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एईएस और जेई के खतरे को लेकर सतर्क हुआ जिला प्रशासन, सभी विभागों को पूर्व तैयारी के निर्देश।

सारस न्यूज़, अररिया।

प्रेस विज्ञप्ति
अररिया, 07 अप्रैल 202
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गर्मी के मौसम में एईएस (एक्यूट इंसेफेलाइटिस सिंड्रोम) और जेई (जापानी इंसेफेलाइटिस) के संभावित खतरे को देखते हुए जिला प्रशासन ने रोग नियंत्रण को लेकर तैयारियों में तेजी ला दी है। जिला समन्वय समिति की एक महत्वपूर्ण बैठक सोमवार को समाहरणालय स्थित आत्मन सभागार में जिलाधिकारी श्री अनिल कुमार की अध्यक्षता में संपन्न हुई। बैठक में स्वास्थ्य, शिक्षा, पशुपालन, आईसीडीएस, जीविका, परिवहन, नगर निकाय सहित कई विभागों के पदाधिकारी व कर्मी उपस्थित रहे।

बैठक के दौरान जिलाधिकारी ने अधिकारियों को निर्देशित किया कि एईएस और जेई से बचाव को लेकर सभी विभाग आपसी समन्वय के साथ समय से पहले आवश्यक कार्रवाई सुनिश्चित करें। उन्होंने कहा कि ये बीमारियाँ खासकर गर्मी के मौसम में बच्चों के लिए खतरनाक साबित हो सकती हैं, इसलिए पूर्व से ही सावधानी बरतना जरूरी है। साथ ही उन्होंने साफ कर दिया कि लापरवाही किसी भी स्तर पर स्वीकार्य नहीं होगी।

शिक्षा विभाग को स्कूलों में जागरूकता अभियान चलाने का निर्देश दिया गया, ताकि छात्र और अभिभावक समय रहते सतर्क हो सकें। पशुपालन विभाग को सूअर पालन क्षेत्रों में विशेष निगरानी रखने और स्वच्छता के लिए नियमित दवा छिड़काव सुनिश्चित करने को कहा गया। नगर निकाय एवं पंचायती राज विभाग को जलजमाव की समस्या से निपटने के लिए साफ-सफाई पर विशेष ध्यान देने के निर्देश मिले।

स्वास्थ्य विभाग की तैयारियों की जानकारी देते हुए जिला वेक्टर जनित रोग नियंत्रण पदाधिकारी डॉ. अजय कुमार सिंह ने बताया कि जिले के सभी पीएचसी में एईएस और जेई रोगियों के लिए दो-दो बेड सुरक्षित रखे गए हैं। सदर अस्पताल में 10 बेड और फारबिसगंज अनुमंडल अस्पताल में 5 बेड वाले विशेष वार्ड संचालित किए जा रहे हैं। सभी स्वास्थ्य संस्थानों को पर्याप्त मात्रा में जरूरी दवाएं और इमरजेंसी ड्रग किट्स उपलब्ध करा दी गई हैं। साथ ही गंभीर मामलों में मुफ्त एंबुलेंस सेवा भी तैयार रखी गई है।

सिविल सर्जन डॉ. केके कश्यप ने बताया कि एईएस और जेई मुख्य रूप से 1 से 15 वर्ष के बच्चों को प्रभावित करता है। कुपोषण, खाली पेट सोना, तेज धूप में ज्यादा देर खेलना या अधपकी लीची का सेवन करने वाले बच्चे अधिक संवेदनशील होते हैं। बेहोशी, शरीर में झटके, संतुलन खोना आदि इसके सामान्य लक्षण हैं। उन्होंने लोगों से अपील की कि ऐसे लक्षण दिखते ही नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र में तुरंत जांच और इलाज कराएं।


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