फसल अवशेष प्रबंधन को लेकर जिले में जागरूकता और सख्ती बढ़ाने की दिशा में जिला प्रशासन ने अहम कदम उठाया है। जिला पदाधिकारी श्री अनिल कुमार की अध्यक्षता में समाहरणालय स्थित परमान सभागार में अंतर्विभागीय कार्य समूह की एक महत्वपूर्ण बैठक आयोजित की गई। बैठक का उद्देश्य था—किसानों और आम नागरिकों को फसल अवशेष जलाने से होने वाले नुकसान के प्रति जागरूक करना तथा वैकल्पिक उपायों को अपनाने के लिए प्रेरित करना।
जिलाधिकारी ने दिए सख्त निर्देश बैठक में जिलाधिकारी ने सभी संबंधित विभागों को निर्देश दिया कि फसल अवशेष जलाने की घटनाओं को रोकने के लिए तत्परता से कार्रवाई करें। उन्होंने जिला कृषि पदाधिकारी को स्पष्ट निर्देश दिए कि यदि कोई किसान फसल अवशेष जलाते पाए जाते हैं, तो उनका कृषि निबंधन रद्द किया जाए और उन्हें किसी भी सरकारी योजना का लाभ न दिया जाए। साथ ही, सभी कृषि समन्वयकों और किसान सलाहकारों को पंचायत स्तर पर भ्रमणशील रहते हुए किसानों को फसल अवशेष प्रबंधन के प्रति जागरूक करने को कहा गया।
वैकल्पिक उपायों पर ज़ोर • फसल अवशेष को जलाने के बजाय बेलर मशीन, वर्मी कम्पोस्ट, मल्चिंग जैसी वैकल्पिक विधियों को अपनाने के निर्देश दिए गए। • आत्मा व कृषि विभाग के माध्यम से किसानों को इन उपायों के लिए प्रशिक्षित करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया। • पंचायत स्तर पर किसान चौपाल, कार्यशालाएं और जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे।
विभागीय सहयोग की जिम्मेदारी • सहकारिता विभाग को पैक्स एवं सहकारिता पदाधिकारियों के माध्यम से जानकारी प्रसारित करने की जिम्मेदारी दी गई। • स्वास्थ्य विभाग को एएनएम और आशा कार्यकर्ताओं के माध्यम से लोगों को फसल अवशेष जलाने से होने वाली स्वास्थ्य समस्याओं जैसे—सांस की परेशानी, आंखों में जलन आदि—के प्रति जागरूक करने का निर्देश मिला। • शिक्षा विभाग को विद्यालयों में निबंध लेखन, चित्रकला, वाद-विवाद आदि कार्यक्रम आयोजित कर बच्चों के माध्यम से समाज को संदेश देने का कार्य सौंपा गया। • जीविका दीदी, वन एवं पर्यावरण, पशुपालन, पंचायती राज और जन-संपर्क विभाग को अपने-अपने स्तर पर व्यापक प्रचार-प्रसार करने का निर्देश दिया गया।
🌾 फसल अवशेष जलाने से होने वाले नुकसान
• मिट्टी के जीवाणु व केंचुए नष्ट हो जाते हैं। • जैविक कार्बन जलकर समाप्त हो जाता है। • मिट्टी की उर्वरता में भारी कमी आती है।
📢 किसान भाइयों-बहनों से अपील
• पुआल और भूसे को जलाने के बजाय बेलर मशीन का उपयोग करें। • फसल अवशेष से वर्मी कम्पोस्ट तैयार करें। • मल्चिंग विधि से मिट्टी को संरक्षित करें और सतत कृषि पद्धति को अपनाएं।
जिला प्रशासन ने स्पष्ट कर दिया है कि फसल अवशेष जलाने की घटनाएं अब बर्दाश्त नहीं की जाएंगी, और इसके लिए सभी विभागों की सामूहिक जिम्मेदारी तय की गई है।
सारस न्यूज़, अररिया।
प्रेस विज्ञप्ति अररिया, 07 अप्रैल 2025
फसल अवशेष प्रबंधन को लेकर जिले में जागरूकता और सख्ती बढ़ाने की दिशा में जिला प्रशासन ने अहम कदम उठाया है। जिला पदाधिकारी श्री अनिल कुमार की अध्यक्षता में समाहरणालय स्थित परमान सभागार में अंतर्विभागीय कार्य समूह की एक महत्वपूर्ण बैठक आयोजित की गई। बैठक का उद्देश्य था—किसानों और आम नागरिकों को फसल अवशेष जलाने से होने वाले नुकसान के प्रति जागरूक करना तथा वैकल्पिक उपायों को अपनाने के लिए प्रेरित करना।
जिलाधिकारी ने दिए सख्त निर्देश बैठक में जिलाधिकारी ने सभी संबंधित विभागों को निर्देश दिया कि फसल अवशेष जलाने की घटनाओं को रोकने के लिए तत्परता से कार्रवाई करें। उन्होंने जिला कृषि पदाधिकारी को स्पष्ट निर्देश दिए कि यदि कोई किसान फसल अवशेष जलाते पाए जाते हैं, तो उनका कृषि निबंधन रद्द किया जाए और उन्हें किसी भी सरकारी योजना का लाभ न दिया जाए। साथ ही, सभी कृषि समन्वयकों और किसान सलाहकारों को पंचायत स्तर पर भ्रमणशील रहते हुए किसानों को फसल अवशेष प्रबंधन के प्रति जागरूक करने को कहा गया।
वैकल्पिक उपायों पर ज़ोर • फसल अवशेष को जलाने के बजाय बेलर मशीन, वर्मी कम्पोस्ट, मल्चिंग जैसी वैकल्पिक विधियों को अपनाने के निर्देश दिए गए। • आत्मा व कृषि विभाग के माध्यम से किसानों को इन उपायों के लिए प्रशिक्षित करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया। • पंचायत स्तर पर किसान चौपाल, कार्यशालाएं और जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे।
विभागीय सहयोग की जिम्मेदारी • सहकारिता विभाग को पैक्स एवं सहकारिता पदाधिकारियों के माध्यम से जानकारी प्रसारित करने की जिम्मेदारी दी गई। • स्वास्थ्य विभाग को एएनएम और आशा कार्यकर्ताओं के माध्यम से लोगों को फसल अवशेष जलाने से होने वाली स्वास्थ्य समस्याओं जैसे—सांस की परेशानी, आंखों में जलन आदि—के प्रति जागरूक करने का निर्देश मिला। • शिक्षा विभाग को विद्यालयों में निबंध लेखन, चित्रकला, वाद-विवाद आदि कार्यक्रम आयोजित कर बच्चों के माध्यम से समाज को संदेश देने का कार्य सौंपा गया। • जीविका दीदी, वन एवं पर्यावरण, पशुपालन, पंचायती राज और जन-संपर्क विभाग को अपने-अपने स्तर पर व्यापक प्रचार-प्रसार करने का निर्देश दिया गया।
🌾 फसल अवशेष जलाने से होने वाले नुकसान
• मिट्टी के जीवाणु व केंचुए नष्ट हो जाते हैं। • जैविक कार्बन जलकर समाप्त हो जाता है। • मिट्टी की उर्वरता में भारी कमी आती है।
📢 किसान भाइयों-बहनों से अपील
• पुआल और भूसे को जलाने के बजाय बेलर मशीन का उपयोग करें। • फसल अवशेष से वर्मी कम्पोस्ट तैयार करें। • मल्चिंग विधि से मिट्टी को संरक्षित करें और सतत कृषि पद्धति को अपनाएं।
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