सारस न्यूज, अररिया।
“जैनत्व सिर्फ पढ़ने की चीज नहीं, उसे जीवन में उतारने की जरूरत” – समणी भावित प्रज्ञा
तेरापंथ धर्मसंघ के आचार्य श्री महाश्रमण जी की शिष्या समणी निर्देशिका भावित प्रज्ञा जी, समणी संघप्रज्ञा जी एवं समणी मुकुल प्रज्ञा जी के सान्निध्य में आयोजित जैन विद्या प्रमाण पत्र वितरण समारोह में 63 सफल परीक्षार्थियों को सम्मानित किया गया।
इस अवसर पर समणी भावित प्रज्ञा जी ने कहा कि जैन विद्या परीक्षा धर्म को समझने और आत्मविकास के मार्ग को अपनाने का सरल माध्यम है। उन्होंने कहा कि फारबिसगंज एक धार्मिक दृष्टि से सक्रिय क्षेत्र है और यहां के लोग वर्षों से धर्मसंघ से जुड़े हुए हैं। ऐसे में जैन विद्या परीक्षा आत्मचिंतन व आत्मज्ञान की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है, जो न केवल ज्ञान देती है बल्कि आचरण को भी दिशा देती है।
उन्होंने जैन दर्शन के सूत्र “पढमं नाणं तओ दया” को दोहराते हुए कहा कि बिना ज्ञान के आचरण और बिना आचरण के ज्ञान दोनों ही अधूरे हैं। समणी निर्देशिका ने सभी सफल विद्यार्थियों को शुभकामनाएं देते हुए उनके उज्जवल आध्यात्मिक भविष्य की कामना की।
कार्यक्रम का संचालन स्थानीय सभा के मंत्री मनोज भंसाली ने किया। उन्होंने जानकारी दी कि इस वर्ष 70 से अधिक आवेदन प्राप्त हुए थे, जिनमें से 63 परीक्षार्थी सफलतापूर्वक उत्तीर्ण हुए। उन्होंने यह भी बताया कि कुसुम भंसाली को बिहार प्रभारी, कल्पना सेठिया को केंद्र व्यवस्थापक, शैलेश बैद को सह-व्यवस्थापक तथा प्रभा सेठिया को ज्ञानशाला की मुख्य प्रशिक्षिका के रूप में नियुक्त किया गया है।
सभा द्वारा सभी सफल परीक्षार्थियों को सम्मानित किया गया। रोशनी जैन और प्रज्ञा जैन को ऑल इंडिया रैंक में प्रथम स्थान प्राप्त करने पर विशेष रूप से बधाई दी गई।
ज्ञानशाला की ओर से प्रभादेवी सेठिया, खुशबू डागा, ममता डागा, बबीता डागा, सारिका बैद, नीता गोलछा, वीणा बैद आदि ने समर्पण भाव से योगदान दिया।
सभा अध्यक्ष महेंद्र बैद ने कहा कि जैन धर्म का सार हमारे आचरण, भाषा और व्यवहार में झलकना चाहिए। इसके लिए आवश्यक है कि हम जैन धर्म को गहराई से समझें और इसके लिए जैन विद्या परीक्षा तथा आगम मंथन जैसी प्रतियोगिताएं अत्यंत उपयोगी हैं।
कार्यक्रम में महिला मंडल, युवक परिषद, कन्या मंडल, ज्ञानशाला शिक्षक-शिक्षिकाएं और बड़ी संख्या में श्रद्धालु उपस्थित रहे। सभी को आगामी प्रतियोगिताओं में भाग लेने के लिए प्रेरित किया गया।