिजीत मुहूर्त (शुभ समय):
- दोपहर 11:54 बजे से 12:49 बजे तक
🔧 दिशा शूल:
- पूर्व दिशा — यात्रा टालें या तिल खाकर जाएं
🪔 आज के व्रत एवं पर्व:
- सत्यनारायण व्रत (पूर्णिमा)
- ज्येष्ठ पूर्णिमा व्रत
- वट पूर्णिमा (कुछ क्षेत्रों में)
✅ दैनिक विशेष उपाय:
आज शनिदेव का दिन है।
- काली वस्तुओं का दान करें (तिल, कंबल, लोहे की वस्तुएं)
- शनि मंत्र “ॐ शं शनैश्चराय नमः” का 108 बार जाप करें
- पीपल वृक्ष की पूजा करें और उसके नीचे सरसों के तेल का दीपक जलाएं
सारस न्यूज़, वेब डेस्क।
🌞 सूर्योदय: 05:21 AM
🌜 सूर्यास्त: 06:48 PM
🌕 चंद्रोदय: 02:18 PM
🌖 चंद्रास्त: 01:43 AM (15 जून को)
📍 स्थान: भारत मानक समयानुसार (IST)
🗓️ हिंदू तिथि व मास:
- तिथि: चतुर्दशी (शुक्ल पक्ष) — रात्रि 09:53 बजे तक, इसके बाद पूर्णिमा
- माह: ज्येष्ठ मास
- विक्रम संवत: 2082 (रक्षसम्वत्सर)
- शक संवत: 1947
- पक्ष: शुक्ल पक्ष
- दिन: शनिवार
🌟 नक्षत्र:
- अनुराधा नक्षत्र — दोपहर 01:37 बजे तक
- इसके बाद ज्येष्ठा नक्षत्र प्रारंभ
🕉️ योग:
- सिद्धि योग — दोपहर 12:01 बजे तक
- इसके बाद व्यतीपात योग
⏰ करण:
- गर करण — दोपहर 10:15 बजे तक
- फिर वणिज करण
❌ राहुकाल (अशुभ समय):
- सुबह 09:00 बजे से 10:30 बजे तक
🔯 अभिजीत मुहूर्त (शुभ समय):
- दोपहर 11:54 बजे से 12:49 बजे तक
🔧 दिशा शूल:
- पूर्व दिशा — यात्रा टालें या तिल खाकर जाएं
🪔 आज के व्रत एवं पर्व:
- सत्यनारायण व्रत (पूर्णिमा)
- ज्येष्ठ पूर्णिमा व्रत
- वट पूर्णिमा (कुछ क्षेत्रों में)
✅ दैनिक विशेष उपाय:
आज शनिदेव का दिन है।
- काली वस्तुओं का दान करें (तिल, कंबल, लोहे की वस्तुएं)
- शनि मंत्र “ॐ शं शनैश्चराय नमः” का 108 बार जाप करें
- पीपल वृक्ष की पूजा करें और उसके नीचे सरसों के तेल का दीपक जलाएं
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