आनंदमार्ग प्रचारक संघ द्वारा आगामी 5 व 6 अप्रैल को वंदना विजय विवाह भवन, अररिया में दो दिवसीय भव्य धर्म महासम्मेलन का आयोजन किया जा रहा है। इस विशाल आध्यात्मिक समागम में बिहार के साथ-साथ झारखंड और पश्चिम बंगाल से हजारों की संख्या में आनंदमार्ग अनुयायी जुटेंगे। कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य आत्मिक उन्नयन के साथ सामाजिक कल्याण का संदेश देना है।
महासम्मेलन में आनंदमार्ग के वरिष्ठ संत आचार्य किंशुक रंजन सरकार विशेष रूप से उपस्थित होकर श्रद्धालुओं को संबोधित करेंगे। इसके साथ ही कोलकाता से आए कलाकार प्रतिदिन संध्या में “रावा” कार्यक्रम के अंतर्गत प्रभात संगीत पर आधारित नृत्य-नाटिका प्रस्तुत करेंगे, जिनकी रचना आनंदमार्ग के संस्थापक श्री श्री आनंदमूर्ति ने की है।
आनंदमार्ग का मूल मंत्र “आत्ममोक्षार्थं जगद्धिताय च” है, जिसका अर्थ है—स्वयं की मुक्ति के साथ समग्र मानवता का कल्याण। आनंदमार्ग प्रचारक संघ विश्व के 180 से अधिक देशों में शिक्षा, सेवा और योग-साधना के माध्यम से समाज को जागरूक कर रहा है। संगठन द्वारा संचालित यूनिवर्सल रिलीफ टीम (अमर्ट) प्राकृतिक आपदाओं व मानवीय संकट के समय हर बार अग्रिम पंक्ति में सेवा करती है।
श्री श्री आनंदमूर्ति ने दर्शन, योग, समाजशास्त्र, पर्यावरण, कृषि, राजनीति, भाषा विज्ञान समेत अनेक विषयों पर 400 से अधिक ग्रंथों की रचना की है। उनके द्वारा रचित 5018 प्रभात संगीत आठ भाषाओं—बांग्ला, हिंदी, संस्कृत, अंगिका, मैथिली, मगही, उर्दू और अंग्रेजी—में उपलब्ध हैं, जिनका उद्देश्य भावनात्मक और आत्मिक जागृति लाना है।
इस आयोजन में विभिन्न विश्वविद्यालयों में आयोजित सेमिनारों की श्रृंखला की झलक भी देखने को मिलेगी, जिनका उद्देश्य आनंदमार्ग के सिद्धांतों को युवा पीढ़ी तक पहुंचाना है।
अररिया में हो रहे इस महासम्मेलन को सफल बनाने में भुक्ति के आचार्य विश्वेश्वर, आचार्य अवधूत, आचार्य कृष्णा कुमार, पुण्यानंद जी, नागेश्वर प्रसाद, कृत्यानंद जी, राजेंद्र जी, गणेश जी, अशोक जी, सुमंत्र जी सहित अन्य संतों की सक्रिय भूमिका रही है। अनुमान है कि इस धर्म महासम्मेलन में लगभग 200 सन्यासी भाग लेंगे, जो इसे एक ऐतिहासिक आयोजन बना देगा।
सारस न्यूज, अररिया।
आनंदमार्ग प्रचारक संघ द्वारा आगामी 5 व 6 अप्रैल को वंदना विजय विवाह भवन, अररिया में दो दिवसीय भव्य धर्म महासम्मेलन का आयोजन किया जा रहा है। इस विशाल आध्यात्मिक समागम में बिहार के साथ-साथ झारखंड और पश्चिम बंगाल से हजारों की संख्या में आनंदमार्ग अनुयायी जुटेंगे। कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य आत्मिक उन्नयन के साथ सामाजिक कल्याण का संदेश देना है।
महासम्मेलन में आनंदमार्ग के वरिष्ठ संत आचार्य किंशुक रंजन सरकार विशेष रूप से उपस्थित होकर श्रद्धालुओं को संबोधित करेंगे। इसके साथ ही कोलकाता से आए कलाकार प्रतिदिन संध्या में “रावा” कार्यक्रम के अंतर्गत प्रभात संगीत पर आधारित नृत्य-नाटिका प्रस्तुत करेंगे, जिनकी रचना आनंदमार्ग के संस्थापक श्री श्री आनंदमूर्ति ने की है।
आनंदमार्ग का मूल मंत्र “आत्ममोक्षार्थं जगद्धिताय च” है, जिसका अर्थ है—स्वयं की मुक्ति के साथ समग्र मानवता का कल्याण। आनंदमार्ग प्रचारक संघ विश्व के 180 से अधिक देशों में शिक्षा, सेवा और योग-साधना के माध्यम से समाज को जागरूक कर रहा है। संगठन द्वारा संचालित यूनिवर्सल रिलीफ टीम (अमर्ट) प्राकृतिक आपदाओं व मानवीय संकट के समय हर बार अग्रिम पंक्ति में सेवा करती है।
श्री श्री आनंदमूर्ति ने दर्शन, योग, समाजशास्त्र, पर्यावरण, कृषि, राजनीति, भाषा विज्ञान समेत अनेक विषयों पर 400 से अधिक ग्रंथों की रचना की है। उनके द्वारा रचित 5018 प्रभात संगीत आठ भाषाओं—बांग्ला, हिंदी, संस्कृत, अंगिका, मैथिली, मगही, उर्दू और अंग्रेजी—में उपलब्ध हैं, जिनका उद्देश्य भावनात्मक और आत्मिक जागृति लाना है।
इस आयोजन में विभिन्न विश्वविद्यालयों में आयोजित सेमिनारों की श्रृंखला की झलक भी देखने को मिलेगी, जिनका उद्देश्य आनंदमार्ग के सिद्धांतों को युवा पीढ़ी तक पहुंचाना है।
अररिया में हो रहे इस महासम्मेलन को सफल बनाने में भुक्ति के आचार्य विश्वेश्वर, आचार्य अवधूत, आचार्य कृष्णा कुमार, पुण्यानंद जी, नागेश्वर प्रसाद, कृत्यानंद जी, राजेंद्र जी, गणेश जी, अशोक जी, सुमंत्र जी सहित अन्य संतों की सक्रिय भूमिका रही है। अनुमान है कि इस धर्म महासम्मेलन में लगभग 200 सन्यासी भाग लेंगे, जो इसे एक ऐतिहासिक आयोजन बना देगा।